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Sunday, February 24, 2013

परमात्मा के प्रति प्रेम जरुरी है
श्यामपुर/दोराहा। इस संसार में प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मो के आधार पर ही फल मिलता है। भक्ति, ज्ञान, बैराग्य और सत्संग के बिना मोक्ष मिलना बड़ा कठिन होता है। भागवत कथा मनुष्य के जीवन का मुख्य आधार व सार है। भागवत कथा हमें अहिंसा करना सीखाती है। हर जीव में आत्मा है। उसके अंदर जीवन है, इसलिए हिंसा का रास्ता त्याग कर हमें अंहिसा का रास्ता पकडऩा चाहिए।
     उक्त उद्गार मानस प्रचार समिति और बजरंग वाहिनी के तत्वावधान जारी श्री मदभागवत कथा में  विधायक रमेश सक्सेना के गृह ग्राम बरखेड़ा हसन में अंतर्राष्ट्रीय संत डा. रामकमलदास वेदान्ती महाराज ने यहां पर बड़ी संख्या में कथा का श्रवण करने आए श्रद्धालुओं से कही।
    महाराज श्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत ज्ञान का अपूर्व भण्डार है तथा इसमें भारतीय संस्कृति के समस्त गुणों का समावेश है एवं ज्ञान और बैराग्य दोनो का समन्वय है। इसे सुनने वाला न केवल पुण्य पाता है बल्कि उसके सभी पापों का क्षय होता है, इसलिए हमें कथा को नियमित रूप से श्रवण करना चाहिए तथा उसका मनन करना चाहिए।
होता है जीवन का उद्धार
महाराज श्री ने कहा कि इस कलियुग में सत्संग का बड़ा महत्व है, सत्संग से न केवल ज्ञान मिलता है बल्कि जीवन का उद्धार भी होता है। अत:  हमें अच्छे लोगों का सत्संग करना चाहिए, गुरू के महत्व को समझाते हुए बाल व्यास ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में गुरू अवश्य होना चाहिए। वह न केवल व्यक्ति के जीवन को संवारता है अपितु उसके जीवन में आनंद की सृष्टि करता है, परन्तु यह आवश्यक है कि गुरू का चयन सोच-विचारकर व परखकर करना चाहिए।
परमात्मा के प्रति प्रेम जरूरी
परमात्मा के प्रति प्रेम जरूरी है। उससे भक्ति होती है। भक्ति का तात्पर्य है अनन्य प्रेम, एक ऐसी दीवानगी कि जिससे प्रेम है उसके बिना, उसका विरह अच्छा नहीं लगता। निश-दिन, हर पल उसका पूरे ध्यान से मनन करना ही भक्ति है। जिससे प्रेम है, उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहना ही भक्ति है और ऐसी भक्ति बिना जाने, समझे नहीं होती।

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