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Sunday, January 13, 2013

      
वर्ष 2012 की उपलब्धियाँ एवं निर्णय
सहकारिता के क्षेत्र में हुए अनेक महत्वपूर्ण फैसले, किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर मिले 8,418 करोड़ के फसल ऋण

 
मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिये राज्य सरकार ने वर्ष 2012 में किसानों के हितों में अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिये। अब प्रदेश में किसानों को तेजी से लाभ पहुँचाने के लिये कृषि केबिनेट के जरिये महत्वपूर्ण फैसले लिये जा रहे हैं। सहकारिता के क्षेत्र में वर्ष 2012 में 30 लाख किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर 8,418 करोड़ रुपये के फसल ऋण उपलब्ध करवाये गये। प्रदेश में पूर्व के वर्षों में किसानों को जहाँ 15 से 16 प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण मिल पाता था। वर्तमान सरकार ने ब्याज दर को लगातार कम करते हुए इसे जीरो प्रतिशत तक किया है। जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों को फसल ऋण मिलने पर ऋण वसूली के प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है। अकेले वर्ष 2012 में ही वसूली का प्रतिशत 78.04 तक पहुँच गया है।
सहकारिता के क्षेत्र में इस अवधि में लिये गये एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के जरिये अब प्रदेश में 45 लाख किसान के पास किसान क्रेडिट-कार्ड उपलब्ध हैं। मार्च, 2013 तक 4 लाख नये किसान को क्रेडिट-कार्ड वितरित किये जायेंगे। क्रेडिट-कार्ड का लाभ किसानों के साथ-साथ एक लाख 80 हजार वन-भूमि पट्टाधारियों को उपलब्ध करवाये जाने का भी निर्णय इसी अवधि में लिया गया है।
सहकारी संस्थाओं में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिये मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम में संशोधन किया गया। सहकारी संस्थाओं में निर्वाचन के लिये अलग से मध्यप्रदेश राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी का गठन किया गया। सहकारिता के क्षेत्र में छोटे किसानों के हितों का भी ख्याल रखा गया है। खेती-किसानी में छोटे किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग कर सकें, इसके लिये प्रदेश में इस वर्ष 596 कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की गई है। प्रत्येक सेंटर में 10 लाख रुपये तक के कृषि उपकरण उपलब्ध करवाये गये हैं।
प्रदेश के सहकारी बैंकों को आज के वैश्विक दौर में व्यावसायिक बैंकों से प्रतिस्पर्द्धा के लिये सक्षम बनाने के उद्देश्य से सहकारी बैंकों में नाबार्ड के सहयोग से 31 मार्च, 2013 तक कोर-बैंकिंग लागू करने का निर्णय इसी साल लिया गया। इस दिशा में काफी हद तक काम वर्ष 2012 में दिसम्बर तक किया जा चुका है। सहकारिता के माध्यम से भण्डारण क्षमता को बढ़ाने के लिये प्राथमिक सहकारी संस्थाओं को नि:शुल्क भूमि उपलब्ध करवाये जाने जैसा महत्वपूर्ण निर्णय भी वर्ष 2012 में लिया गया। इस उद्देश्य से वर्ष 2012 में ही 600 प्राथमिक सहकारी संस्था को नि:शुल्क भूमि आवंटित की जा चुकी है।

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