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Friday, February 18, 2011

लक्ष्यहीन मानव पशु के समान हैं-मुनि प्रमाण सागर

सीहोर। लक्ष्यहीन यात्रा, यात्रा नहीं सिर्फ भटकाव है। मनुष्य के जीवन में लक्ष्य निर्धारण आवश्यक है। लक्ष्यहीन मानव पशु के समान हैं। उक्त उद्गार श्री श्री 108 जैन मुनि प्रमाण सागरजी महाराज ने इंग्लिशपुरा में स्थित मंदिर में बड़ी संख्या आए जैन समाज और भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। भगवान महावीर की विधिविधान से पूजा अर्चना की। इसके पूर्व उपस्थित श्रद्धालुओं ने मुनि प्रमाण सागरजी महाराज महाराज के सभागार में पहुंचते ही जयकारा गुरूदेव का, जय-जय गुरूदेव का उद्घोष किया गया। मंगलाचरण वंदना के बाद  जैन समाज के पदाधिकारियों ने मुनि के चरणों में श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद ग्रहण किया। संत मुनि प्रमाण सागरजी महाराज ने ओजपूर्ण प्रवचन में कहा कि मनुष्य गतिशील है। लेकिन इसका गंतव्य नहीं है। उन्होंने कहा कि संतों के अनुसार गतिशील वही है, जिसका गंतव्य हो। उन्होंने कहा कि जीवन का वास्तविक लक्ष्य जीवन का सत्कार है। शांति, संपन्नता व प्रसन्नता ही जीवन का वास्तविक आधार है। मुनि ने कहा कि जीवन में विपन्नता भले हो, लेकिन मन में प्रसन्नता है, तो जीवनसार्थक है। उन्होंने कहा कि भौतिक पदार्थ अर्थात पैसा मनुष्य को सुविधा दे सकता है, शांति नहीं। पैसा जीवन निर्वाह का साधन हो सकता है, साध्य नहीं। इसके पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिसौदिया ने कहा कि आज शहरवासियों के लिए स्वर्णिम समय है। देवस्वप्न मुनि की वाणी को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुनि प्रमाण सागरजी महाराज अपने ज्ञान के अनुभव से हम सबों को अनुग्रहित कराएंगे। इस दौरान बोली का आयोजन और भूमि पूजन का कार्यक्रम किया। इसमें ताम्रपात्र सुनीता जैन, कल्सा जैनपाल जैन और स्वर्ण शिला गणेशी लाल और पारा अशोक जैन व खेती फावड़ा बीसी जैन आदि ने प्राप्त किया। इस संबंध में जानकारी देते हुए समाज के वरिष्ठï पदाधिकारी पवन जैन ने बताया कि मंत्री पेट्रोल पंप पर महाराज श्री की अगवानी की गई। इस दौरान समाज के अध्यक्ष ललित जैन, देवचंद जैन, अजय जैन, अंबर जैन, डीके जैन, वीसी जैन, मांगीलाल जैन, अरुण जैन, रविन्द्र जैन, गोलू जैन, मुकेश जैन, ओम प्रकाश जैन, जैनपाल जैन, प्रेम काका, डॉ.आरसी जैन, निर्मल जैन, सुनील जैन, अशोक जैन और शील जैन आदि शामिल थे।

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