अधिसूचित राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य क्षेत्रों के 94 गाँव पुनर्वसित
राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य क्षेत्रों में स्थित 94 गाँव को अब तक संरक्षित क्षेत्रों से बाहर किया जाकर पुनर्वसित किया जा चुका है। प्रदेश में 10 राष्ट्रीय उद्यान एवं 25 अभयारण्य क्षेत्र अधिसूचित हैं जिनमें कान्हा, पेंच, बाँधवगढ़, सतपुड़ा, पन्ना और संजय टाईगर रिजर्व भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि संरक्षित क्षेत्रों के लोगों को वन्य-प्रणियों द्वारा जनहानि, पशुहानि और फसल हानि जैसी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वन्य-प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत इस क्षेत्र में संपत्ति का क्रय-विक्रय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत लघु वनोपज, जलाऊ लकड़ी संग्रहण, वृक्षों की कटाई तथा घरों का निर्माण भी प्रतिबंधित है।
वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अधिसूचना के समय कुल 821 गाँव संरक्षित क्षेत्रों में स्थित थे। इन गाँवों के पुनर्वास के बाद शेष बचे 730 गाँव में से 192 गाँव को ‘एन्क्लेव’ के रूप में रखा जाना और 426 गाँव को संरक्षित क्षेत्र की सीमाओं के पुर्निर्धारण के बाद बाहर किया जाना प्रस्तावित है। इस प्रकार इन संरक्षित क्षेत्रों के कुल 112 गाँवों को वास्तविक रूप से पुर्नवसित किया जाएगा।
मध्यप्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों की सीमाओं की पुनः निर्धारित करते, सीमा पर स्थित गाँवों बाहर करने एवं अत्यन्त अन्दर स्थित ऐसे गाँव जहाँ मानव-वन्य-प्राणी सह अस्तित्व संभव है, को एनक्लेव के रूप में रखने के लिए अनुमति के संबंघ में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की गई है। प्रस्तावित योजना अनुसार 112 गाँव में से 3 गाँव का विस्थापन किया जा चुका है। जिन 109 गाँव का विस्थापन किया जाना शेष है उनमें टाईगर रिजर्व्स कोर क्षेत्र के 85 गाँव शामिल हैं।
3131 करोड़ की दरकार
भारत सरकार द्वारा निर्धारित प्रति यूनिट 10 लाख रूपये की दर से संरक्षित क्षेत्रों के परिवारों के विस्थापन के लिए कुल 3131 करोड़ 40 लाख रूपये की आवश्यकता होगी। टाईगर रिजर्व के 85 गाँव में 8,677 परिवार निवासरत है। प्रति परिवार औसत 03 यूनिट मानते हुए 10 लाख रूपये की दर से इनके व्यवस्थापन के लिए 2603.10 करोड़ रूपये की जरूरत होगी।
यह राशि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा प्रदाय की जानी है। इसी तरह अन्य राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्यों में स्थित 24 गाँव के 1,761 निवासरत परिवारों के विस्थापन के लिए 528.30 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी।
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