यदि आपके पास कोई समाचार या फोटो है तथा आप भी किसी समस्या को शासन स्तर पर पंहुचाना चाहते हैं और किसी विषय पर लिखने के इच्छुक है,तो आपका स्वागत है ईमेल करे- writing.daswani@gmail.com, Mob No.-+919425070052

Sunday, September 30, 2012

एस.एम.एस. के माध्यम से फेल ट्रांसफार्मर की सूचना देने की व्यवस्था
कॉल-सेंटर के टोल-फ्री नम्बर पर भी होगी सूचना दर्ज
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने कृषि तथा ग्रामीण उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये एस.एम.एस. के जरिये फेल ट्रांसफार्मर की सूचना देने की व्यवस्था की है। यह व्यवस्था भी की गयी है कि फेल ट्रांसफार्मर की सूचना सेंट्रल कॉल-सेंटर के टोल-फ्री नम्बर 18004203300 पर भी दर्ज करवाई जा सकती है। उल्लेखनीय है कि कम्पनी राज्य की पहली ऐसी कम्पनी है, जिसने विद्युत वितरण प्रणाली में वितरण ट्रांसफार्मर बदलने की कार्यवाही के लिये वेब आधारित व्यवस्था की है। नयी व्यवस्था से कम्पनी कार्यक्षेत्र के भोपाल, होशंगाबाद, ग्वालियर तथा चम्बल संभाग के उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।फेल ट्रांसफार्मर की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित ट्रांसफार्मर बदलने के लिये स्वतः वरीयता सूची में शामिल किया जायेगा। कम्पनी ने यह व्यवस्था की है कि फेल ट्रांसफार्मर का संदेश मिलते ही एक शिकायत क्रमांक मिलेगा और जब तक संबंधित फेल ट्रांसफार्मर नहीं बदला जा सकता, तब तक इसके संबंध में पूरी जानकारी मोबाइल फोन पर समय-समय पर मिलती रहेगी।
क्या करना होगा
किसानों को केवल यह करना है कि ट्रांसफार्मर फेल होने पर डी.पी. पर प्रिन्ट किये हुए 10 अंक वाला नम्बर अपने मोबाइल फोन के मैसेज बॉक्स में एस.एम.एस. के रूप में लिखना है। साथ ही कम्पनी के मोबाइल नम्बर 9039110022 पर भी सूचना भेजना होगी।

