सीहोर। भगवान परशुराम जयंती पर्व के उपलक्ष्य में रविवार को सर्व ब्राह्मण समाज के तत्वाधान में नगर में विशाल शोभा यात्रा निकाली गई। रामानुज मंडल उज्जैन के श्री युवराज स्वामी श्री माधव प्रपन्नाचार्य महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित इस विशाल शोभा यात्रा में सबसे पीछे भगवान परशुराम का रथ चल रहा था व भगवान परशुराम के वंशज हाथों में ध्वजा और फरसा लेकर जब शहर के मु य बाजारों से निकले तो पूरा शहर भगवान परशुराम के जयकारों से गूंज उठा। उक्त जानकारी देते हुए समाज के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि नगर के खजांची लाइन स्थित सर्व ब्राह्मण समाज की धर्मशाला से आरंभ हुई इस शोभा यात्रा के शुभारंभ पर भगवान परशुराम की पूजा अर्चना की गई, इस अवसर पर सर्व ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष प्रकाश व्यास काका, चल समारोह के अध्यक्ष दीपक शर्मा और युवा अध्यक्ष वरुण शर्मा आदि वरिष्ठ विप्रजनों के नेतृत्व में यह शोभा यात्रा परशुराम के जयकारों के साथ गूंजती हुई चली। आगे-आगे घोडों पर सवार ब्राह्मण समाज के युवाओं ने भगवान परशुराम के जयकारों का नेतृत्व किया। आम जनमानस के लिए शीतल व मीठे जल का प्रबंध किया गया था। शोभा यात्रा का विभिन्न बाजारों व चौराहों पर भव्य स्वागत किया गया। परशुराम वशंजों ने नृत्य व भजनों पर झूमते हुए यात्रा को संपन्न किया। शोभा यात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई यह यात्रा बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में पर विशाल आरती हुई और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हो गया। इस अवसर पर रामानुज मंडल उज्जैन के युवराज स्वामी श्री माधव प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि भगवान परशुराम ने जहां लोगों को ज्ञान का पाठ पढ़ाने के लिए शास्त्रों का मर्म बताया वहीं मानवता की रक्षा के लिए शस्त्र भी उठाया। भगवान परशुराम ने धरती पर बढ़ रहे अत्याचारों से मानवता को मुक्त करवाया। वे बड़े पराक्रमी और अद्भुत ज्ञानवान व्यक्ति थे और अपनी इसी विद्वता के चलते उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया। भगवान परशुराम विष्णु के अवतार थे। श्री दीक्षित ने बताया कि गत छह मई को भगवान परशुराम जयंती समारोह का आरंभ किया गया था। सात मई को अग्रवाल धर्मशाला में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। रविवार को आठ मई सुबह नौ बजे से रंगोली और मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके उपरांत यहां पर शाम पांच बजे चल समारोह आरंभ किया गया। वही बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल समाज धर्मशाला से यहां पर समाज की प्रतिभाओं का स मान किया गया।
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