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Saturday, January 5, 2013


ज्ञान में बदलती है अंतर्निहित शक्तियों को शिक्षा
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल श्री यादव

 
राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा कि शिक्षा हमारी अंतर्निहित शक्तियों को उभार कर ज्ञान में परिवर्तित करती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही हमें बौद्धिक रूप से सक्षम और तकनीकी रूप से कुशल बनाती है। ज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों का विकास भी होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उन मूल्यों को भी आत्मसात करें जो उन्हें अपने समाज एवं परिवेश के प्रति संवेदनशील बनाये रखने में मददगार हों। पूर्व में राज्यपाल श्री यादव ने दीप जलाकर समारोह का शुभारम्भ किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया।
समारोह में दो विद्यार्थी को डी.लिट, 44 विद्यार्थी को पीएचडी, 102 विद्यार्थी को स्नातकोत्तर और 44 विद्यार्थी को स्नातक की उपाधि प्रदान की गई। इसके अलावा 19 विद्यार्थी को स्वर्ण पदक भी दिए गये।
राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों को बदलाव की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। शिक्षा के बदलते परिदृश्य में नवाचार को समाहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में स्थानीय मांग और आवश्यकता के अनुरूप माडल विकसित करना चाहिए। श्री यादव ने जीवन के साथ शिक्षा के तादात्मय पर जोर दिया। श्री यादव ने कहा कि शिक्षा को रोजगार से जोड़ने के साथ-साथ उत्तम नागरिक बनाना भी शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि भारतीय परम्परा में विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह का आयोजन एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों को अपने संकल्पों को साकार करने के साथ-साथ ज्ञान को सामाजिक हित में उपयोग करना चाहिए। शिक्षा व्यक्तित्व का रूपांतरण और मानव शक्तियों का परिष्कार करते हुए जीवन के उच्च आदर्शों और उन्नति की ओर ले जाती है। श्री शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति समन्वय की पूर्णता और अखंडता की संस्कृति है। शिक्षा पद्धतियों में बदलाव करते समय संस्कृति को अनदेखा नहीं करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि लोक व्यवहार में भी सभी के मंगल और समन्वय की अभिलाषा अभिव्यक्त होनी चाहिए। उच्च शिक्षा मंत्री श्री शर्मा ने ज्ञान, कौशल और चरित्र निर्माण पर बल दिया।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, हेग, नीदरलेंड, के न्यायाधीश श्री दलबीर भण्डारी ने कहा कि हमें अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव लाते हुए उच्च शिक्षा में समुचित धनराशि का विनियोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 तक कम से कम 750 मिलियन भारतीयों को उच्च शिक्षा देना सुनिश्चित करना होगा। यह एक बड़ा लक्ष्य है लेकिन यदि इस दिशा में पहल नहीं की गई तो हम विश्व परिदृश्य में काफी पिछड़ जायेंगे। श्री भण्डारी ने शिक्षा पद्धति में परिणाममूलक सुधारों के लिए किसी प्रमुख शिक्षाविद की अध्यक्षता में शिक्षा आयोग बनाये जाने का भी सुझाव दिया।
विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती निशा दुबे ने दीक्षांत संदेश में कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को अब जीवन-संघर्ष की चुनौतियों का सामना करना है। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन मूल्यों ,संस्कारों और सकारात्मक सोच के साथ अपने व्यक्तित्व का विकास करें। श्रीमती दुबे ने कहा कि व्यवहार में संवेदनशीलता बनाये रखते हुए दृढ़ विश्वास और समर्पण की भावना से समाज की अपेक्षाएँ पूरी करें। उन्होंने छात्रों से कहा कि प्रतियोगिता में स्वस्थ मानसिकता के साथ हिस्सेदार बनें। उन्होंने भारतीय शिक्षा पद्धति एवं जीवन शैली को पुराने और नये मूल्यों के बीच सामन्जस्य बनाये रखने में सक्षम बताया। श्रीमती दुबे ने उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं को शपथ भी ग्रहण करवाई।
कार्यक्रम में अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भी भेंट किये गये। समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।


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