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Friday, December 7, 2012


गेहूँ-चने की बोवाई शीघ्र पूरी करें किसान
प्रदेश में रबी फसलों की बोवाई तेजी से चल रही है। गेहूँ तथा चना रबी मौसम की सबसे अधिक बोई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं। गेहूँ की बोवनी लगभग 30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। गेहूँ की बोवनी का लक्ष्य 49 लाख 50 हजार हेक्टेयर है। अभी सिंचित क्षेत्र, विशेषकर कमाण्ड क्षेत्रों में बोवाई की जा रही है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि असिंचित या अल्प सिंचित क्षेत्र में जहाँ गेहूँ की बोवाई नहीं करना है, वहाँ चने की बोवाई करने का अवसर है। दिसम्बर मध्य तक बोवाई करने वाले किसानों को गेहूँ की विदिशा, पूसा 111, मालव शक्ति, सुधा, पोषण, पूसा गौरव, जी डब्ल्यू 173 एवं जी डब्ल्यू 273 में से उपयुक्त किस्मों का चुनाव करना चाहिए। पर्याप्त पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्र के लिए ये किस्म अनुशंसित हैं, जिनसे भरपूर उत्पादन लिया जा सकता है। बोवाई में बहुत अधिक देरी नहीं करना चाहिए। बीज में बीजोपचार दवा तथा एजेटोबेक्टर कल्चर एवं रायजोबिम कल्चर जरूर मिलाया जाये।

विभाग के अनुसार चना फसल की बोवाई शीघ्रता से पूरी कर लेना चाहिये। अन्यथा फसल की अगली अवस्थाओं में नमी की कमी का प्रभाव वृद्धि तथा उपज पर पड़ सकता है। चने की समय पर बोई गई फसल 30-35 दिन की होने पर उसकी खुटाई करना लाभकारी होता है।

चने के खेत में यदि नमी कम दिखाई दे तो 30-35 दिन की अवस्था पर सिंचाई की जा सकती है। चने की फसल में अधिक पानी नहीं देना चाहिए। विशेषकर फूल आते समय सिंचाई नहीं करना चाहिए।

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