Saturday, September 29, 2012

पितृ पक्ष में हमें क्या करना चाहिए और कैसे करना चाहिए...
पंडित शैलेश तिवारी नयन
वैसे तो पुरातन काल से ही श्राध्द पक्ष में पितरों के तर्पण का कार्य किया जाता रहा है। वर्तमान में श्राध्द पक्ष आते ही कई लोगों द्वारा यह जानने की कोशिशें की जाती हैं कि इस पितृ पक्ष में हमें क्य करना चाहिए और कैसे करना खहिए? इन सवालों का उसे तो सही जवाब मिल जाता है जो उचित माध्यम तक पहुंच जाता है लेकिन जो ऐसा नहीं कर पाता वह श्राध्द पक्ष में जो देखता आया हे या तो उसे करता हे अथवा जो समझ में आता है वह कर लेता है और जब कभी चर्चा होती है कि कि प्रकार श्राध्द कर्म किया जाए तो मन की कसक उभर आती है कि इसकी जानकारी लेने के बाद श्राध्द करना था। ऐसे ही लोगों की जिज्ञासा शांत करने का प्रयास किया जा रहा है।
ऐसी मान्यता है कि किसी खास पक्ष (श्राध्द पक्ष) में हमें अपने पूर्वजों के प्रति आदर, स मान तथा प्रेम प्रकट करने के लिए उनकी विशेष पूजा, ध्यान आदि करना चाहिए, जिसे श्राध्द पक्ष भी कहा जाता है। भारत में सदियों से श्राध्द की परंपरा रही है। पुत्रों द्वारा अपने पितरोंका श्रध्दापूर्वकध्यान करना तथा उनकी आत्मा की शांति एवं जीवन में त्याग आदि के लिए धन्यवाद देना ही श्राध्द है। जीते जी पिता की सेवा करना तथा मृत्यु पश्चात उनके कर्मो तथा उनके बलिदान को पूजनापुत्र का कर्तव्य है। ऐसा करने से पिता एवं पितर (पूर्वज आदि) सभी प्रसन्न रहते हैं तथा पुत्रों एवं आने वाली पीढी को कोई दोष व पाप नहीं लगता।
यदि पुत्रों को इस बात का अहसास हो कि परिस्थितिवश उनसे कभी भूल-चूक हो गई थी, जिसका उन्हें अफसोस है तथा समय रहते वह उनसे क्षमा-याचना नहीं कर सका, तो श्रध्दा अनुसार, वह अपने पितरोंको किसी भी माह में किसी भी दिन तर्पण, पूजा, व्रत, दान आदि किए बिना ही उन्हें याद कर सकता है। सच्ची श्रध्दा ही इसके लिए काफी है। श्राध्द का समय ऱ्भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक चलने वाला यह सोलह दिवसीय पितरोंका तर्पण पितृ-पक्ष कहलाता है। इसी पक्ष में श्राध्द करने से पितरोंको तृप्ति प्राप्त होती है।
भारतीय संस्कृति के अनुसार मृत्यु के साथ जीवन समाप्त नहीं होता, अनन्त जीवन शृंखला की एक कड़ी मृत्यु भी है, जब वह एक जन्म पूरा करके अगले जीवन की ओर उन्मुख होता है, कामना की जाती है कि स बन्धित जीवात्मा का अगला जीवन पिछले की अपेक्षा अधिक सुसंस्कारवान् बने । इस निमित्त जो कर्मकाण्ड किये जाते हैं, उनका लाभ जीवात्मा को यिा-कर्म करने वालों की श्रध्दा के माध्यम से ही मिलता है । इसलिए मरणोत्तर संस्कार को श्राध्दकर्म भी कहा जाता है । इसी श्राध्द कर्म को करने के लिए जिन वस्तुओं की जरूरत होती है उसका विवरण भी देने का प्रयास किया जा रहा है।
भारतीय संस्कृति के अनुसार मृत्यु के साथ जीवन समाप्त नहीं होता, अनन्त जीवन शृंखला की एक कड़ी मृत्यु भी है, जब वह एक जन्म पूरा करके अगले जीवन की ओर उन्मुख होता है, कामना की जाती है कि स बन्धित जीवात्मा का अगला जीवन पिछले की अपेक्षा अधिक सुसंस्कारवान् बने । इस निमित्त जो कर्मकाण्ड किये जाते हैं, उनका लाभ जीवात्मा को यिा-कर्म करने वालों की श्रध्दा के माध्यम से ही मिलता है । इसलिए मरणोत्तर संस्कार को श्राध्दकर्म भी कहा जाता है । इसी श्राध्द कर्म को करने के लिए जिन वस्तुओं की जरूरत होती है उसका विवरण भी देने का प्रयास किया जा रहा है।
- तर्पण के लिए पात्र ऊँचे किनारे की थाली, परात, पीतल या स्टील की टैनियाँ (तसले, तगाड़ी के आकार के पात्र) आदि उपयुक्त रहते हैं । एक पात्र जिसमें तर्पण किया जाए, दूसरा पात्र जिसमें जल अर्पित करते रहें । तर्पण पात्र में जल पूर्ति करते रहने के लिए कलश आदि पास ही रहे । इसके अतिरिक्त कुश, चावल, जौ, तिल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रखें ।
- पिण्ड दान के लिए लगभग एक पाव गुँथा हुआ जौ का आटा । जौ का आटा न मिल सके, तो गेहूँ के आटे में जौ, तिल मिलाकर गूँथ लिया जाए । पिण्ड स्थापन के लिए पत्तलें , केले के पत्ते आदि । पिण्डदान सिंचित करने के लिए दूध-दही, मधु थोड़ा-थोड़ा रहे ।
