राज्य आयुष नियंत्रण कार्यक्रम लागू होगा - मुख्यमंत्री श्री चौहान
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आयुर्वेद के अध्ययन के लिये संस्कृत ज्ञान आवश्यक- पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री जोशी,विश्व आयुर्वेद सम्मेलन का शुभारंभ |
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में राज्य आयुष नियंत्रण कार्यक्रम लागू किया जायेगा। प्रदेश में आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा दिया जायेगा। श्री चौहान आज यहाँ विश्व आयुर्वेद सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में पूर्व केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम में वाणिज्य-उद्योग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, लोक निर्माण मंत्री श्री नागेन्द्र सिंह और स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया भी उपस्थित थे। लाल परेड मैदान में आयोजित इस सम्मेलन में मरीजों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार भी किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आयुर्वेद एक आदर्श और सरल चिकित्सा पद्धति है, जिसमें रोग के मूल कारण का निदान किया जाता है। प्रदेश के सभी शासकीय चिकित्सालयों में आयुष विंग शुरू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में आयुर्वेद को पाँचवां वेद माना गया है। सुखी जीवन का आधार निरोगी काया है। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में विश्व मानक स्तर आयुर्वेद प्रयोग करने की सुविधा दी जायेगी। गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण, आयुर्वेद के प्रयोग और अनुसंधान के लिये मध्यप्रदेश हरसंभव सहायता उपलब्ध करवायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आयुर्वेद ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें रोग के उपचार के लिये समग्र रूप से विचार किया जाता है और सम्पूर्ण उपचार होता है। शरीर स्वस्थ रहे यह सभी धर्मों में कहा गया है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिये आयुर्वेद और योग सर्वश्रेष्ठ उपाय है। प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है। आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये कई योजनाएँ शुरू की हैं। प्रदेश में औषधीय खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के अनुभव का लाभ भी लिया जाना चाहिये। इस आयुर्वेद सम्मेलन के सुझावों को प्रदेश सरकार क्रियान्वित करने की योजना बनायेगी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सक संकल्प लें कि वे आयुर्वेद पद्धति से उपचार करेंगे। प्रदेश में 697 आयुर्वेद चिकित्सक की नियुक्ति की गई है। उन्होंने कहा कि विकास का पैमाना आम आदमी को मिलने वाली सुविधाएँ होना चाहिये। विकास की ऐसी दिशा होना चाहिये जो आने वाली पीढ़ी के लिये बेहतर दुनिया छोड़ कर जायें। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने धनवंतरी संकल्प दिलाया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री जोशी ने कहा कि स्वदेशी उत्पादन, योग तथा आयुर्वेद से देश के व्यापारिक घाटे को पूरा किया जा सकता है। इसके लिये पेटेंट कानून में अपेक्षित परिवर्तन की जरूरत है। श्री जोशी ने कहा कि दुनिया को प्रभावी और आसान चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के माध्यम से दी जा सकती है। आयुर्वेद में मानव के पूर्ण स्वास्थ्य की कल्पना की गई है जिसमें शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा शामिल है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के प्रत्येक विद्यार्थी को आयुर्वेद पढ़ना चाहिये। देश के कानूनों में ऐसे परिवर्तन किये जाना चाहिये जिससे आयुर्वेदिक औषधियों के व्यापार में आसानी हो।
श्री जोशी ने कहा कि मध्यप्रदेश एक आयुर्वेद विश्वविद्यालय स्थापित करे जिसमें अध्ययन और शोध की व्यवस्था हो। आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्त और उसके पीछे जो दर्शन है उसे समझने के लिये संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। इसलिये आयुर्वेद के अध्ययन में संस्कृत के पठन-पाठन की अनिवार्यता होना चाहिये। अध्ययन, अध्यापन के क्षेत्र में शीघ्र बड़े परिवर्तनों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय उच्च विज्ञान सम्पदा के उत्तराधिकारी है, यह हमें नहीं भूलना चाहिये।
विज्ञान भारतीय के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विजय भाटकर ने भी संबोधित किया। सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत चुनिंदा शोध-पत्रों के संकलनों का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में महापौर श्रीमती कृष्णा गौर, डॉ. पी.के. वर्मा, डॉ. वी.पी. त्यागी, डॉ. के.आर. वासु, डॉ. देवेन्द्र तिगुना, डॉ. आनंद पौराणिक, डॉ. पी.एम. आर्य, डॉ. राघवेन्द्र कुलकर्णी, डॉ. लुई ब्रार, डॉ. आलिवर वर्नर भी उपस्थित थे। स्वागत भाषण डॉ. जी. गीताकृष्णन और आभार प्रदर्शन डॉ. मधुसूदन पांडे ने किया।
मध्यप्रदेश सरकार, विज्ञान भारती और वर्ल्ड आयुर्वेद फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विश्व आयुर्वेद सम्मेलन में 40 देश के करीब साढ़े तीन हजार प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
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