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Monday, April 18, 2011

उमा शिव के विवाह में उमड़ा जनसैलाब

भगवान राम से ही है संपूर्ण संसार-पंडित कोकिल महाराज
सीहोर। भगवान श्रीराम से ही संसार है। इनके बिना सबकुछ अधूरा है। शुगर फैक्ट्री चौराहे स्थित बीएसआई मैदान पर जारी श्री मारुति नंद नव युवक संगठन के तत्वाधान में श्री राम कथा के चौथे दिन सोमवार की रात को राष्ट्रीय संत कोकिल महाराज ने कही। उन्होंने उपस्थित लोगों को शिव विवाह के लिए उमा के अद्वितीय तपस्या के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि माता उमा ने तपस्या के बल पर भगवान शिव को पति के रूप में पाया। उन्होंने भारतीय जीवन पद्धति में तप के महत्व को लोगों को बताया। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के प्रसंग को संत महाराज ने काफी सरल रूप से रेखांकित किया। संत कोकिल महाराज के मुख से शिव विवाह की कथा सुन कर श्रोता मंत्रमुग्ध होते रहे। महा शिवरात्र की पूर्व संध्या पर संत श्री ने भगवान शिव के मृत्यु के जीवन में बदल देने वाले अमूल्य जीवनवृत का वर्णन किया। भगवान श्रीराम से ही संसार है। इनके बिना सबकुछ अधूरा है। उन्होंने उपस्थित लोगों को शिव विवाह के लिए उमा के अद्वितीय तपस्या के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि माता उमा ने तपस्या के बल पर भगवान शिव को पति के रूप में पाया। उन्होंने भारतीय जीवन पद्धति में तप के महत्व को लोगों को बताया। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के प्रसंग को संत महाराज ने काफी सरल रूप से रेखांकित किया। संत महाराज के मुख से शिव विवाह की कथा सुन कर श्रोता मंत्रमुग्ध होते रहे। संत श्री ने भगवान शिव के मृत्यु के जीवन में बदल देने वाले अमूल्य जीवनवृत का वर्णन किया। प्रभु भक्ति के बिना सभी सुख निसार हैं। यदि मानव को सही अर्थों में इस भवसागर से मुक्ति पानी है तो उसे अपने को उस परम पिता परमेश्वर पर छोडऩा होगा। उसकी भक्ति से ही आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। भगवान राम का जीवन चरित्र अपने आप में एक उदाहरण है जो संसार मे रहकर भगवान बनने की अमर गाथा है। आज के युग में जिस राम राज्य की परिकल्पना के स्वप्न देखे जाते है वे केवल भगवान राम की तरह मर्यादा का जीवन जीने से ही संभव हैं। उन्होंने कहा कि एक बार संतुलित जीवन जीने का प्रयास तो किया ही जा सकता है, फिर उसका जो सुख मिलेगा उसका आप अंदाज ही नही लगा सकेंगे। उन्होंने संगीतमय प्रस्तुतियों से देर रात तक भक्तों को बांधे रखा। रामनाम की महिमा को भी संगीतमय रूप से प्रस्तुत कर श्रोताओं को झूमने को मजबूर कर दिया। इस अवसर पर श्रीश्री 1008 राम जी बाबा कोकिल महाराज ने छोटे-छो उदाहरण देते हुए कहा कि मनोरंजन करने के लिए संसार में बहुत चीजें है। लेकिन मन भंजन करने के लिए सिर्फ सत्संग है। बच्चों को संस्कार वान बनाना चाहते हो तो अपने पवित्र संस्कारों को जाग्रत करो। बच्चों की तकदीर बनाना चाहते हो तो घर में लगी तसवीर बदल देना चाहिए। घर में भगवान राम-कृष्ण की तसवीर लगाने से बालक राम जैसा बनता है, अगर घर में हीरों-हीरोइन की तसवीर लगा दी तो बच्चे की तकदीर बिगड़ जाएगी। जिन्दगी जीना है तो हंसकर जीओ रो-रो कर जिन्दगी नही जीना चाहिए। आदमी के शरीर का महत्व बताते हुए संत श्री ने कहा कि आदमी के शरीर को लोग बेकार समझते है। यह वो शरीर है, जिसके लिए देवता तरसते है। इस अवसर पर संत श्री ने अनेक उदाहरण देकर मानव जीवन को अमूल्य बनाने की राह यहां पर आए भक्तों को बहुत सरल रूप से दी। शाम 7 से 11 बजे चलने वाली कथा में भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। संगीतमयी श्रीराम कथा आयोजन समिति ने अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं से शामिल होकर कथा सुन धर्मलाभ लेने की अपील की है।

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