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Wednesday, September 22, 2010

फ्लाप शो साबित हुई दुकानें

सीहोर डिग्री कालेज के विद्यार्थियों को रोजगार दिलाने की ट्रेनिंग के मकसद से खोली गई दुकानें दूसरे दिन ही फ्लाप शो साबित हुई। यहां आधा दिन गुंजर जाने के बाद दुकानें खुलीं। विवेकानंद केरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा युवाओं के लिए स्वरोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण आयोजन के अंतर्गत व्यापार की जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से कक्षाएं प्रारंभ की गई हैं। इसका उद्घाटन सोमवार की शाम को जिला कलेक्टर संदीप यादव के मुख्य आतिथ्य में कराया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज के प्राचार्य जीडी सिंह ने करते हुए कहा कि छात्रों को स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। विवेकानंद केरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के प्रभारी एचएस मंडलोई ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर के दौरान विद्यार्थी स्टेशनरी, किराना और कैंटीन लगाकर स्वरोजगार प्राप्त करने की दिशा में कार्य करेंगे। महाविद्यालय परिसर में यह विद्यार्थी प्रतिदिन अपनी दुकानें लगाकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करेंगे। विद्यार्थियों को कालेज परिसर में बने सायकल स्टैंड में दुकानें आवंटित की गई हैं। ऐसा माना जा रहा था कि अगले दिन इन विद्यार्थियों को कुछ सीखने का अवसर मिलेगा। विद्यार्थी भी जिज्ञासा वश दुकानों पर पहुंचकर खरीददारी करना चाहते थे, लेकिन मंगलवार को महाविद्यालय परिसर में यह दुकानें दोपहर डेढ़ बजे तक नहीं खुली थीं। जिस पर न केवल विद्यार्थी बल्कि कालेज स्टाफ भी हैरत में था। दोपहर में जब मीडिया कर्मी कालेज पहुंचे तो ताबड़तोड़ में दुकानें लगाई गई।
स्वरोजगार किराना स्टोर्स
कालेज परिसर में स्वरोजगार किराना स्टोर्स खोला गया है, जिसे बीए प्रथम वर्ष के विद्यार्थी संजय भिलाला, बबलू वर्मा, अरूण वर्मा, किशोर अहिरवार, द्वितीय वर्ष के छात्र भादर सिंह बड़ोदिया द्वारा संचालित किया जा रहा है। पहले दिन इनके पास से 135 रुपए की सामग्री बिकी। इसी क्रम में सद्भावना स्टेशनरी का संचालन रामसिंह मालवीय, अखिलेश, अर्जुन सिंह, रविन्द्र ठाकुर, भूपेश धीमान, महेश कुमार, सतीश मालवीय, जीवनलाल पुरवैया द्वारा किया जा रहा है। इनके पास पहले दिन 199 रुपए की सामग्री बिकी। दूसरे दिन दोपहर दो बजे यह दुकान जमाते हुए दिखे, जबकि कैंटिन तो शुरू ही नहीं हुआ। कार्यक्रम अधिकारी श्री मंडलोई का कहना है कि व्यवस्था शीघ्र दुरूस्त की जाएअतिक्रमण की चपेट में दुकानें
प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से लगाई गई यह दुकानें भी अतिक्रमण की चपेट में नजर आ रही हैं। दुकानों को व्यवस्थित करने से पहले विद्यार्थियों को यहां पर खड़े दुपहिया वाहनों को हटाने के लिए काफी देर तक मशक्कत करना पड़ रही है। आश्चर्य का विषय यह है कि इन शेडों में विद्यार्थियों की दुकानों के बैनर तो लगा दिए गए हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षित करने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
एलएलबी के छात्रों के जिम्मे कैंटिन
स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण देने के लिए लगाई गई दुकानों में लगाए गए बैनर को पढ़कर लोग चौंक रहे हैं, क्योंकि कैंटिन का दायित्व एलएलबी के छात्रों को सौंपा गया है। जिसमें एलएलबी प्रथम वर्ष के छात्र नरेन्द्र राजपूत, कपिल जैन, रितेश भैरवा, जितेन्द्र रघुवंशी तथा बीए प्रथम के छात्र विनोद कंगली शामिल हैं। बीए-बीकाम के विद्यार्थियों को कैंटिन ट्रेनिंग दी जाना तो समझ में आ सकता है, पर  एलएलबी कर रहे छात्रों को कैंटिन चलाने की ट्रेनिंग समझ से परे हंै।

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