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Friday, March 18, 2011

राम शब्द की ध्वनि हमारे जीवन के सभी दुखों को मिटाने की ताकत रखती है। डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज

 सीहोर। कलियुग को सभी कोसते हैं क्योंकि यहां सभी मानव क्रोध, राग, द्वेष और वासना से ग्रस्त है। मगर यह भी सच है कि केवल कलियुग ही वह काल है जिसमें किसी भी अवस्था में केवल प्रभु श्रीराम का सुमिरन करते हुए प्रभु को पाया जा सकता है। कलियुग में मानव बडी सरलता से भगवान श्रीराम का नाम लेते हुए जीवन के भवसागर को पार कर मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। उक्त उद्गार सिंधी धर्मशाला के समीप विशाल मैदान पर संगीतमय श्रीराम कथा के अंतिम दिन यहां पर मौजूद एक महिला के प्रश्न पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि एक साधे सब सदे, भगवान श्रीराम का नाम ही सभी दुखों और पापों से हमें मुक्त कर देता है। उन्होंने आगे कहा कि जैसे भरत ने चरण पादुका की सेवा की है। राम चरण जहां पड़ते है, वहां स्थान पवित्र हो जाता है। इस अवसर पर स्वामी जी ने गुरुवार को केवट द्वारा भगवान श्रीराम को रिझाने वाले भजन का गायन करते हुए कहा कि जरा देर ठहरों राम, अभी हमने जी भर के देखा नही है।
स्वामी जी ने कहा कि राम यह शब्द दिखने में जितना सुंदर है उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है इसका उच्चारण। राम कहने मात्र से शरीर और मन में अलग ही तरह की प्रतिक्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है। हजारों संत और महात्माओं ने राम का नाम जपते-जपते मोक्ष को पा लिया है। कहते हैं कि बलशालियों में सर्वाधिक बलशाली राम है, लेकिन राम से भी बढ़कर श्रीराम जी का नाम है। हनुमान, लक्ष्मण, सुग्रीव, रावण से लेकर तुलसी तक सभी राम का नाम ही जपते रहे हैं। राम नाम की महिमा ही कुछ ऐसी है कि इसको जपने से संपूर्ण मानसिक ताप मिट जाते हैं। मृत्यु के बाद भी साथ राम की सत्ता को नकारने वाले तत्व नहीं जानते कि जब मृत्युकाल होगा तब तुम्हारे विचार, क्रोध, पद, दंभ, साथी और मित्र सब यहीं छूट जाएंगे। गुरुवार को स्वामी जी ने कहा कि सबसे बड़ा ज्ञानियों का केन्द्र काशी है। काशी में अधिकांश लोग ज्ञानी रहते है। इसलिए नही कह रहा कि मैं वहां पर रहता हूं। मैं इसलिए कह रहा हूं कि जब से इस संसार का उदय हुआ है। तबसे यहां पर ज्ञान का केन्द्र काशी रहा है।
स्वामी जी ने आगे कहा कि राम शब्द की ध्वनि हमारे जीवन के सभी दुखों को मिटाने की ताकत रखती है। यह हम नहीं ध्वनि विज्ञान पर शोध करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि राम नाम के उच्चारण से मन शांत हो जाता। कलियुग में यही सहारा  कहते हैं कि कलयुग में सब कुछ महंगा है, लेकिन राम का नाम ही सस्ता है। सस्ता ही नहीं सभी रोग और शोक की एक ही दवा है राम। वर्तमान में ध्यान, तप, साधना और अटूट भक्ति करने से भी श्रेष्ठ राम का नाम जपना है। भागमभाग जिंदगी, गलाकाट प्रतिस्पर्धा, धोखे पर धोखे, माया और मोह आदि सभी के बीच मानवता जब हताश और निराश होकर आत्महत्या करने लगती है तब सिर्फ राम नाम का सहारा ही उसे बचा सकता है। इसलिए राम की महिमा निराली है। संगीतमय श्रीराम कथा के अंतिम दिन विधायक रमेश सक्सेना सह परिवार, वरिष्ठ भाजपा राजेन्द्र सिंह राजपूत, रमाकांत भार्गव, नगर पालिका अध्यक्ष नरेश मेवाड़ा, देवेन्द्र सक्सेना, प्रदीप सक्सेना, अमर सिंह मीणा, प्रकाश व्यास काका, अशोक सिसौदिया, सुशील ताम्रकार, राधेश्याम कसान्या, माखन परमार, प्रदीप गौतम, विशाल परदेशी, रामचंदर पटेल, नंदकिशोर विश्वकर्मा, सुदीप व्यास, अमित कटारिया, तुलसीराम मेवाड़ा, मुकेश मेवाड़ा, महेन्द्र वर्मा, मनोज जैन, पवन जैन और पप्पू आदि शामिल थे। कथा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में यहां पर उपस्थित भक्तों और श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम की आरती उतरी और यहां पर प्रसादी का वितरण किया।


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