सीहोर। जिन पर माता-पिता तथा गुरू की कृपा नही होती, उन्हें किसी धर्म के पालन सें सम्मान नही मिलता। उनके सभी कर्म निष्फल होते है। अत: जब तक माता-पिता और गुरू जीवित रहे, तब तक उनकी सेवा ही करें और किसी अनुष्ठान की आवश्यकता नही है। यही कर्तव्य है, यही साक्षात धर्म है। उक्त उद्गार गत दिवस चाणक्यपुरी में समाजसेवी प्रदीप सक्सेना के निवास पर आयोजित सत्संग के दौरान काशी से पधारे डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज ने यहां पर आए भक्तों और श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहे। डॉ.रामकमल दास जी ने कहा कि कार्य करने पर एक प्रकार की आदत का भाव उदय होता है। आदत का बीज बोने से चरित्र का उदय और चरित्र का बीज बोने से भाग्य का उदय होता है। वर्तमान कर्मों से ही भाग्य बनता है, इसलिए सत्कर्म करने की आदत बना लें। चित्त में विचार, अनुभव और कर्म से संस्कार मुद्रित होते हैं। व्यक्ति जो भी सोचता तथा कर्म करता है, वह सब यहां अमिट रूप से मुद्रित हो जाता है। व्यक्ति के मरणोपरांत भी ये संस्कार जीवित रहते हैं। इनके कारण ही मनुष्य संसार में बार-बार जन्मता-मरता रहता है। इस अवसर पर सक्सेना परिवार द्वारा गुरुदेव की पूर्ण विधि-विधान से सेवा की गई। श्री सक्सेना ने बताया कि डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज आगामी 24 मार्च में अमेरिका के शिकागो में होने जा रही संगीतमय श्रीराम कथा को संबोधित करेंगे।
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