- पंचबलि एवं नैवेद्य के लिए भोय पदार्थ । सामान्य भोय पदार्थ के साथ उड़द की दाल की टिकिया (बड़े) तथा दही इसके लिए विशेष रूप से रखने की परिपाटी है । पंचबलि अर्पित करने के लिए हरे पत्ते या पत्तल लें ।
-पूजन वेदी पर चित्र, कलश एवं दीपक के साथ एक छोटी ढेरी चावल की यम तथा तिल की पितृ आवाहन के लिए बना देनी चाहिए ।
पितृ- आवाहन-पूजन
इसके पश्चात् इस संस्कार के विशेष कृत्य आर भ किये जाएँ । कलश की प्रधान वेदी पर तिल की एक छोटी ढेरी लगाएँ, उसके ऊपर दीपक रखें । इस दीपक के आस-पास पुष्पों का घेरा, गुलदस्ता आदि से सजाएँ । छोटे-छोटे आटे के बने ऊपर की ओर बत्ती वाले घृतदीप भी किनारों पर सीमा रेखा की तरह लगा दें । उपस्थित लोग हाथ में अक्षत लेकर मृतात्मा के आवाहन की भावना करें और प्रधान दीपक की लौ में उसे प्रकाशित हुआ देखें । इस आवाहन का मन्त्र ? विश्वे देवास.. है । सामूहिक मन्त्रोच्चार के बाद हाथों में रखे चावल स्थापना की चौकी पर छोड़ दिये जाएँ । आवाहित पितृ का स्वागत-स मान षोडशोपचार या पञ्चोपचार पूजन द्वारा किया जाए ।
तपर्ण
आवाहन, पूजन, नमस्कार के उपरान्त तपर्ण किया जाता है । जल में दूध, जौ, चावल, चन्दन डाल कर तपर्ण कार्य में प्रयुक्त करते हैं । मिल सके, तो गंगा जल भी डाल देना चाहिए । तृप्ति के लिए तपर्ण किया जाता है । स्वगर्स्थ आत्माओं की तृप्ति किसी पदाथर् से, खाने-पहनने आदि की वस्तु से नहीं होती, क्योंकि स्थूल शरीर के लिए ही भौतिक उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है । मरने के बाद स्थूल शरीर समाप्त होकर, केवल सूक्ष्म शरीर ही रह जाता है । सूक्ष्म शरीर को भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी आदि की आवश्यकता नहीं रहती, उसकी तृप्ति का विषय कोई, खाद्य पदार्थ या हाड़-मांस वाले शरीर के लिए उपयुक्त उपकरण नहीं हो सकते । सूक्ष्म शरीर में विचारणा, चेतना और भावना की प्रधानता रहती है, इसलिए उसमें उत्कृष्ट भावनाओं से बना अन्त:करण या वातावरण ही शान्तिदायक होता है ।
इस दृश्य संसार में स्थूल शरीर वाले को जिस प्रकार इन्द्रिय भोग, वासना, तृष्णा एवं अहंकार की पूर्ति में सुख मिलता है, उसी प्रकार पितरों का सूक्ष्म शरीर शुभ कर्म से उत्पन्न सुगन्ध का रसास्वादन करते हुए तृप्ति का अनुभव करता है । उसकी प्रसन्नता तथा आकांक्षा का केन्द्र बिन्दु श्रध्दा है । श्रध्दा भरे वातावरण के सान्निध्य में पितर अपनी अशान्ति खोकर आनन्द का अनुभव करते हैं, श्रध्दा ही इनकी भूख है, इसी से उन्हें तृप्ति होती है । इसलिए पितरों की प्रसन्नता के लिए श्रध्दा एवं तपर्ण किये जाते हैं । इन यिाओं का विधि-विधान इतना सरल एवं इतने कम खर्च का है कि हर वर्ग इसे आसानी से का सके। तपर्ण में प्रधानतया जल का ही प्रयोग होता है । उसे थोड़ा सुगंधित एवं परिपुष्ट बनाने के लिए जौ, तिल, चावल, दूध, फूल जैसी दो-चार मांगलिक वस्तुएँ डाली जाती हैं । कुशाओं के सहारे जौ की छोटी-सी अंजलि मन्त्रोच्चारपूवर्क डालने मात्र से पितर तृप्त हो जाते हैं, किन्तु इस यिा के साथ आवश्यक श्रध्दा, कृतज्ञता, सद्भावना, प्रेम, शुभकामना का समन्वय अवश्य होना चाहिए । यदि श्रध्दाञ्जलि इन भावनाओं के साथ की गयी है, तो तपर्ण का उद्देश्य पूरा हो जायेगा, पितरों को आवश्यक तृप्ति मिलेगी, किन्तु यदि इस प्रकार की कोई श्रध्दा भावना तपर्ण करने वाले के मन में नहीं होती और केवल लकीर पीटने के मात्र पानी इधर-उधर फैलाया जाता है, तो इतने भर से कोई विशेष प्रयोजन पूर्ण न होगा, इसलिए इन पितृ-कर्मो के करने वाले यह ध्यान रखें कि इन छोटे-छोटे यिा-कृत्यों को करने के साथ-साथ दिवंगत आत्माओं के उपकारों का स्मरण करें, उनके सद्गुणों तथा सत्कर्मो के प्रति श्रध्दा व्यक्त करें । श्राध्द पक्ष में तर्पण का ही विशेष महत्व रहता है जिसे उक्त अनुसार करने की संक्षिप्त विधि बताने का प्रयास किया है। इस विधि मात्र से ही तर्पण का कार्य पूर्ण हो जाता है। इसके अलावा पिंड दान या उनका विसर्जन आदि कार्यक्रम भी श्रध्दालु संपन्न करते हैं जिन्हें सेपन्न कराने के लिए अपने क्षेत्र के पुरोहित का मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं लेकिन जो लोग स्वयं इस कार्य को करना चाहते हैं उनके लिए भी इस साइट पर मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सपरिवार प्रेमपुरा घाट में 



