नगर पालिका चुनाव को लेकर वार्डों में राजनीति समीकरण बनने और बिगड़ने लगे हैं। ऐसे में अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में वार्ड स्तरीय नेताओं की सक्रियता बढ़ रही है। चूंकि अभी मतदाता सूचियों में मतदाताओं के नाम बढ़ने और घटने का क्रम जारी है, तब कई स्थानो पर मतदाता सूचियों में दूसरे क्षेत्रों के लोगों के नाम आने से रोचक स्थिति बन गई है।चुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई है। इसके पहले ही मतदाता सूचियों में दूसरे क्षेत्रों के लोगों के नाम होने अथवा मतदाताओं के नाम अन्य क्षेत्र में कर देने के आरोप सामने आने लगे हैं। अंतिम प्रकाशन के बाद मतदाता सूचियों को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
35 वार्डों के लिए शहर में पार्षदों का चुनाव होगा तथा नगर पालिका अध्यक्ष का भी निर्वाचन होगा। इन चुनावों के लिए वार्डों में तैनात शासकीय अमला मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन के बाद सक्रिय है। वार्ड स्तरीय नेता मतदाता सूचियों में लोगों के नाम नियमानुसार जुड़वाने और घटवाने में लगे हैं। इस कार्य के दौरान कुछ वार्डों में मतदाता सूचियों विवादों के घेरे में आ गई हैं, क्योंकि जिस वार्ड की सूची है, उसमें दूसरे वार्ड के लोगों के नाम आ गए हैं, तथा उस वार्ड के लोगों के नाम दूसरे वार्ड में कर दिए गए हैं।
35 वार्डों के लिए शहर में पार्षदों का चुनाव होगा तथा नगर पालिका अध्यक्ष का भी निर्वाचन होगा। इन चुनावों के लिए वार्डों में तैनात शासकीय अमला मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन के बाद सक्रिय है। वार्ड स्तरीय नेता मतदाता सूचियों में लोगों के नाम नियमानुसार जुड़वाने और घटवाने में लगे हैं। इस कार्य के दौरान कुछ वार्डों में मतदाता सूचियों विवादों के घेरे में आ गई हैं, क्योंकि जिस वार्ड की सूची है, उसमें दूसरे वार्ड के लोगों के नाम आ गए हैं, तथा उस वार्ड के लोगों के नाम दूसरे वार्ड में कर दिए गए हैं।
दो वार्डों पर निगाह
जानकार सूत्रों के अनुसार मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशन होने के बाद जब हर वार्ड में यह मतदाता सूचियां लोगों के अवलोकन के लिए रखी गई और प्रशासन ने दावे और आपत्तियां आमंत्रित की, तब गंज और मंडी क्षेत्र में के एक-एक वार्ड में सूची में शामिल कुछ नामों को लेकर आपत्तियां सामने आ रही हैं। बताते हैं कि गंज के एक वार्ड के लगभग 50 मतदाताओं के नाम दूसरे वार्ड में कर दिए गए हैं। जबकि मंडी में ऐसे दर्जनों नाम सूची में मिले हैं, जो लोग उस वार्ड में रहते ही नहीं हैं।
किसने की लापरवाही
नगर पालिका चुनाव को लेकर अध्यक्ष पद के दावेदार भले ही नगर में समीकरण बनाने में जुटे हों, लेकिन पार्षद पद के दावेदार अनेक नेता अपने अपने वार्डों में मतदाताओं सूचियों को खंगाल रहे हैं और अपने जीतने की संभावना को तलाशने में जुटे हैं। इसी दौरान मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन से सूची में सामने आ रही ऋटियों को दुरूस्त कराने के लिए आपत्ति प्रस्तुत कर रहे हैं। शहर के वार्ड क्रमांक 25 में तो एक नेता पर ही फर्जी नाम जुड़वाने के आरोप लगे हैं। अभी तक प्रशासन ने प्रारूप प्रकाशन के लिए मतदाता सूची तैयार करने वाले ऐसे कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है, जिन्होंने मतदाता सूची के कार्य में गंभीर लापरवाही बरती। यह बताया गया है कि लोगों ने मतदाता सूचियों में सामने आ रही कुछ गंभीर गलतियों को लेकर सीधे तौर पर कलेक्टर संदीप यादव और एसडीएम सुभाष द्विवेदी को शिकायत की है।
कांग्रेस और भाजपा में नए समीकरण बनने का दौर
