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Saturday, January 29, 2011

समस्याओं का समाधान है सच्ची प्रार्थना-पंडित प्रदीप मिश्रा

विश्व शांति के लिए लक्ष्मी धन कुबेर यज्ञ 13 अपै्ल से
सीहोर। जो व्यक्ति द्वेषभाव से रहित होकर, सबसे मित्रता और दया का भाव रखते हो। वही परमानंद की प्राप्ति कर सकते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि ऐसे लोग ही ईश्वर से साक्षात्कार कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति अहंकार का त्याग करते हैं। उक्त विचार प्रदेश के प्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित मिश्रा ने नागपुर में भागवत कथा में जाने से पहले बड़ी संख्या में आए वैष्णव समाज के पदाधिकारियों से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आगामी 13 अपै्रल से 17 अपै्रल तक नगर के बस स्टैंड स्थित रवीन्द्र भवन में विश्व शांति के लिए लक्ष्मी धन कुबेर यज्ञ का महा आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश विदेश के प्रसिद्ध संतों और साधुओं का जमघट आपके नगर में लगने वाला है।  भक्तों को संबोधित करते हुए बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं से पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि ऐसे व्यक्ति अहंकार का त्याग करते हैं। वे सुख-दुख यानी हर परिस्थिति में समान भाव रखते हैं। दरअसल, ऐसे व्यक्ति संयमित जीवन जीने के साथ-साथ दृढ-निश्चयी भी होते हैं। वास्तव में, ऐसे व्यक्ति ईश्वर के सामने ही नहीं, अन्य लोगों के सामने भी शीश नवाते हैं। ऐसे व्यक्तियों की प्रार्थना परमात्मा भी सुनते हैं। सच तो यह है कि संसार के सभी धर्मो में एक बात समान है, वह है प्रार्थना। प्रार्थना किसी भी मनुष्य के जीवन के लिए एक बडी साधना है। पंडित श्री मिश्रा ने मुगल सम्राट बाबर के पुत्र हुमायूं का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि प्रार्थना हृदय से निकली हो, तो उसका प्रभाव भी पडता है। कहा जाता है कि एक बार मुगल सम्राट बाबर का पुत्र हुमायूं इतना बीमार पड गया कि बडे-बडे वैद्य और हकीमों ने बादशाह को कह दिया कि अब दवा नहीं, दुआ ही काम कर सकती है। तब बाबर ने पुत्र हुमायूं के चारों ओर चक्कर लगा कर, भाव भरे दिल से खुदा से कहा, या खुदा, पुत्र हुमायूं को ठीक कर दो, चाहे इसके बदले मेरे प्राण ले लो। सच्चे मन से निकली हुई इस दुआ से हुमायूं धीरे-धीरे ठीक हो गया, लेकिन बाबर अस्वस्थ हो गया। यह भावपूर्ण प्रार्थना का ही प्रभाव था। इसमें मन, बुद्धि, चित सब एक हो जाते हैं। सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करने वाला कभी हताश, निराश, दुखी और असमर्थ नहीं होता है। वह अपने व्यवहार से किसी व्यक्ति, समाज, राष्ट्र का कोई अहित नहीं करता है। ईश्वर की सच्ची प्रार्थना वही कर सकता है, जो परोपकार तथा संयमित जीवन जिये।
इस अवसर पर आगामी 13 अपै्रल से होने वाले विश्व शांति के लिए लक्ष्मी धन कुबेर यज्ञ महा आयोजन के बारे में उन्होंने बताया कि छह फरवरी को एक विशेष बैठक का आयोजन विठ्ठलेश्वर सेवा समिति द्वारा रखा गया है। जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी।

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