किया श्री गणेश प्रतिमा का विसर्जन

मुख्यमंत्री निवास में गणेश चतुर्थी से स्थापित गणपति प्रतिमा को आज अनंत चतुदर्शी के अवसर श्रद्धा भाव से परम्परागत पूजा-अर्चना करते हुए स्थानीय प्रेमपुरा घाट में विसर्जित किया गया। प्रतिमा विसर्जन के समय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह, परिजन और मुख्यमंत्री निवास, कार्यालय 
के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
श्री चौहान ने “ गणपति-बप्पा-मोरया-अगले बरस फिर जल्दी आ ” के जयकारों के मध्य पूरे विधि-विधान से गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया। श्री गणेश प्रतिमा की घाट पर विधिवत पूजा-अर्चना एवं आरती की गयी। उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद भी वितरित किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि श्री गणेश को आज भरे मन से विदाई देने आये हैं। उनसे प्रार्थना है कि वे कभी हमें छोड़कर नहीं जायें। उनका आशीर्वाद सदा बना रहे। उनके आशीर्वाद से रिद्धि-सिद्धि आयेगी, जनता का कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि भगवान श्री गणेश का पूजन इसी भावना से करते हैं। सबका मंगल हो, सबको सुख-शांति प्राप्त हो। सभी भौतिक सुख के साथ ही आध्यात्मिक शांति के उच्च आदर्श को प्राप्त करें।

भापुसे और रापुसे के अधिकारियों की नई पद-स्थापना

राज्य शासन द्वारा भारतीय पुलिस सेवा एवं राज्य पुलिस सेवा के 7 अधिकारी की नई पद-स्थापना की गई है। श्री राजेश गुप्ता पुलिस महानिरीक्षक गुप्त वार्ता एवं विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी संस्कृति विभाग और प्रभारी साँची विश्वविद्यालय को पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय के साथ विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी संस्कृति विभाग और साँची विश्वविद्यालय का प्रभारी तथा सुश्री
 सोनाली मिश्रा विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी एवं पदेन सचिव गृह विभाग को पुलिस महानिरीक्षक गुप्त वार्ता पुलिस मुख्यालय भोपाल बनाया गया है।

