दंगा भी नहीं कर सका जुदा...
सीहोर.मंडी क्षेत्र में बेग परिवार और तिवारी परिवार सुख दुख का साथी बना हुआ है। इनका परिवार तीन पीढ़ियों से एक साथ रहकर उन ताकतो के लिए उदाहरण बना हुआ है जो इंसान को हिन्दू-मुसलमान में बांट रहे है। 70 वर्षीय जुबेदा बी और 65 वर्षीय श्रीमती वीणादेवी तिवारी गत 35 साल से एक दूसरे के सुख दुख के साथी बनी हुई है। उनके रिश्तों में सन् 1986 के दंगों ने भी दरार नहीं डाली। इनकी दोस्ती तो आज भी बरकरार है इनकी राह पर पहले जुबेदा बी के पुत्र अहमद बेग और अरशद तथा वीणा देवी के पुत्र शैलेष और मनीष तथा पोते हाशिम और काजिम तथा नयन और मंयक भी चल रहे है। तीन पीढ़ियों के इन रिश्तों की महक आज भी बरकरार है। अभी तक शहर की सैंकड़ों हिन्दू युवतियों को सिलाई सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपना अहम योगदान दे चुकी जुबेदा बी का कहना है कि खुदा ने कभी हमे किसी से अलग होना नहीं सिखाया यह तो केवल चंद लोगों के ही कार्य है। श्रीमती वीणा देवी का कहना है कि हिन्दू- मुसलमान में कोई अंतर नहीं है।
तब भी साथ-साथ रहे...
वरिष्ठ व्यवसायी नारायणदास कुईया का कहना है कि सीहोर 1986 के दंगों की चपेट में आया जरूर था पर उस समय भी लोगों ने एकता के दामन को नहीं छोड़ा था जिसका नतीजा यह रहा कि 1992 में सीहोर में तनाव ही देखने को नहीं मिला यह सौहार्द आज भी बरकरार है और आगे भी रहेगा। गांधी रोड निवासी अब्दुल लतीफ मंसूरी का कहना है कि दंगा कराने वालों की जात नहीं होती हम तो तब भी साथ-साथ रह रहे थे और आज भी साथ-साथ रहकर कारोबार कर रहे है।
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