स्त्रों पर सौन्दर्य की नवाचारी अभिव्यक्ति है फेशन टेक्नोलॉजीः राज्यपाल
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राष्ट्रीय फेशन टेक्नोलॉजी संस्थान का प्रथम दीक्षांत समारोह सम्पन्न |
राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने कहा है कि फेशन टेक्नालॉजी वस्त्रों पर सौंदर्य को उत्कृष्टता और नवाचारी तरीकों से साकार करने की एक कला है। उन्होंने कहा कि फेशन डिजाइनिंग सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवहार से प्रभावित होती है। यह समय तथा जगह के साथ बदलती रहती हैं। श्री यादव आज यहाँ राष्ट्रीय फेशन टेक्नालॉजी संस्थान के पहले दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में राज्यपाल ने फेशन टेक्नालॉजी के प्रथम स्नातक छात्रों को उपाधियाँ वितरित कीं। इनमें से 32 छात्र को फैशन एवं लाइफ स्टाइल ऐसेसरीज वर्ग में और 26 छात्र-छात्राओं को टेक्सटाईल डिजाइनिंग वर्ग में स्नातक की उपाधियाँ दी गई। राज्यपाल श्री यादव ने सुश्री निष्ठा अरोरा, सुश्री स्तुति बिसेन और सुश्री सबा फातिमा अली को फैशन शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रमाण-पत्र, गोल्ड मेडल और ग्यारह हजार रुपये की सम्मान राशि दी।
राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि फेशन टेक्नालॉजी रोजगार की असीम सम्भावनाओं वाला व्यापक फलक है। उन्होंने कहा कि फेशन डिजाइनिंग के व्यवसाय के दौरान सामाजिक और मानवीय मूल्यों तथा संदर्भों को सदैव याद रखें। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की सीमाओं में आधुनिकता को इस प्रकार अपनाएँ कि गरिमा प्रभावित न हो। श्री यादव ने कहा कि इस संस्थान की व्यावसायिक दक्षता की मदद से प्रदेश के महेश्वर और चंदेरी के वस्त्रोद्योग को नये प्रयोग और ऊँचाइयाँ दी जा सकती हैं। श्री यादव ने प्रदेश के वस्त्र उद्योग से जुड़े समूहों और कारीगरों के कौशल उन्नयन की दिशा में भी प्रयास करने के निर्देश दिये।
पूर्व में संस्थान के निर्देशक श्री एम.पी. निगम ने स्वागत भाषण में कहा कि संस्थान का प्रथम स्नातक समूह, फेशन की व्यवसायिक दुनिया के राजूदत हैं। उन्होंने छात्रों से फेशन कला में नवोन्मेषी विचारों के उपयोग का आग्रह किया। संस्थान के दिल्ली प्रतिनिधि डा. बानी झा ने स्नातक छात्रों को फेशन डिजाइनिंग से जुड़ी शपथ ग्रहण करवाई। इस अवसर पर प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी की महानिदेशक श्रीमती आभा अस्थाना और मेपकास्ट के महानिदेशक श्री पी.के. वर्मा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शीलू अस्थाना ने किया। सहायक प्राध्यापक प्रीति आर्या ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भी भेंट किये गये।
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