श्री आई.पी. कुलश्रेष्ठ पुलिस अधीक्षक रायसेन को सहायक पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय भोपाल, श्री आर.एस. मीणा पुलिस अधीक्षक बड़वानी को सेनानी प्रथम वाहिनी विसबल इंदौर, श्री आर.सी. बुर्रा पुलिस अधीक्षक नारकोटिक्स इंदौर को पुलिस अधीक्षक बड़वानी, श्री शशिकांत शुक्ला पुलिस अधीक्षक मुख्यमंत्री सुरक्षा को पुलिस अधीक्षक रायसेन और श्री शैलेन्द्र सिंह चौहान पुलिस अधीक्षक एटीएस को पुलिस अधीक्षक मुख्यमंत्री सुरक्षा के पद पर पदस्थ किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आठ दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना
स्टेट हैंगर पर दी गई आत्मीय विदाई
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज सायं अमेरिका की 8 दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान यात्रा के दौरान विश्व बैंक के अधिकारियों, अमेरिका के प्रमुख निवेशकों, शिक्षाविदों और प्रवासी भारतीयों से चर्चा करेंगे। वे विश्व बैंक और मिशिगन विश्वविद्यालय में मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण और विकास कार्य पर आधारित प्रस्तुतीकरण और व्याख्यान देंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गयी लाड़ली लक्ष्मी, गाँव की बेटी, ऊषा किरण, मुख्यमंत्री कन्यादान, महिलाओं के लिये नौकरियों और स्थानीय निकाय निर्वाचन में आरक्षण जैसी विभिन्न योजनाओं और कार्यों को विश्व बैंक द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य माना गया है। विश्व बैंक द्वारा प्रदेश सरकार की इन उपलब्धियों की जानकारी और प्रदेश में सफलता के साथ अपनाये गये तरीकों को प्रस्तुत करने के लिये आमंत्रित किया गया है। प्रदेश की प्रस्तावित महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजनाओं, मालवा की जल समस्या के स्थायी हल के लिये नर्मदा, काली सिंध, पार्वती तथा गंभीर नदियों को जोड़ने की 18 हजार करोड़ लागत की परियोजना, आँगनवाड़ी भवनों का निर्माण आदि अनेक योजनाओं, न्यूनतम ब्याज दर और आर्थिक सहयोग के बारे में चर्चा करेंगे। श्री चौहान मध्यप्रदेश में विकास के प्रयासों में निवेश की संभावनाओं पर यूनाइटेड स्टेट्स इंडियन बिजनेस काउंसिल के तत्वावधान में प्रमुख निवेशकों के साथ भी विचार-विमर्श करेंगे।
अमेरिका यात्रा के दौरान मिशिगन विश्वविद्यालय में मध्यप्रदेश और भारत में बुनियादी विकास की संभावनाओं पर व्याख्यान देंगे। श्री चौहान स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयंती के अवसर पर इस यात्रा के दौरान शिकागो स्थित विवेकानंद मेमोरियल में जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। मुख्यमंत्री भारतीय समुदायों के साथ विभिन्न अवसरों पर सम्पर्क और चर्चा भी करेंगे।
श्री चौहान आज रात मुम्बई पहुँचकर भारतीय समय अनुसार वहाँ से देर रात 1.30 बजे न्यूयार्क के लिये रवाना होंगे। वे अमेरिकी समय अनुसार 30 सितम्बर की प्रातः 7.55 बजे न्यूयार्क के लिबर्टी इंटरनेशनल विमानतल पहुँचेंगे। न्यूयार्क से प्रातः 10.30 बजे रवाना होकर प्रातः 11.43 बजे वाशिंगटन पहुँचेंगे।
स्टेट हैंगर पर बड़ी संख्या में नागरिकों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह को पुष्प-माला, गुलदस्ते देकर आत्मीय विदाई दी। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, राज्यसभा सदस्य श्री प्रभात झा, मंत्रीगण सर्वश्री सरताजसिंह, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, कुँवर विजय शाह, श्री जगदीश देवड़ा, श्री नागेन्द्र सिंह, श्री उमाशंकर गुप्ता, श्री कन्हैयालाल अग्रवाल, श्री महेन्द्र हार्डिया, निगम-मंंडलों के अध्यक्ष, विधायक, मुख्य सचिव श्री आर.परशुराम और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।

