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Monday, December 3, 2012


''हैं निगाहें बुलंदियों पे मेरी, क्या हुआ पांव गर ढलान पे है
नीरज गोस्वामी को सुकवि रमेश हठीला स्मृति स मान प्रदान किया गया 
सीहोर  हिंदी के सुप्रसिद्ध $गज़लकार नीरज गोस्वामी को एक गरिमामय साहित्यिक आयोजन में वर्ष 2012 का सुकवि रमेश हठीला
 स्मृति स मान प्रदान किया गया । स्थानीय ब्ल्यू बर्ड स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मु य अतिथि के रूप में विधायक श्री रमेश सक्सेना उपस्थित थे । अध्यक्षता नगरपालिका अध्यक्ष श्री नरेश मेवाड़ा ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में नागरिक बैंक अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल, हिंदी सुप्रसिद्ध कवि शशिकांत यादव एवं उर्दू के मशहूर शायर श्री इ$कबाल मसूद उपस्थित थे । 
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रकाश व्यास काका ने बैज लगाकर तथा सदस्यों अनिल पालीवाल, हरिओम शर्मा दाऊ, उमेश शर्मा, जयंत शाह, शैलेश तिवारी, श्रवण मावई, सुनील भालेराव, चंद्रकांत दासवानी, बब्बल गुरू ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया । मु बई के कवि नीरज गोस्वामी को सुकवि रमेश हठीला स मान के तहत मंगल तिलक कर एवं शाल, श्रीफल, स मान पत्र भेंट कर स मानित किया गया । श्री गोस्वामी का परिचय पंकज सुबीर ने प्रस्तुत किया । इस अवसर पर साहित्यिक संस्थाओं स्मृति के श्री अ बादत्त भारतीय, बज़्मे फरोगे उर्दू अदब के तमकीन बहादुर, हिन्दू उत्सव समिति के सतीश राठौर, अंजुमने सूफियाए उर्दू अदब के अ$फज़ाल पठान को साहित्यिक कार्यक्रमों के सफल आयोजन हेतु प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये । कार्यक्रम के दूसरे चरण में श्री इ$कबाल मसूद की अध्यक्षता में एक मुशायरे का आयोजन किया गया जियमें देश भर के शायरों ने $गज़लें पढ़ीं । नई दिल्ली के सुलभ जायसवाल ने मुशायरे का प्रारंभ करते हुए 'बेसहारा मुल्क लेकर चीखता रहता हूं मैंÓ $गज़ल पढ़कर श्रोताओं की दाद बटोरी । मु बई के अंकित सफर ने युवाओं की भावनाओं को 'बढ़ाने दोस्ती गालों पे कुछ पि पल निकल आयेÓ के माध्यम से ब ाूबी व्यक्त किया । नई दिल्ली के प्रकाश अर्श ने 'मैं ल हा हूं कि अर्सा हूं कि मुद्दत न जाने क्या हूं बीता जा रहा हूंÓ सहित कई शेर पढ़े । काश्मीर के कर्नल गौतम राजरिशी ने अपने शानदार अंदाज़ में 'चांद इधर छत पर आया है थक कर नीला नीला हैÓ जैसी शानदार $गज़लें पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । इन्दौर के शायर प्रदीप कांत ने 'थोड़े अपने हिस्से हम बाकी उनके किस्से हमÓ सहित छोटी बहर पर लिखी गई अपनी कई $गज़लें पढ़ीें । भोपाल के शायरों तिलक राज कपूर तथा डॉ सूर्या बाली ने अपनी $गज़ल 'बाज़ार ने गरीबों को मारा है इन दिनोंÓ पढ़कर श्रोताओं की खूब दाद बटोरी । स मानित कवि नीरज गोस्वामी की मु बइया शैली की $गज़लों को श्रोताओं ने खूब सराहा । 'जिसको चाहे टपका दे, रब तो है इक डान भीडूÓ तथा 'क्या हुआ पांव गर ढलान पर हैÓ शेरों को श्रोताओं ने खूब पसंद किया । उन्होंने तरन्नुम में भी कुछ $गज़लें पढ़ीें । मुशायरे का संचालन कर रहे शायर डॉ आज़म ने अपनी $गज़ल 'अजब हाल में महफिलें हैं अदब कीÓ पढ़ी । हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि शशिकांत यादव ने आपने चिरपरिचित अंदाज़ में ओज तथा देशभक्ति के गीत एवं छंद पढ़े । सैनिकों तथा राजनीतिज्ञों की तुलना करते हुए उन्होंने कविता का सस्वर पाठ किया । मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे इ$कबाल मसूद ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि ये नयी पीढ़ी हिन्दी और उर्दू के बीच पुल बनाने का काम कर रही है । उन्होंने सभी शायरों की $गज़लों को सराहा । श्री मसूद ने अपनी कई सुप्रसिद्ध $गज़लें पढ़ीें । 'इस उम्र में जो फिसले मुश्किल से संभलता हैÓ शेर को श्रोताओं ने जमकर सराहा । देर रात तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी सं या में शहर के हिंदी उर्दू के साहित्यकार, पत्रकार, एवं श्रोतागण उपस्थित थे । अंत में आभार पत्रकार श्री शैलेष तिवारी ने व्यक्त किया ।

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