लोकतंत्र के उत्सव के लिए शहर मे ंराजनीति वातावरण पूरी तरह से बनकर तैयार है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपने-अपने स्तर पर राजनीति को अपने पक्ष में करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। सबसे पहले पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीति को गरमा दिया। उसके बाद भाजपा के टिकिट पर वार्ड नंबर 16 से चुनाव जीते पार्षद ह्रदेश राठौर कांग्रेस में शामिल हो गए तथा समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष अयाज लाला ने पूर्व सांसद अजीज कुरैशी के सामने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कुल मिलाकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में सीधे तौर पर मुकाबला तय माना जा रहा है। इस बात को देखते हुए दोनों दल सक्रिय हो गए हैं। भाजपा के पर्यवेक्षक पूर्व मंत्री रामपाल सिंह शहर में आकर प्रमुख नेताओं से चर्चा कर चुके हैं। उनका पूर्व नपाध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा के निवास पर जिलाध्यक्ष रघुनाथ सिंह भाटी की मौजूदगी में जोरदार स्वागत हुआ। इन सबके बीच कांग्रेस ने अभी तक अपने पर्यवेक्षक घोषित नहीं किए हैं। ऐसे में अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि कांग्रेस टिकिट वितरण का केन्द्र सीहोर शहर रहेगा अथवा यहां के नेताओं को पार्षद प्रत्याशी बनने के लिए पीसीसी भोपाल के चक्कर लगाना पड़ेंगे।
जानकार सूत्रों के अनुसार मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशन होने के बाद जब हर वार्ड में यह मतदाता सूचियां लोगों के अवलोकन के लिए रखी गई और प्रशासन ने दावे और आपत्तियां आमंत्रित की, तब गंज और मंडी क्षेत्र में के एक-एक वार्ड में सूची में शामिल कुछ नामों को लेकर आपत्तियां सामने आ रही हैं। बताते हैं कि गंज के एक वार्ड के लगभग 50 मतदाताओं के नाम दूसरे वार्ड में कर दिए गए हैं। जबकि मंडी में ऐसे दर्जनों नाम सूची में मिले हैं, जो लोग उस वार्ड में रहते ही नहीं हैं।
किसने की लापरवाही
नगर पालिका चुनाव को लेकर अध्यक्ष पद के दावेदार भले ही नगर में समीकरण बनाने में जुटे हों, लेकिन पार्षद पद के दावेदार अनेक नेता अपने अपने वार्डों में मतदाताओं सूचियों को खंगाल रहे हैं और अपने जीतने की संभावना को तलाशने में जुटे हैं। इसी दौरान मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन से सूची में सामने आ रही ऋटियों को दुरूस्त कराने के लिए आपत्ति प्रस्तुत कर रहे हैं। शहर के वार्ड क्रमांक 25 में तो एक नेता पर ही फर्जी नाम जुड़वाने के आरोप लगे हैं। अभी तक प्रशासन ने प्रारूप प्रकाशन के लिए मतदाता सूची तैयार करने वाले ऐसे कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है, जिन्होंने मतदाता सूची के कार्य में गंभीर लापरवाही बरती। यह बताया गया है कि लोगों ने मतदाता सूचियों में सामने आ रही कुछ गंभीर गलतियों को लेकर सीधे तौर पर कलेक्टर संदीप यादव और एसडीएम सुभाष द्विवेदी को शिकायत की है।
कांग्रेस और भाजपा में नए समीकरण बनने का दौर
लोकतंत्र के उत्सव के लिए शहर मे ंराजनीति वातावरण पूरी तरह से बनकर तैयार है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपने-अपने स्तर पर राजनीति को अपने पक्ष में करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। सबसे पहले पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीति को गरमा दिया। उसके बाद भाजपा के टिकिट पर वार्ड नंबर 16 से चुनाव जीते पार्षद ह्रदेश राठौर कांग्रेस में शामिल हो गए तथा समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष अयाज लाला ने पूर्व सांसद अजीज कुरैशी के सामने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कुल मिलाकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में सीधे तौर पर मुकाबला तय माना जा रहा है। इस बात को देखते हुए दोनों दल सक्रिय हो गए हैं। भाजपा के पर्यवेक्षक पूर्व मंत्री रामपाल सिंह शहर में आकर प्रमुख नेताओं से चर्चा कर चुके हैं। उनका पूर्व नपाध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा के निवास पर जिलाध्यक्ष रघुनाथ सिंह भाटी की मौजूदगी में जोरदार स्वागत हुआ। इन सबके बीच कांग्रेस ने अभी तक अपने पर्यवेक्षक घोषित नहीं किए हैं। ऐसे में अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि कांग्रेस टिकिट वितरण का केन्द्र सीहोर शहर रहेगा अथवा यहां के नेताओं को पार्षद प्रत्याशी बनने के लिए पीसीसी भोपाल के चक्कर लगाना पड़ेंगे।
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