यदि आपके पास कोई समाचार या फोटो है तथा आप भी किसी समस्या को शासन स्तर पर पंहुचाना चाहते हैं और किसी विषय पर लिखने के इच्छुक है,तो आपका स्वागत है ईमेल करे- writing.daswani@gmail.com, Mob No.-+919425070052

Sunday, April 17, 2011

आज आएगा का करोड़ रुपए का मायरा

भागवत कथा जाति धर्म से ऊपर उठकर
सीहोर। भौतिकवाद की दौड़ में आज हम यह भूल चुके हैं कि हमारा अस्तित्व कहां  है और हमें मोक्ष कैसे मिलना है। उन्होंने कहा कि अगर हमें अपने जीवन को सफल बनाना है, तो हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के बारे में विस्तार से जानना और पढऩा होगा, ताकि हमारा जीवन सफल हो सके। उन्होंने कहा कि आज कृष्ण जी को अमर हुए हजारों साल हो गए हैं, लेकिन उनका संदेश हर भारतवासी को जीवन की राह दिखाता है और इसी कारण से पौराणिक काल की तरह आज भी भारत विश्वगुरु के रूप में जिंदा है। ने कहा कि भागवत कथा जाति धर्म से ऊपर उठकर अद्भुत और अलौकिक सुखों का समावेश है और इसको सुनने से हमारे जन्म-जन्मांतर के कष्ट दूर हो जाते हैं। उक्त उद्गार नानी बाई के मायरा कथा के चौथे दिन ठाकुर जी का तुलादान के अवसर पर कंचन बाग में कथा वाचक राष्ट्रीय स्तर के वल्ल्भ समुदाय में दीक्षित भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कही। यहां पर दोपहर में पंडाल छोटा पड़ जाता है, पंडाल में बैठे सैकड़ों श्रद्धालु कृष्ण जी के रंग में डूब हुए है। शनिवार को सत्यभाभा द्वारा ठाकुर जी का तुला दान किया गया। इस अवसर पर पंडित मिश्रा ने नरसी मेहता द्वारा वेश्या को सत्संग के द्वारा सुधार लाने के बारे में बहुत ही सुन्दर वर्णन किया।समिति के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने जानकारी देते हुए बताया कि रात सात बजे से श्री जी के मंदिर से एक चल समारोह निकाला गया। 
दोपहर को कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने कहा कि आज का मानव इस बात को भूल गया है कि वह इस संसार में क्या करने आया है और उसकी भूमिका कया है। आज जो समय चल रहा है, उसके बाद हमारी नैतिकता अवश्य आहत होती है, लेकिन हर युग में सत्य असत्य होते हैं, लेकिन कंस को हमने पहचाना है। भगवान कृष्ण के जीवन में पूरे समाज का समावेश है, कयोंकि उन्होंने आज से हजारों साल पहले लोक मंगल की भावना से समाज में चेतना व प्रेरणा लाकर सामाजिक कुरीतियों को दूर किया था। शनिवार को सुबह आठ बजे महा यज्ञ में सभी मलित यजमानों का प्रायश्चित यज्ञ स्थल परिसर में किया गया। इसके उपरांत शाम को पांच बजे ठाकुर का तुलादान महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुष उपस्थित थे। पांच दिवसीय नानी जी के मायरा कथा में अंतिम दिन मायरा पेरावनी व कथा विश्राम किया जाएगा।

0 comments: