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Friday, January 28, 2011

परमात्मा श्री कृष्ण आनंद स्वरूप है : पंडित अजय पुरोहित

सीहोर  परमात्मा श्री कृष्ण आनंद रूवरूप है निराकार आनंद ही नराकार कृष्ण के रूप में प्रकट हुआ है । श्रीकृष्ण की सारी लीलाएं आनदंमय हैं । श्रीकृष्ण की कथा जब सुनें तब ही आनंद आता है । प्रभु का दर्शन जब करो तब ही आनंद आता है । उक्त उदगार ग्राम भाऊखेड़ी में चल रही श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन महामंडलेश्वर पंडित अजय पुरोहित ने व्यक्त किये । पंडित पुरोहित ने आगे बताया कि कंस जब तक जीवित था तब तक व्यास जी ने भागवत में उनकी रानियों का नाम नहीं दिया । कंस की दो रानियां थीं अस्ति और प्राप्ति । अस्ति अर्थात बैंक में कितना पैसा जमा है तथा प्राप्ति यानि इस साल कितना पैसा आने वाला है । सुख की इच्छा सबको होती है किन्तु मनुष्य सगो सुख का विचार नहीं करता यही कंस का स्वरूप है । कंस के मरने के बाद मथुरा पर जरासंध का हमला हुआ । हमारे जीवन के उनपचास वर्ष पूरे होने के बाद जरासंध लडऩे आयेगा । भोजन न पचना, दिखाई न देना, थकावट, ये सब जरासंध की सेना है । सत्रह बार जरासंध यानि बीमारी आती है अठाहरवीं बार कालयवन आता है उस समय शरीर छोडऩा पड़ता है । पंडित पुरोहित ने कथा के अंतिम दिन कृष्ण सुदााम की मित्रता की कथा सुनाते हुए उपस्थित हजारों भक्तगणों को भाव विभोर कर दिया । पंडित पुरोहित पे बताया कि आपातकाल में धीरज धर्म मित्र और नारी की पहचाना होती है । मित्रता के बारे में बोलते हुए कहा कि सगा मित्र वही होता है जो अपने मित्र को कुपंथ से निकाल कर सुपंथ पर चलाता है । जो संकट के समय में कंधे पर हाथ रखकर ढांढस बंधाए वही सगाा मित्र होता है । कथा के अंतिम दिन ग्राम सरपंच लखन पटेल ने उपस्थित जन समुदाय का आभार व्यक्त किया । कथा के अंतिम दिन श्रीमद भागवत की विशाल शोभा यात्रा निकाली गई तथा स्थान स्थान पर पंडित पुरोहित का स्वागत किया गया ।

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