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Tuesday, April 19, 2011

श्री हनुमान पूजा से पहले करें श्री राम का ध्यान संत कोकिल जी महाराज

सीहोर। हिन्दू धर्म में भगवान श्रीराम के लिए आस्था, भक्ति इतनी गहरी है कि हर व्यक्ति के बोल, व्यवहार और आचरण में राम नाम प्रगट हो ही जाता है। सामाजिक जीवन में देखें तो राम नाम के संबोधन से बोलचाल शुरू होती है। किसी शारीरिक कष्ट में मुंह से राम निकलता है या फिर किसी अमर्यादित बोल सुनकर या दृश्य देखकर राम-राम छूट जाता है। यहां तक कि किसी की मृत्यु होने पर राम के नाम का ही सहारा लेकर मृत देह की अंतिम यात्रा निकाली जाती है। शुगर फैक्ट्री स्थित बीएसआई मैदान पर श्री मारुति नंद नव युवक संगठन के तत्वाधान में जारी संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवें दिन यहां पर आए बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं और भक्तों को भगवान श्रीराम के बारे में बताते हुए राष्ट्रीय संत कोकिल जी महाराज ने कहे।
संत श्री कोकिल जी महाराज ने कहा कि जिंदगी में हर व्यक्ति तन, मन और धन के सुखों की कामना करता है। किंतु इनके अलावा एक और इच्छा हर व्यक्ति दिल में रखता है। वह है ख्याति सरल शब्दों में नाम कमाना या बड़ा नाम बनाना। नाम की महिमा धर्म और लोक जीवन में खोजें तो राम का नाम धर्म, कर्म और परंपराओं में सबसे अधिक रचा-बसा है। इसलिए जानते हैं राम नाम की ख्याति में छुपे नाम बनाने और कमाने के सूत्र को।
श्री हनुमान पूजा से पहले करें श्री राम का ऐसा ध्यान संत श्री ने कहा कि  धार्मिक आस्था है कि जहां श्री राम का स्मरण होता है, वहीं उनके परम भक्त श्री हनुमान किसी न किसी रूप में उपस्थित हो जाते हैं। राम की भक्ति और सेवा से श्री हनुमान रामदूत कहलाए। हनुमान के कारण ही युग-युगान्तर से राम भक्ति आस्था को बल और भक्ति को शक्ति देने वाली मानी जाती है। राम भक्त हनुमान बल एवं ज्ञान के प्रतीक हैं। हनुमान जी का वज्रतुल्य शरीर उनके शारीरिक बल का प्रतीक है। वे बल, बुद्धि एवं ज्ञान के दाता हैं। हनुमान जी के प्रति श्रद्धा एवं प्रेम रखने वाले के संकट व कष्ट नजदीक नहीं आते। कलियुग में हनुमान भक्ति अनिवार्य है। आज के भोग प्रधान युग में मनुष्य चिंतातुर, निर्बल व रोगी हो चुका है। अतुलित बल धामा हनुमान जी का ध्यान करने से मनुष्य के रोग नष्ट हो जाएंगे और अथाह बल का संचार होगा।
सबके लिए हनुमान चालीसा संत श्री ने कहा कि हनुमान जी भगवान श्रीराम से वादा किया कि जब तक यह
संसार रहेगा तब तक मैं आपके भक्तों की रक्षा करूगा। हनुमान चालीसा चाहे स्त्री हो या पुरुष सबको चालीसा करना चाहिए। कही किसी वेद में नही कि माताओं को चालीसा नही करनी चाहिए।  राम जी ही हनुमान जी हैं और हनुमान जी ही राम जी हैंं। हनुमान जी को राम जी का ही रूप जानना चाहिए। हनुमान जी के शरीर रूपी मन्दिर में राम जी विराजमान हैं। राम जी और हनुमान जी दो जिस्म और एक जान हैं। राम जी की अथाह कृपा एवं दिव्य शक्ति का रूप ही हनुमान है। हनुमान जी लंका में विभीषण को बताते हैं कि मैं तो कपि चंचल हूं, मेरे दर्शन करने वाले को भोजन भी नसीब नहीं होता। राम जी की कृपा ने ही हनुमान जी को महान बलशाली एवं ज्ञानी बना दिया।

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