पीएचई की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे ग्रामीण
सीहोर। एक तरफ तो सरकार लोगों तक आसानी से पेयजल की पूर्ति कराने के बंदोबस्त कर रही है। दूसरी तरह इसके विपरीत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के नकारा नुमाइंदों की लापरवाही के कारण पानी होते हुए भी लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। ग्राम बरखेड़ा हसन के इस संबंध में यहां के विकास विश्वकर्मा और लखन कुशवाहा ने जानकारी देते हुए बताया कि दलित बस्ती और ग्राम के कुछ दूर स्थित डोरी वाले बाबा के स्थान पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने कई माह पहले बोर कर दिए थे। इसके बाद इन बोर के स्थानों की सुध नही ली है। इस बार अल्प वर्षा के कारण कई जल स्त्रोतों ने दम तोड़ दिया है। जिसके कारण यहां पर रहने वाले करीब तीन सौ से अधिक लोगों को दूर-दराज के स्थानों पर जाकर पानी भरना पड़ रहा है।
ग्रामीणों में लोक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लचर कार्य प्रणाली और अनदेखी के खिलाफ रोष है। यहां के लोगों का कहना है कि तीन दिन के अंदर बोर के स्थान पर हैंड पंप नही लगे तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के खिलाफ आंदोलन करने को विवश होना पड़ेगा। दलित बस्ती के लोगों का कहना है कि पिछले दो माह पूर्व यहां पर बोर हो गया था। बोर खनन के समय काफी मात्रा में पानी भी निकला था। लेकिन विभाग ने अभी तक यहां पर बोर खनन के बाद पीछे मुड़कर नही देखा है। जिसका खामियाजा अब लोगों को भीषण गर्मी के दिनों में बूंद-बूंद पानी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। बोर खनन अब महज शो पीस साबित हो गया है।
ग्रामीणों में लोक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लचर कार्य प्रणाली और अनदेखी के खिलाफ रोष है। यहां के लोगों का कहना है कि तीन दिन के अंदर बोर के स्थान पर हैंड पंप नही लगे तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के खिलाफ आंदोलन करने को विवश होना पड़ेगा। दलित बस्ती के लोगों का कहना है कि पिछले दो माह पूर्व यहां पर बोर हो गया था। बोर खनन के समय काफी मात्रा में पानी भी निकला था। लेकिन विभाग ने अभी तक यहां पर बोर खनन के बाद पीछे मुड़कर नही देखा है। जिसका खामियाजा अब लोगों को भीषण गर्मी के दिनों में बूंद-बूंद पानी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। बोर खनन अब महज शो पीस साबित हो गया है।
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