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Friday, February 25, 2011

प्रभु के नाम में प्रभाव है-संत मुरारी बापू

सीहोर। नौ दिवसीय संगीतमय दिव्य श्रीराम कथा के चौथे दिन पूज्य बाल संत श्री छोटे मुरारी बापू ने भगवान श्रीराम के नामकरण संस्कार के अवसर पर कथा प्रसंग में बताया कि महाराज दशरथ जी अपने बालकों के नाम संस्कार पर गुरु वशिष्ठï जी को बुलाया। महाराज स्वयं नाम रख सकते थे। वह बड़े ज्ञानी थे। लेकिन हम मानवों को मानों बताया कि नाम में बहुत प्रभाव है। पूज्य बाल संत श्री छोटे मुरारी बापू ने कथा को आगे बढ़ते हुए कहा कि आप जब भी अपने बालक का नामकरण करो तो किसी संत किसी ज्ञानी पुरुष के द्वारा नाम संस्कार करना, क्योंकि संत अथवा ज्ञानी यदि आपके बालक का नाम रखेगा तो वह नाम प्रभु से संबंधित होगा। उसका नाम धार्मिक होगा। प्रभु नाम की महिमा बताते हुए कहा कि एक बार राजा दशरथ भोजन करने बैठे उन्होंने बिना भगवान का नाम लिए खाना शुरू किया। उन्हें अचानक याद आया कि सभी पुत्र तो आ गए है। मेरे पुत्र राम कहा है। वह राम के कक्ष में गए तो पता चला श्रीराम चुपचाप बैठे है। राजा दशरथ ने कहा कि तुम्हें क्यों नही आए। तो बाल रूप भगवान श्रीराम ने कहा कि आपने मुझे याद नही किया। आपने मुझे पुकारा नही तो मैं क्यों आऊंगा। बाल रूप श्रीराम ने कहा कि आप जब भी भोजन करने बैठे मुझे पुकारा करो। संत श्री छोटे मुरारी बापू ने कहा कि आप जब भी भोजन करने बैठे ईश्वर को अवश्य याद करे। क्योंकि हम जो भोजन ग्रहण करते है। वहां ईश्वर द्वारा प्रदान किया जाता है। जिस ईश्वर ने हमें शरीर दिया और भोजन दिया है उसका स्मरण अवश्य करना चाहिए। जब इंसान अपने अभिमान को त्यागकर समर्पित भाव से मुक्त होकर संत की शरण में जाता है। तो पल भर में ही इंसान को परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। गुरु की महिमा अपार है। संसार में मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ है। इसमें व्यक्ति ईश्वर की पहचान कर जन्म मरण से छुटकारा पा सकता है। ईश्वर की पहचान सद्गुरु करा सकते हैं। सद्गुरु की शरण में जाने पर ही मोक्ष मिलता है। नगर के सिंधी कालोनी ग्राउंड पर जारी दिव्य संगीतमय श्रीराम कथा में चौथे दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने भजन और संगीत की धुन पर नृत्य किया। अम्बाजी धाम गुजरात से पूज्य बाल संत श्री छोटे मुरारी बापू ने कहा कि आप कर्म करेंगे तो जरूरी नही कि सफलता मिल ही जाए। लेकिन आपको घबराना नही है। अगर बार बार भी हताशा हाथ आती है, तो भी आपको निराश नही होना है।

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