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Friday, June 3, 2011

एक साल में ही दूसरा संस्करण प्रकाशित

 प्रकाशन के पहले ही आधी किताब बुक 
सीहोर। भारतीय ज्ञान पीठ नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित लेखक पंकज पुरोहित सुबीर का उपान्यास ये वो सहर तो नहीं... का दूसरा संस्करण भारतीय ज्ञान पीठ  ने प्रकाशित कर दिया है। किसी युवा लेखक के लिए यह पहला अवसर है कि जब एक साल के भीतर ही उसकी उपान्यास का दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया है। इसके अलावा एक विशेष बात यह भी है कि दूसरे संस्करण के प्रकाशन के पहले ही आधी उपान्यास पहले से बुक है। ज्ञातव्य है कि शहर के साहित्यकार पंकज पुरोहित सुबीर की उपान्यास ये वो सहर तो नहीं... का प्रकाशन भारतीय ज्ञान पीठ  ने कर उन्हें भारतीय ज्ञान पीठ के नवलेखन पुरस्कार से वर्ष 2010 से नवाजा था। देश की राजधानी में उन्हें यह पुरस्कार एक भव्य और गरिमामय समारोह में प्रदान किया गया था। पंकज सुबीर का यह उपान्यास पूरे देश में चाव के साथ पढ़ा गया तथा देश के नाम चीन साहित्यकारों ने सराहना की है। लेखक ने सन् 1857 के क्रांतिकारी $गदर और सन् 2007 के प्रशासनिक $गदर को जिस खूबी से बखान किया उसकी देश भर में व्यापक स्तर पर सराहना की गई। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर आम और खास ने पंकज सुबीर की उपान्यास की सराहना की, उपान्यास की डिमांड  बढऩे पर भारतीय ज्ञान पीठ ने एक साल के भीतर ही इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया है। यह पहला अवसर है जब किसी युवा लेखक के उपान्यास का मात्र एक वर्ष के भीतर ही दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया हो, दूसरा संस्करण प्रकाशन के पहले उसकी आधी प्रतियां बुक हो चुकी है।

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