श्रीराम कथा के दौरान उमड़ा जन सैलाब
सीहोर। भारत युगों-युगों तक सोने की चिडिय़ा था। लेकिन वर्तमान की कार्यशैली ने इस देश को सोने की चिडिय़ा बना दिया है। अब हमें प्रभु श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेते हुए मानव को मर्यादाओं का पालन करना सिख कर विश्व में फैल रही अशांति की आग को शांत करना चाहिए। वैदिक इतिहास ऐसे महापुरुषों को जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा पडा है। वैदिक मान्यता के अनुसार हम सदैव दूसरों को सुखी करके ही स्वयं सुखी हो सकते हैं। दूसरों को दुखी करके मनुष्य सुखी नहीं रह सकता है। कोई भी मनुष्य तभी सुखी रह सकता है जब उसके आस-पास का वातावरण सुख और शांति से परिपूर्ण हो। उक्त उद्गार ग्राम बरखेड़ा हसन में बजरंग वाहिनी समिति एवं मानस प्रचार समिति के तत्वाधान में मानस सम्मेलन संगीतमयी श्री रामकथा के दौरान परम पूज्यनीय स्वामी रामकमल दास वेदांती जी महाराज ने कही। रविवार को बड़ी संख्या में आस-पास के लोगों ने कथा का आनंद लिया।
उन्होंने कहा कि राम का सम्पूर्ण जीवन आदर्शो और मर्यादाओं से भरा हुआ है इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा जाता है। राम ने वेद के बताए मार्ग पर चलते हुए पिता के राज्य को त्याग पूर्वक भोगा। जब उन्हें राज्य से दूर हटने के लिए पिता का आदेश मिला तो उन्होंने इस आदेश को भी प्रसन्नतापूर्वक वैसे ही स्वीकार कर लिया जैसे राजा दशरथ द्वारा उनके राज तिलक कराने के फैसले को उन्होंने स्वीकार किया था। राज तिलक घोषणा के कारण वह न तो प्रसन्नता हुए और न ही वन जाने के पिता के आदेश के बाद अत्यधिक दुखी हुए। उन्होंने कहा कि दुनिया में रहने का सही तरीका भी यही है जो व्यक्ति दुख में न अधिक दुखी और सुख में न अधिक सुखी होता है। वह हमेशा दुखों से दूर रहता है। उन्होंने कहा कि राम ने अति कष्ट सहते हुए भी मर्यादाओं को नहीं टूटने दिया इसलिए वे महान कहलाए।
मर्यादा का अनुकरणीय उदाहरण
उन्होंने पिता-पुत्र, भाई-भाई, पति-पत्नी और मां-बेटे के बीच संबंधों की मर्यादा का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। आज हम उनके आचरण को पूरी तरह से भूल चुके हैं। यही कारण है कि आज परिवारों का विघटन हो रहा है। लोग अपने कर्तव्यों को भूलकर अधिकारों को पाने की होड में लगे हैं। उन्होंने कहा कि हमें भगवान राम द्वारा स्थापित की गई मर्यादाओं के अनुसार आचरण करके जीवन को सुखी बनाने का व्रत लेना चाहिए।
राम की कथा के श्रवण से पापों से मुक्ति
परमात्मा के चरणों में ही जीवन है, उसी की छाया में विश्व फल-फूल रहा है। यही परमात्मा यानी राम की कथा के श्रवण से कोटि-कोटि पापों का क्षय हो जाता है। जिसने भी रामकथा की सरिता में गोते लगाए, समझो उसने अपने उद्धारक सेतु का निर्माण कर लिया।
ग्राम बरखेड़ा हसन में बजरंग वाहिनी समिति एवं मानस प्रचार समिति, बाजार बरखेड़ा के तत्वाधान में मानस सम्मेलन संगीतमयी श्रीराम कथा में बड़ी संख्या में आस-पास के ग्रामों के भी श्रद्धालुओं की काफी तादात देखी जा सकती है। यहां पर प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक संगीतमयी श्रीराम कथा का आयोजन जारी है।
उन्होंने कहा कि राम का सम्पूर्ण जीवन आदर्शो और मर्यादाओं से भरा हुआ है इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा जाता है। राम ने वेद के बताए मार्ग पर चलते हुए पिता के राज्य को त्याग पूर्वक भोगा। जब उन्हें राज्य से दूर हटने के लिए पिता का आदेश मिला तो उन्होंने इस आदेश को भी प्रसन्नतापूर्वक वैसे ही स्वीकार कर लिया जैसे राजा दशरथ द्वारा उनके राज तिलक कराने के फैसले को उन्होंने स्वीकार किया था। राज तिलक घोषणा के कारण वह न तो प्रसन्नता हुए और न ही वन जाने के पिता के आदेश के बाद अत्यधिक दुखी हुए। उन्होंने कहा कि दुनिया में रहने का सही तरीका भी यही है जो व्यक्ति दुख में न अधिक दुखी और सुख में न अधिक सुखी होता है। वह हमेशा दुखों से दूर रहता है। उन्होंने कहा कि राम ने अति कष्ट सहते हुए भी मर्यादाओं को नहीं टूटने दिया इसलिए वे महान कहलाए।
मर्यादा का अनुकरणीय उदाहरण
उन्होंने पिता-पुत्र, भाई-भाई, पति-पत्नी और मां-बेटे के बीच संबंधों की मर्यादा का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। आज हम उनके आचरण को पूरी तरह से भूल चुके हैं। यही कारण है कि आज परिवारों का विघटन हो रहा है। लोग अपने कर्तव्यों को भूलकर अधिकारों को पाने की होड में लगे हैं। उन्होंने कहा कि हमें भगवान राम द्वारा स्थापित की गई मर्यादाओं के अनुसार आचरण करके जीवन को सुखी बनाने का व्रत लेना चाहिए।
राम की कथा के श्रवण से पापों से मुक्ति
परमात्मा के चरणों में ही जीवन है, उसी की छाया में विश्व फल-फूल रहा है। यही परमात्मा यानी राम की कथा के श्रवण से कोटि-कोटि पापों का क्षय हो जाता है। जिसने भी रामकथा की सरिता में गोते लगाए, समझो उसने अपने उद्धारक सेतु का निर्माण कर लिया।
ग्राम बरखेड़ा हसन में बजरंग वाहिनी समिति एवं मानस प्रचार समिति, बाजार बरखेड़ा के तत्वाधान में मानस सम्मेलन संगीतमयी श्रीराम कथा में बड़ी संख्या में आस-पास के ग्रामों के भी श्रद्धालुओं की काफी तादात देखी जा सकती है। यहां पर प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक संगीतमयी श्रीराम कथा का आयोजन जारी है।
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