सीहोर। जनक दुलारी सीता के स्वयंवर में भगवान राम द्वारा शिव धनुष का भंजन करना ऋषि परशुराम को क्रोध अग्नि में उस समय धधका गया जब भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने ऋषि का उपहास उड़ाते कह दिया बहु धनु ही तोड़ी लरकाई, कबहु न अस रिसि कीन्ह गोसाई। यहीं से परशुराम-लक्ष्मण के मध्य जबर्दस्त संवाद शुरू हो गया। उसके बाद भगवान श्रीराम ने धनुष को तोड़कर शुक्रवार को सिंधी कालोनी ग्राउंड पर चल रही दिव्य संगीतमय दिव्य श्रीराम कथा और मानस प्रवचन के पांचवें दिन भगवान श्रीराम और सीता का पूर्ण विधि-विधान से विवाह हुआ। इस अवसर पर पूज्य बाल संत श्री छोटे मुरारी बापू ने मंच पर जयमाला का आयोजन कराया। इसके बाद कन्या का दान हुआ और भगवान श्रीराम की बारात निकाली गई। पूज्य बाल संत श्री छोटे मुरारी बापू ने कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा बाप नही है जो अपनी पुत्री के विवाह में नही रोता है। महाराज दशरथ अपनी बेटी की विदाई में बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोने लगे। उसके बाद पूर्ण संस्कारों और वैदिक विधि से भगवान श्रीराम और उनकी बेटी का विवाह किया और विदाई दी। संत श्री ने दिव्य संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवें दिन कहा कि भगवान श्रीराम का चरित्र आज भी मानव मात्र के लिए अत्यंत आदर्श से परिपूर्ण हैं। लाखों साल के बाद भी मौलिक एवं प्रासंगिक है। प्रभु श्रीराम का स्वभाव रावण जैसे शत्रु को भी अच्छा लगता है, वह भी मुक्त कंठ से उनकी भगवान श्रीराम की प्रशंसा करता है। उन्होंने आगे कहा कि ाीराम के जाप से मनुष्य सुखमय जीवन का आनंद प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि खुशी के लिए मनुष्य निरंतर प्रयत्नशील रहता है। यही कारण है कि वह भटकाव में रहता है जिससे प्रसन्न नहीं रह पाता। जबकि, सच्चाई यह है कि खुशी मनुष्य के अंदर होती है। हंसराज ने कहा कि यदि मनुष्य सुबह और शाम सच्चे मन से श्रीराम का नाम जपे तो उसे शांति के साथ सुख की प्राप्ति होगी। शुक्रवार को राम की महिमा पर प्रकाश डाला यदि मनुष्य राम नाम का जाप करे तो वह हमेशा सुखी रहेगा। जैसे ही उन्होंने आते भी राम बोलो जाते भी राम, सुबह व शाम बोलो राम राम राम भजन पेश किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में सिंधी कालोनी परिसर में श्रद्धालु शामिल थे। महाआरती के बाद प्रसादी का वितरण किया। मंच पर भगवान श्रीराम और सीता का रूप धारण कर दो छोटे-छोटे बच्चे आकर्षित लग रहे थे। पूरा माहौल राम मय हो गया था।
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