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Sunday, January 9, 2011

सीएम और पचौरी की जंग

सीहोर। इस बार सीहोर नगर पालिका का चुनाव भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच कम बल्कि सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी के बीच अधिक देखा गया। जिसे जंगी मुकाबला माना जा रहा था वो एक तरफा साबित हुआ और मतदाताओं ने सीएम पर विश्वास करते हुए भाजपा को लंबे अंतराल के बाद कार्य करने का अवसर प्रदान किया। सीहोर नगर पालिका के चुनाव पर पूरे प्रदेश के लोगों की निगाहें लगी हुई थी। इसके पीछे का मुख्यकारण था कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में चुनाव हो रहा था वो भी ऐसी नगर पालिका के लिए चुनाव हो रहा था जहां कभी भी जनता ने भाजपा पर भरोसा नहीं किया था। कांग्रेस को इस बार भी लग रहा था कि इतिहास दोहराया जाएगा तथा सीएम को करारी मात देने के लिए कोई दूसरा अवसर नहीं मिलेगा यही कारण था कि सीएम को हराने के लिए प्रदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने यहां पर डेरा डाल रखा था इधर भाजपा ने भी अपने सारे तीर सीहोर चुनाव पर दाग दिए थे। जहां श्री पचौरी सीहोर की सड़कों पर घूमे वहीं भाजपा के मंत्री और संगठन के दिग्गज भी कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहते थे चुनाव परिणाम  विपरीत आए जिस प्रकार से निर्दलीय प्रत्याशी अमिता जसपाल अरोरा ने मैदान संभाला था उससे चुनाव परिणाम नजदीक माना जा रहा था पर जनता ने इस बार कुछ अलग ही सोच रखा था चुनाव परिणाम आए तो राजनीति के जानकारों का अनुमान एक बार फिर झूठा साबित हो गया। यह अनुमान कांग्रेस के साथ भाजपा नेताओं का भी झूठा निकला क्योंकि दोनों के ही नेता इस बात को मानकर चल रहे थे कि  हार जीत का अंतर अधिक से अधिक पांच हजार मतो का रहेगा पर यह अंतर करीब साढ़े नौ हजार मतो से भी अधिक का रहा। जिससे सर्वाधिक निराशा कांग्र्रेस और सुरेश पचौरी के समर्थकों में देखी गई।
 हार के अपने अपने कारण
कांग्रेस की करारी हार की समीक्षा का दौर अभी शुरु नहीं हुआ पर मतगणना स्थल पर जो प्रतिक्रियाएं सामने आई उससे तो यही निष्कर्ष सामने आ रहा है कि जिस प्रकार से राकेश राय ने कार्य किया उससे जनता खास तौर से महिलाओं में नाराजगी का वातावरण बन हुआ था। इसके अलावा कांग्र्रेस जनों को भी कभी तवज्जो नहीं दी गई एकला चलों की नीति के चलते कुछ कांग्रेसियों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश द्वारा ही चुनाव प्रचार को महत्व नहीं दिया गया। इसके अलावा सीएम द्वारा की गई घोषणा का भी प्रभाव कांग्रेस की हार का कारण माना जा रहा है।
दूर हुआ मुगालता
इस चुनाव में अल्पसंख्यक वोटों को लेकर पाले जा रहे मुगालते के कारण भी दूर हुआ। आम तौर माना जाता रहा है तथा सीहोर में कई बार चुनाव के दौरान यह बात प्रमाणित भी हुई है कि अल्प संख्यकों के थोक बंद वोट कांग्रेस को ही मिलते है। इसी पुराने भरोसे को लेकर कांग्रेसी अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे पर इस बार अल्प संख्यक क्षेत्रों से भी भाजपा के पक्ष में मतदान हुआ जिसके कारण हार का अंतर दस हजार के करीब जा पहुंचा।

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