महाविद्यालयों के खेल-कैलेण्डर में आंशिक संशोधन
  उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व में जारी खेल-कैलेण्डर वर्ष 2012-13 में आंशिक संशोधन किया गया है। बास्केटबाल (पुरुष) अब 8-10 अक्टूबर, टेबल-टेनिस (पुरुष/महिला) 19-21 अक्टूबर, क्रिकेट (पुरुष) 1-3 नवम्बर और एथलेटिक्स (पुरुष/महिला) प्रतियोगिता 2-4 नवम्बर को होंगी।
उर्दू नाट्य समारोह 3-6 अक्टूबर को
रवीन्द्र भवन में रोज शाम 7 बजे 
साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा तराना--हिंदीसारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमाराके रचयिता अल्लामा इकबाल की याद में उर्दू नाट्य समारोह रवीन्द्र भवन में 3 से 6 अक्टूबर को किया जा रहा है। अल्लामा इकबाल की याद में प्रतिदिन शाम 7 बजे होने वाले उर्दू नाट्य समारोह में चार उर्दू नाटक मंचित किए जाएँगे।
समारोह के प्रथम दिन रंग शीर्ष भोपाल द्वारा उर्दू के प्रख्यात ड्रामानिगार श्री आगा हश्र कश्मीरी का लिखित नाटकयहूदी की लड़कीमंचित किया जाएगा। इसका निर्देशन श्री संजय मेहता करेंगे। दूसरे दिन रंग समूह संस्था द्वारा श्री रशीद अंजुम द्वारा लिखित नाटकजिंदगीनामाका मंचन किया जाएगा। इस नाटक का निर्देशन श्री अशोक बुलानी ने किया है। तीसरे दिन 5 अक्टूबर 2012 को कारवां संस्था द्वारा उर्दू नाटकदुहाई लुकमानश्री नजीर कुरैशी के निर्देश में मंचित किया जाएगा। समारोह का समापन 6 अक्टूबर 2012 को रफी शब्बीर द्वारा लिखित नाटकखाला कमाल कीसे होगा। अदाकार संस्था की इस प्रस्तुति का निर्देशन फर्रुखशेर खान ने किया है।
प्लास्टिक-पॉलीथिन मुक्त प्रदेश बनाने चलाएँ जागरूकता अभियान

 प्रदेश को प्लास्टिक-पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए महाविद्यालयों के राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाने के निर्देश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए हैं। जागरूकता कार्यक्रम में संगोष्ठी, परिचर्चा एवं विशेष शिविरों का आयोजन संस्था परिसर एवं गोद क्षेत्र में मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड भोपाल के मार्गदर्शन में करने को कहा गया है।
आयुक्त उच्च शिक्षा ने कहा है कि राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों को शहर के नजदीकी वन क्षेत्रों में ईको पर्यटन के माध्यम से ज्ञानवर्धन एवं प्रकृति के विभिन्न आयाम को समझने के लिए वहाँ भ्रमण जरूर करवाया जाये।





महाविद्यालयों के खेल-कैलेण्डर में आंशिक संशोधन
  उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व में जारी खेल-कैलेण्डर वर्ष 2012-13 में आंशिक संशोधन किया गया है। बास्केटबाल (पुरुष) अब 8-10 अक्टूबर, टेबल-टेनिस (पुरुष/महिला) 19-21 अक्टूबर, क्रिकेट (पुरुष) 1-3 नवम्बर और एथलेटिक्स (पुरुष/महिला) प्रतियोगिता 2-4 नवम्बर को होंगी।
उर्दू नाट्य समारोह 3-6 अक्टूबर को
रवीन्द्र भवन में रोज शाम 7 बजे 
साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा तराना--हिंदीसारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमाराके रचयिता अल्लामा इकबाल की याद में उर्दू नाट्य समारोह रवीन्द्र भवन में 3 से 6 अक्टूबर को किया जा रहा है। अल्लामा इकबाल की याद में प्रतिदिन शाम 7 बजे होने वाले उर्दू नाट्य समारोह में चार उर्दू नाटक मंचित किए जाएँगे।
समारोह के प्रथम दिन रंग शीर्ष भोपाल द्वारा उर्दू के प्रख्यात ड्रामानिगार श्री आगा हश्र कश्मीरी का लिखित नाटकयहूदी की लड़कीमंचित किया जाएगा। इसका निर्देशन श्री संजय मेहता करेंगे। दूसरे दिन रंग समूह संस्था द्वारा श्री रशीद अंजुम द्वारा लिखित नाटकजिंदगीनामाका मंचन किया जाएगा। इस नाटक का निर्देशन श्री अशोक बुलानी ने किया है। तीसरे दिन 5 अक्टूबर 2012 को कारवां संस्था द्वारा उर्दू नाटकदुहाई लुकमानश्री नजीर कुरैशी के निर्देश में मंचित किया जाएगा। समारोह का समापन 6 अक्टूबर 2012 को रफी शब्बीर द्वारा लिखित नाटकखाला कमाल कीसे होगा। अदाकार संस्था की इस प्रस्तुति का निर्देशन फर्रुखशेर खान ने किया है।
प्लास्टिक-पॉलीथिन मुक्त प्रदेश बनाने चलाएँ जागरूकता अभियान


