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Friday, February 18, 2011

भागवत कथा के पांचवे दिन नंद उत्सव मनाया गया

संसार के सारे कार्य परमात्मा के आदेशनुसार माया द्वारा संपन्न किये जाते हैं। उक्त उद्गार निकटस्थ ग्राम मोगराराम  में चल रही भागवत कथा के दौरान महामंडलेश्वर पंडित अजय पुरोहित ने व्यक्त किये । पं पुरोहित ने बताया कि भगवान श्याम सुन्दर चार तरह के माधुर्य से मधुमय होकर मधुरतम एवं सुन्दरतम हो गए हैं। और इस सुन्दरतम श्यामसुंदर को अपना निजजन बना लेने का सहज उपाय है शुद्ध प्रेम को पूर्णरूपेण श्रीकृष्ण में समर्पण कर देना। भगवान कृष्ण जिन चार माधुर्यों से मधुरतम हुए है उसमें प्रथम है भगवान का रूप माधुर्य, भगवान का रूप इतना सुंदर है कि स्वंय वे ही अपने रूप को निहारकर मोहित हो जाते हैं। गोपियाँ जब भगवान को देखती है तो वह स्वयं ही कृष्ण हो जाती हैं। भगवान का दूसरा माधुर्य वेणु माधुर्य है, परमात्मा जब अपने अधरों की माधुर्य  राशि को बांसुरी के अंदर से प्रसारित करते  हैं तो वही नाद रूप मे परिणित होकर समस्त विश्व जगत में व्याप्त हो जाती है। बांसुरी की तान से गिरिराज गोवर्धन की शिलाएँ गलने लगती हंै, यमुना स्थिर होकर रूक जाती है। ये भगवान का वेणुमाधुर्य है। भगवान का तीसरा माधुर्य प्रेम माधुर्य है जिन श्यामसुंदर के डर से स्वंय यमराज थर थर काँपते हंै वो भगवान यशोदा माँ के डर से कांपने लगते है एंव झूठ बोलने लगते हैं। भगवान कृष्ण का चौथा माधुर्य लीला माधुर्य है लीलायम हरि  की लीला में ऐश्वर्य और माधुर्य दो वस्तुएँ है। श्री भगवान ने पूतना का वध किया है स्तन पान करते करते। पूतना के वध में एश्वर्य है किन्तु स्तन पान मेें माधुर्य है। कलिया नाग के दमन में एश्वर्य है किन्तु उसके फन पर नृत्य करना ये श्यामसुंदर का माधुर्य है। कथा के पांचवे दिन नंद उत्सव मनाया गया कथा श्रवण करने आसपास के कई गाँवो से भक्त गण हजारों की संख्या में आ रहे है।

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