यदि आपके पास कोई समाचार या फोटो है तथा आप भी किसी समस्या को शासन स्तर पर पंहुचाना चाहते हैं और किसी विषय पर लिखने के इच्छुक है,तो आपका स्वागत है ईमेल करे- writing.daswani@gmail.com, Mob No.-+919425070052

Wednesday, March 23, 2011

अखबारों के पहले पन्ने से गायब हो गए भगत सिंह

सीहोर। आज के ही दिन 23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथी सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने नियत तिथि के तीन पहले ही फांसी पर चढ़ा दिया था। हिन्दुस्तान की आजादी के लिए तीनों हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए थे उनके बलिदान की गाथा आज भी लोगोंं के दिलो दिमाग पर अंकित है, पर दुर्र्भाग्य का विषय यह है कि क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथी आज अखबारों के पहले पन्नों से गायब हो गए है, कुछ एक अखबारों को छोड़ दिया जाए तो उनके बलिदान दिवस का जिक्र करना भी उचित नहीं समझा गया है। देश के लिए अपना सर्वस्स बलिदान कर देने वाले इन वीर शहीदों के साथ अखबारों का यह रवैया भी रहेगा इसकी कल्पना शायद किसी को भी नहीं थी, मामूली बाते जो खबर की श्रेणी में भी नहीं आती है उनको स्थान दिया जाना पहले से ही समझ से परे है और ऐसे में शहीदों के बलिदान को याद नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से कम नहीं है, आज हम नई पीढ़ी को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की जज्बों से अवगत नहीं कराएंगे तो उनमें देश भक्ति का जज्बा कहां से पैदा होगा? क्या हम सबका यह कर्तव्य नहीं बनता है? यहां पर श्री कृष्ण सरल की इन पंक्तियों का स्मरण जरुरी हो रहा है कि-
प्रेरणा शहीदों से हम अगर नहीं लेंगे
तो आजादी ढलती हुई सांझ हो जाएगी
यदि वीरो की पूजा हम नहीं करेंगे, तो
यह सच मानो, वीरता बांझ हो जाएगी

0 comments: