चना फसल में इल्ली के प्रकोप के नियंत्रण के उपाय |
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सीहोर | 04-जनवरी- |
जिले के किसानों को कृषि विभाग सीहोर ने सम-सामजिक सलाह दी है कि फसल पर इल्ली के प्रकोप की रोकथाम के लिए प्रारंभ से ही कीट व्याधि नियंत्रण के उपाय अपनाना चाहिए। ताकि फसल को नुकसान नहीं पहुंचे।
समझाइश में कहा गया है कि यह कीट बहु फसल भक्षी कीट है। इसका प्रकोप मुख्य रूप से चना, कपास, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, लहसुन, मिर्च, एवं टमाटर पर पाया जाता है। कीट की इल्ली अवस्था ही फसल को हानि पहुंचाती है। प्रारंभिक अवस्था में यह पत्तियां का हरा पदार्थ खुरचकर खाती है, फिर कोमल पत्तियों टहनियों को खाती है। चने की फसल में जब फूल से घेटी बनने लगती है उसी वक्त यह कीट उस घेटी में छेद कर घेटी का दाना खाती है। यह कीट इस प्रकार से काफी क्षति पहुंचाता है और अत्यधिक प्रकोप की अवस्था में तो 25 प्रतिशत तक उत्पादन कम कर देती है। इल्ली के शरीर का ऊपरी पृष्ठ चमकीला, हरा, भूरा अथवा काले रंग का होता है तथा नीचे का भाग भूरा सा चमकदार होता है इल्ली कुछ अवस्थाओं में 40 मिली मीटर लंबी, एवं काले भूरे, हरे, गुलाबी या हल्के पीले रंग की होती है। इल्ली के एक मिलीमीटर व्यास के अण्डे तने तथा पत्तियों पर दिखाई देते है।
वयस्क कीट दिन में पौधों की पत्तियों में छिपे रहते हैं एवं रात में प्रकाश की ओर आकर्षित होते है। इस कीट का प्रकोप चने की फसल की प्रारंभिक अवस्था से लेकर फसल पकने तक रहता है। कीट की मादा अपने जीवन काल में 1219 से 1554 तक अण्डे पत्तियों की निचली सतह पर देती है। प्रारंभ में अण्डे हरे रंग के तथा बाद में इल्ली निकलने के 24 घण्टे पहले काले रंग के हो जाते है तीन से चार दिन में अण्डो से इल्ली निकलती है तथा कोमल पत्तियों को खाना प्रारंभ करती है। इल्ली 20 से 25 दिन बाद शंखी में परिवर्तित हो जाती है। पूर्ण विकसित इल्ली की लम्बाई 35 से 40 मिलीमीटर होती है 9 से 13 दिन में शंखी से वयस्क निकल आता है। दिन में वयस्क पत्तियों के नीचे या जमीन पर अंधेरे में बैठक रहते है तथा रात्रि होने पर सक्रिय हो जाते हैं। अण्डे से वयस्क तक 31 से 35 में से कीट अपना जीवन चक्र पूरा कर लेते है।
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