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Thursday, April 21, 2011

मनुष्य का पतन होता है लोभ और माया से-संत कोकिल महाराज

सीहोर। नारद जी बहुत बड़े संत थे। किन्तु समाज की परिस्थितियों ने उनको भी नही छोड़ा। काम, क्रोध, मोह और लोभ सब पर विजय प्राप्त कर ली है। लेकिन माया के चक्कर में पढ़कर एक तपस्वी संत को भी गली-गली में नाचना पड़ा। तो हम तो साधारण मनुष्य है। मनुष्य का पतन लोभ और माया से होता है। उक्त उद्गार राष्ट्रीय संत कोकिल महाराज ने कथा के सातवें दिन शुगर फैक्ट्री चौराहा के पास स्थित बीएसआई मैदान पर चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के दौरान बड़ी संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं के सैलाब को संबोधित करते हुए कहे।
संत श्री मछली की आख के पास, जिह्वा के पास, नाक के पास, हाथ के पास, पेट के पास अर्थात उसके चारों तरफ जल ही जल है। ऐसे ही जीव के आसपास आनंद रूपी समुद्र भरा है। इसके बाद भी वह सुख शांति के लिए इधर-उधर भटकता फिरता है। हमें काम, क्रोध, मोह और लोभ को छोड़कर भगवान श्रीराम की भक्ति करनी चाहिए।  संत श्री कोकिल जी महाराज ने कहा कि मनुष्य का पतन होता है या तो लोभ से या भय से। यदि लोभी है तो वह भक्त नहीं हो सकता, यदि उसको भय है तो यह भक्त नहीं हो सकता। यदि लोभ भी है तो भय भी है तो ऐसा व्यक्ति ज्ञानी भी नहीं हो सकता। मनुष्य का पतन या तो लोभ से होता है या भय से। भगवान के भक्त को लोभ कैसा। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास काम, क्रोध और लोभ से बचने के लिए राम नाम का आश्रय लेने की बात कहते हैं क्योंकि ये तीनों नरक के द्वार बताए गए हैं।  वस्तुत: इन तीन पर विजय प्राप्ति करने वाला ही भगवान को प्राप्त कर भवसागर से पार हो सकता है। भगवान शंकराचार्य कहते हैं कि भगवान भक्ति के मार्ग में ये तीनों बाधाएँ होती हैं। इसलिए दृढ़ वैराग्य एवं हरिनाम सुमिरन के अभ्यास द्वारा ही इन बाधाओं से मुक्ति मिलती है। मनुष्य ने शरीर पाकर आहार, आलस्य, निद्रा में समय खो दिया तो डलिया में आलू सडऩे की तरह ही हुआ। यदि जीवन को दूसरों के हित में लगा दिया, परोपकार में लगा दिया, भजन में लगा दिया तो भी शरीर नष्ट होगा लेकिन इस दशा में शरीर न रहने पर भी भगवान के यहाँ जगह मिलेगी।  इस संबंध में श्री मारुति नंद नवयुवक संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि यहां पर हर दिन रात सात बजे से रात ग्यारह बजे तक नगर के बीएसआई मैदान पर संगीतमय श्रीराम कथा जारी है। संगीतमय श्रीराम कथा के दौरान यहां पर श्रीराम जन्मोत्सव धूमधाम से संगीतमयी धुनों के साथ मनाया गया।

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