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Monday, April 18, 2011

देर रात तक निकाला मायरे का चल समारोह

नरसी भगत की तरह विश्वास होना चाहिए-पंडित प्रदीप मिश्रा
सीहोर। नानी बाई के मायरे की कथा का रविवार को भावपूर्ण समापन हुआ। कथा के अंतिम दिन सांवरिया सेठ द्वारा नानी बाई का मायरा भरने का प्रसंग सुनाया गया। श्रद्धालु मार्मिक प्रसंग सुनकर भावुक हो उठे।  कथा वाचन ने भागवत आचार्य पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रोताओं को कार्यक्रम के अंत तक बांधे रखा। वही शनिवार को नगर के इतिहास में पहली बार धरती से आसमान तक आतिशबाजी और धरती पर रंग बिरंगी रंगोली के नजारे नजर आ रहे थे। मायरा चल समारोह में आगे-आगे महिलाएं और नागपुर की सुमित्रा ताई के नेतृत्व में आई महिलाओं ने आकर्षक रंगोली बनाई। गुजरात का गरबा दल, झाबुआ के आदिवासी नृत्य और राजस्थानी नृत्य के बीच भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में सराबोर महिलाएं और पुरुष झूम रहे थे। डीजे और बाहर से आए संगीत के वाद्य यंत्रों ने माहौल को भक्तिपूर्ण कर दिया था। इस संबंध में जानकारी देते हुए समिति प्रवक्ता मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि रविवार को दोपहर कथा वाचक दौरान प्रदीप मिश्रा ने कहा कि नरसी भगत की तरह विश्वास हो तो श्रीकृष्ण को सांवरिया सेठ का रूप बनाकर आना पड़ता है। भक्तों के लिए ठाकुर तो गठड़ी तक उठा लेते हैं और मायरा भरने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि घरों में संस्कारों की कमी नहीं हो, इसके लिए ध्यान दिया जाना चाहिए। सास यदि बहू से अपना सम्मान करवाना चाहती है, तो उसे पहले बहू का सम्मान करना चाहिए। कथा समापन में श्रद्धालुओं ने नाचते-गाते भाग लिया।
भरपूर मुनाफा देती है लक्ष्मी की सही पूजा
रविवार को विशाल कुबेर लक्ष्मी यज्ञ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और भक्तों को रात में जारी दीप यज्ञ के बारे में पंडित मिश्रा ने बताते हुए कहा कि रात में होने वाली पूजा में हर व्यक्ति के मन में एक भाव समान रूप से मौजूद होता है। वह है लाभ या मुनाफ़ा। खासतौर पर व्यावहारिक जीवन में आर्थिक फायदे की हर कोई इच्छा रखता है। इसके अलावा अपने हो या परायों से भी रिश्ते, भावनाओं के स्तर पर भी लाभ की अपेक्षा हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में रखता है। मानसिक लाभ के नजरिए से शांति भी हर किसी की चाहत होती है। किंतु ऐसे मुनाफे के लिए सांसारिक और व्यावहारिक दृष्टि से जरूरी है कि बुद्धि और धन का सही उपयोग हो। पंडित श्री मिश्रा ने आगे कहा कि धर्म शास्त्रों में बुद्धि और धन लाभ के लिए श्री गणेश और लक्ष्मी उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। सुख-समृद्धि और विघ्रनाश के लिए भी लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की उपासना कुछ पर्व-विशेष पर परंपरा भी है। सच्चे मन और सहज भाव से शक्ति पूजा विशेष प्रभावी मानी जाती है। देवी पूजा में ही ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजा हर दरिद्रता को दूर कर भरपूर आर्थिक लाभ और समृद्धि देती है। किंतु इस दिन लक्ष्मी के साथ श्री गणेश का पूजन सुख-शांति में आने वाले सभी विघ्र-बाधाओं का नाश करने वाला माना गया है। लक्ष्मी और विनायक की प्रसन्नता के लिए ही शास्त्रों में लक्ष्मी के अनेक विशेष मंत्र भी बताया गया है, जो श्री यानि सुख-ऐश्वर्य देने वाले श्री गणेश का स्वरूप का स्मरण है माना जाता है।

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