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Monday, February 14, 2011

ओजस्वी दिव्य सत्संग कार्यक्रम का भव्य समापन


बड़े भाग्य से मिलता है यह शरीर-साध्वी सरिता बहन
सीहोर। आपको यह अमूल्य समय मिला है यह बड़े भाग्य से मिला है। सत्संग श्रवण और संत शरण दोनों ही बड़े ही सौभाग्य से मिलता है। आप आज सत्संग सुनने के लिए जो समय निकालकर आऐ हैं वह समय सौभाग्य से मिलता है। सत्संग से सद्बुद्धि आती है, प्रेम, सेवा, सदाचार, सत्यता, अनुशासन, मानवता, चरित्र के भाव जाग्रत होते हैं। तब मनुष्य को अनुभव होता है कि सत्य-असत्य में क्या भेद है। तब धर्म की ओर मानव का झुकाव होता है। उक्त विचार योग वेदांत सेवा समिति के तत्वाधान में सिंधी कालोनी मैदान बस स्टैंड पर सोमवार को बड़ी संख्या में आए साधक और भक्तों को संबोधित करते हुए संत आसाराम जी बापू की कृपा पात्र शिष्या साध्वी सरिता बहन ने कहे।  सोमवार को बहन ने साधक और यहां पर आए बड़ी संख्या भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि सत्संग में जाकर और प्रवचन सुनने से ज्ञान और बुद्धि दोनों बढ़ते है। इस अवसर पर बच्चों को नशे से सावधान होने के लिए व्यसन के नागपाश से जीवन बचाने के बारे में संकल्प दिया गया। प्रवचन के अंतिम समय बहन जी ने अवगुणों को छोडऩे का संकल्प करवाया। उन्होंने कहा कि कितने ही विष मीठे होते है पर वे भयंकर होते है। मनुष्य को विचार ही नही आता कि वह स्वयं विष का स्वाद ले रहा है। परंतु विष तो अंदर से अपना काम करता ही जाता है। अंत में एक दिन वह अपना रूप दिखाता है और आदमी को अंदर बाहर से समाप्त कर डालता है। बीड़ी, तम्बाकू, अफीम, दारू, गांजा तथा अन्य कोई भी व्यसन तन-मन को भयंकर हानि पहुंचाते है। उन्होंने कहा कि नशा छोड़कर भगवान के भजन पर ध्यान दो। अंतिम दिन महा आरती का आयोजन किया गया। इसके बाद समिति के द्वारा प्रसादी का वितरण किया। रविवार को प्रवचन के दूसरे दिन हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष सतीश राठौर, संस्थापक वासुदेव मिश्रा, शंकर प्रजापति, मोहर चौरसिया, अखिलेश चौरसिया, हरी पालीवाल, दिलीप राठौर, राजू जायसवाल, प्रदीप समाधिया, सुरेश जायसवाल आदि ने कथा स्थल पहुंचकर कथा वाचक सरिता बहन का सम्मान कर प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

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