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Thursday, October 7, 2010

फिश पैकिंग सेंटर बनेगा

सीहोर, मध्यप्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग प्रोजेक्ट के लिए मिले चालीस लाख के ऋण से जमोनिया फिश फार्म का कायाकल्प होगा। यहां पर पैकिंग सेंटर के साथ-साथ प्रयोगशाला तथा ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण किया जाकर मत्स्य पालन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। आईबीआरडी से मध्यप्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग प्रोजेक्ट के लिए चालीस लाख रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया है। इसके अंतर्गत जिला मुख्यालय पर जमोनिया फिश फार्म का कायाकल्प किया जाना है। प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वीकृत किए गए चालीस लाख के ऋण में से कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है। जिसके अनुसार सबसे पहले मुख्य मार्ग से जमोनिया फिश फार्म तक पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य कराया जाएगा। लगभग छह लाख 17 हजार रुपए से इस मार्ग का निर्माण कार्य किया जाएगा, ताकि जमोनिया फिश फार्म तक आने जाने वाले लोगों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े। इसके अलावा जमोनिया तालाब में आठ लाख 71 हजार रुपए की लागत से फेरी फेरल पौड का निर्माण कराया जाएगा। इसके साथ ही जमोनिया फिश फार्म पर ट्यूबवेल खनन तथा फिटिंग कार्य लगभग तीन लाख 96 हजार की लागत किया जाएगा। यही नहीं जमोनिया फिश फार्म पर छह लाख 86 हजार की लागत से जीआई पाइप लाइन मय फिटिंग के कराई जाएगी। यहां पर छह लाख 33 हजार रुपए की लागत से ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण किया जाएगा। जिसमें मत्स्य पालन को लेकर लोगों को प्रशिक्षित करने का कार्य वर्षभर किया जाएगा। इसके अतिरिक्त तीन लाख 22 हजार की लागत से एक प्रयोगशाला भी बनाई जा रही है। जिसमें विभिन्न प्रयोग किए जाकर मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को लाभ-हानि की जानकारी समय-समय पर प्रदान की जाएगी। यहीं पर लगभग 3 लाख 44 हजार की लागत से पैकिंग सेंटर का निर्माण कराया जाएगा। जिसमें बीजों की पैकिंग की जाकर मत्स्य पालनकर्ताओं को उपलब्ध कराएं जाएंगे। जानकारी के अनुसार इन सब कार्यों के लिए निर्माण एजेंसी के रूप में जल संसाधन विभाग को कार्य सौंपा गया है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री बीएल जोशी ने बताया कि उपरोक्त कार्यों के लिए निविदा जारी कर दी गई है। पहुंच मार्ग निर्माण, फेरीफेरल पौड, ट्यूबवेल खनन और फिटिंग कार्य एवं जीआई पाइप लाइन बिछाने का कार्य ठेकेदार को एक माह के अंदर पूरा करना है, जबकि फिश फार्म पर ट्रेनिंग सेंटर, प्रयोगशाला तथा पैकिंग सेंटर का निर्माण कार्य तीन माह की अवधि में पूरा करना अनिवार्य है। विभाग द्वारा इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर कराए जाने की तैयारियां की गई है। ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के तैयार होते ही सीहोर जिले में मत्स्य पालन के क्षेत्र में नई दिशा मिलेगी। इसके अलावा प्रयोगशाला, ट्रेनिंग सेंटर तथा पैकिंग सेंटर बन जाने से मत्स्य विभाग का कार्य लगभग पूरे साल चला करेगा। अभी तक इस कार्य को केवल वर्षाकाल के दौरान ही सम्पन्न कराया जाता रहा है। सभी नए साधन उपलब्ध होने से मत्स्य विभाग में चल रहे कछुआ गति के कार्यों में तेजी आने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है।

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