 प्रदेश को प्लास्टिक-पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए महाविद्यालयों के राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाने के निर्देश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए हैं। जागरूकता कार्यक्रम में संगोष्ठी, परिचर्चा एवं विशेष शिविरों का आयोजन संस्था परिसर एवं गोद क्षेत्र में मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड भोपाल के मार्गदर्शन में करने को कहा गया है।
आयुक्त उच्च शिक्षा ने कहा है कि राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों को शहर के नजदीकी वन क्षेत्रों में ईको पर्यटन के माध्यम से ज्ञानवर्धन एवं प्रकृति के विभिन्न आयाम को समझने के लिए वहाँ भ्रमण जरूर करवाया जाये।





महाविद्यालयों के खेल-कैलेण्डर में आंशिक संशोधन
  उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व में जारी खेल-कैलेण्डर वर्ष 2012-13 में आंशिक संशोधन किया गया है। बास्केटबाल (पुरुष) अब 8-10 अक्टूबर, टेबल-टेनिस (पुरुष/महिला) 19-21 अक्टूबर, क्रिकेट (पुरुष) 1-3 नवम्बर और एथलेटिक्स (पुरुष/महिला) प्रतियोगिता 2-4 नवम्बर को होंगी।
उर्दू नाट्य समारोह 3-6 अक्टूबर को
रवीन्द्र भवन में रोज शाम 7 बजे 
साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा तराना--हिंदीसारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमाराके रचयिता अल्लामा इकबाल की याद में उर्दू नाट्य समारोह रवीन्द्र भवन में 3 से 6 अक्टूबर को किया जा रहा है। अल्लामा इकबाल की याद में प्रतिदिन शाम 7 बजे होने वाले उर्दू नाट्य समारोह में चार उर्दू नाटक मंचित किए जाएँगे।
समारोह के प्रथम दिन रंग शीर्ष भोपाल द्वारा उर्दू के प्रख्यात ड्रामानिगार श्री आगा हश्र कश्मीरी का लिखित नाटकयहूदी की लड़कीमंचित किया जाएगा। इसका निर्देशन श्री संजय मेहता करेंगे। दूसरे दिन रंग समूह संस्था द्वारा श्री रशीद अंजुम द्वारा लिखित नाटकजिंदगीनामाका मंचन किया जाएगा। इस नाटक का निर्देशन श्री अशोक बुलानी ने किया है। तीसरे दिन 5 अक्टूबर 2012 को कारवां संस्था द्वारा उर्दू नाटकदुहाई लुकमानश्री नजीर कुरैशी के निर्देश में मंचित किया जाएगा। समारोह का समापन 6 अक्टूबर 2012 को रफी शब्बीर द्वारा लिखित नाटकखाला कमाल कीसे होगा। अदाकार संस्था की इस प्रस्तुति का निर्देशन फर्रुखशेर खान ने किया है।
प्लास्टिक-पॉलीथिन मुक्त प्रदेश बनाने चलाएँ जागरूकता अभियान


 प्रदेश को प्लास्टिक-पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए महाविद्यालयों के राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाने के निर्देश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए हैं। जागरूकता कार्यक्रम में संगोष्ठी, परिचर्चा एवं विशेष शिविरों का आयोजन संस्था परिसर एवं गोद क्षेत्र में मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड भोपाल के मार्गदर्शन में करने को कहा गया है।
आयुक्त उच्च शिक्षा ने कहा है कि राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों को शहर के नजदीकी वन क्षेत्रों में ईको पर्यटन के माध्यम से ज्ञानवर्धन एवं प्रकृति के विभिन्न आयाम को समझने के लिए वहाँ भ्रमण जरूर करवाया जाये।