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Friday, March 4, 2011

निर्माण के बाद मरम्मत भी उलझी संदेह के दायरे में

 जल संसाधन विभाग का कमाल 65 लाख में निर्माण, 39 लाख में मरम्मत 
सीहोर। मुख्यमंत्री के क्षेत्र में उनकी घोषणा के कार्य में लापरवाही का मामला प्रकाश में आया है। जलसंसाधन विभाग द्वारा तैयार कराए गए करीब 65 लाख की लागत के बैराज का एक साल में क्षति ग्रस्त होने के बाद उसकी मरम्मत पर खर्च किए जा रहे करीब 39 लाख के कार्य से भी असंतोष बना हुआ नजर आ रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार जलसंसाधन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के क्षेत्र नसरुल्लागंज के ग्राम लोधाबढ़ में उनकी घोषणा के अनुरुप करीब 65 लाख रुपए की लागत से एक बैराज तैयार कराया गया था। बताया जाता है कि विभाग के आला अधिकारियों ने सीएम के क्षेत्र में इतनी बड़ी राशि के चल रहे कार्य के दौरान भी जागरुकता नहीं बरती गई जिसका नतीजा यह रहा कि निर्माण के एक साल के भीतर ही उपरोक्त बैराज ग्रामीणों द्वारा की गई शंका के अनुसार किसी काम का नहीं रहा, एक बारिश झेलने में ही इस बैराज की विंगवाल क्षति ग्रस्त हो गई जबकि ऐप्रान भी टूट गया यहीं नहीं बैराज का गेटबाल भी क्षतिग्रस्त हो गया। चूंकि सीएम के क्षेत्र का मामला है तो ताबड़ तोड़ में इसकी मरम्मत का कार्य भी प्रारंभ कराया गया है।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इसकी मरम्मत के लिए करीब 38.98 लाख रुपए की राशि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंर्तगत जिला पंचायत के माध्यम से स्वीकृत कराई जाकर कार्य प्रारंभ किया गया है। बताया जाता है कि ग्रामीण बैराज पर कराए जा रहे मरम्मत कार्य से संतुष्ट नहीं है। 
जांच में क्यों दिया गया अभय दान
सीहोर। सीएम के क्षेत्र में इतनी बड़ी राशि के बैराज में लापरवाही बरती जाना आश्चर्य का विषय बना हुआ है। लोगों का कहना है कि जब जल संसाधन विभाग सीएम के क्षेत्र में चलने वाले कार्यों में इस प्रकार लापरवाही बरत रहा है तो जिले के अन्य क्षेत्रों में होने वाले कार्यों की स्थिति कितनी विकट होगी इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस बैराज में गड़बड़ी हो जाने के बाद जांच भी की गई थी पर उसमें भी प्रमुख दोषियों को अभय दान दे दिया गया था। ग्रामीणों में ही नहीं पूरे जलसंसाधन विभाग में अभयदान की चर्चा जोरों पर है।

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