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Saturday, February 19, 2011

धर्म के मर्म को समझना चाहिए-पंडित चेतन उपाध्याय

भगवान के भजनों पर श्रद्धालुओं ने किया नृत्य
सीहोर। पूजा-पाठ, उपासना और धार्मिक होने का आडम्बर धर्म नहीं है बल्कि वास्तविक धर्म सदाचार, कर्तव्य पालन और शास्त्र-पुराणों में वर्णित जीवन पद्धति के आधार पर दिव्य जीवन को अपनाना ही धर्म है। जो लोग धर्म के इस मर्म को समझ पाते हैं वे ही असली मनुष्य हैं।
उक्त उद्गार कस्बा स्थित पुरानी निजामत क्षेत्र में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को श्रीमद्भागवत कथा अमृत वृष्टि के दौरान यह उद्गार व्यक्त किए। संगीतमय श्रीमद्भागवत के दौरान भगवान के भजनों पर यहां पर मौजूद श्रद्धालु परम आनंद में मग्न होकर नृत्य करने लगते है। कथा के मुख्य यजमान सुदीप-हेमा व्यास ने कथा के आरंभ से पहले विधि-विधान से पूजा अर्चना की।  गौमाता की सेवा, माता-पिता के प्रति आदर और दैव श्रद्धा पर जोर देते हुए पंडित चेतन उपाध्याय महाराज ने कहा कि आज गौ हत्याएं हो रही हैं, गायों के जीने लायक माहौल नहीं रहा, गोचर भूमि पर लोगों ने हर कहीं कब्जा कर रखा है और गायों का भाग्य का चुरा कर खा रहे हैं, ऐसे में लोग भगवान से आशा करते हैं कि समय पर बरसात हो, जीवन में आनंद मिले और समस्याएं नहीं रहें। यह कैसे संभव है।  पंडित उपाध्याय ने कहा कि आज हम शास्त्रों और धर्म की नीतियों का पालन नहीं कर रहे हैं और यही हमारी सारी समस्याओं का मूल कारण है। अनीति, अन्याय और अधर्म की इन गतिविधियों को अभी नहीं छोडा गया तो पीढयों तक पछताना होगा।  पंडित उपाध्याय ने विभिन्न उदाहरणों और पौराणिक आख्यानों के माध्यम से संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा करते हुए श्रद्धालुओं को भागवत धर्म का रसास्वादन कराया और धर्ममय जीवनयापन का उपदेश देते हुए कहा कि प्रभु सर्वत्र व्याप्त है। लेकिन उनकी कृपा का अनुभव तभी किया जा सकता है जब हमारा चित्त निर्मल हो, इन्द्रियों पर संयम हो और भगवत्प्राप्ति की उत्कण्ठा तीव्र हो। इस संबंध में सर्व ब्राह्मïण समाज के अध्यक्ष प्रकाश व्यास काका ने नगर के धर्मप्रेमी जनता से अपील करते हुए कहा कि कस्बा स्थित पुरानी निजामत कस्बा चौकी पास में कथा चल रही है। कथा का समय दोपहर बारह बजे से चार बजे तक है। उन्होंने सभी धर्मप्रेमी जनता से कथा में शामिल होकर धर्म का लाभ लेने की अपील की।

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