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Sunday, February 20, 2011

धूमधाम से मनाया गया नंदोत्सव

विषम परिस्थितियों में आनंद करने वाला ही योगेश्वर है-पंडित उपाध्याय
सीहोर।जिसके जन्म से पहले कई भाई मार दिए गए हों, माता-पिता दुष्टï राजा कंस के यहां पर बंद हों, राजा प्राण का प्यासा बना हो, इसके बाद भी जो आनंद से रास रचा सके, गोप-गपालों को आनंद का पाठ पढ़ा सके, वह केवल कृष्ण ही हो सकता है। विषम परिस्थिति में भी जो संयम न तोड़े, धैर्यवान, विवेकशील होकर वृंदावन की रक्षा कर सके, वह कृष्ण है। कांटों में भी फूलों सा खिलता रहे, वह कृष्ण है। पीड़ा में भी जो प्रसन्न मुख हो, वह कृष्ण है। आसुरी शक्ति से बिना डरे जो बांसुरी बजा सके, वह कृष्ण है। दुखों की आंच में भी जो प्रेम से नृत्य कर सके, वह कृष्ण है, इसीलिए कृष्ण विषम परिस्थितियों में आनंद करते हैं और योगेश्वर कहलाते हैं। कस्बा स्थित पुरानी निजामत क्षेत्र में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा अमृत वृष्टि के दौरान यह उद्गार पंडित चेतन उपाध्याय ने व्यक्त किए। संगीतमय श्रीमद्भागवत में शनिवार कथा के दौरान नंद उत्सव धूमधाम से मनाया गया।
पंडित उपाध्याय ने कृष्ण की तुलना राम से करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम रामजी का जीवन पद्धति प्रधान है और कृष्ण का जीवन परिणाम प्रधान है। श्री राम परिणाम की चिंता किए बगैर मर्यादा से पद्धति का पालन करते हैं, वहीं कृष्ण पद्धति का आग्रह छोड़ धर्मानुकूल परिणाम लाने का रास्ता बताते हैं।
यहां प्रतिदिन दोपहर बारह बजे से शाम चार बजे तक भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन पहुंचकर इसका लाभ उठा रहे हंै। रविवार को भागवत कथा के दौरान नंदोत्सव मनाया गया। कथा के दौरान बालक ध्रुव, प्रहलाद कथा समुद्र मंथन, वामन कथा आदि का सुंदर वर्णन किया गया। पंडित उपाध्याय ने कथा के दौरान कहा कि तमाम वैज्ञानिक तरक्की के बाद भी जिस तरह आज भी अंतरिक्ष के अनेक रहस्य बेपर्दा है, उसी तरह पृथ्वी के गर्भ में भी अनेक राज छुपे हैं। बात जब पृथ्वी की हो तो हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी पृथ्वी की गहराई में पाताल लोक को लेकर अनेक रोचक बातें बताई गई हैं। वैसे पुराणों के मुताबिक मृत्यु के बाद जाकर देव भक्त रहते हैं, लोक कहलाता है। ऐसे ही लोकों में पाताल लोक भी एक है।
विष्णु अवतार
कथा के दौरान पंडित उपाध्याय ने पुराणों में पाताल लोक के बारे में सबसे लोकप्रिय प्रसंग विष्णु अवतार वामन और राजा बलि का माना जाता है। बली ही पाताल लोक के राजा माने जाते हैं। रामायण में भी अहिरावण द्वारा राम-लक्ष्मण का हरण कर पाताल लोक ले जाने पर श्री हनुमान के वहां जाकर अहिरावण वध करने का प्रसंग आता है। इसके अलावा भी ब्रह्मïांड के तीन लोकों में पाताल लोक का भी धार्मिक महत्व बताया गया है।पंडित उपाध्याय ने कहा कि हिन्दू धर्म शास्त्रों में पृथ्वी के नीचे स्थित पाताल लोक की गहराईयों को लेकर अद्भूत तथ्य हैं। जिनके मुताबिक भू-लोक यानि पृथ्वी के नीचे सात प्रकार के लोक हैं, जिनमें पाताल लोक अंतिम है। विष्णु पुराण भी इस संख्या की पुष्टि करता है। विष्णु पुराण के अनुसार पूरे भूमण्डल का क्षेत्रफल पचास करोड़ योजन है। इसकी ऊंचाई सत्तर सहस्र योजन है। इसके नीचे ही सात लोक हैं। जिनमें क्रम अनुसार पाताल नगर अंतिम है।

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