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Saturday, March 12, 2011

जब इस देश के एक मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से एक प्रांत में हमारे देश का झंडा लहराने के लिए मना कर रहा हो उस देश का भगवान ही मालिक है।

 डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज
सीहोर। कैकई श्रीराम के बारे में कथा के दौरान डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज काशी ने कहा कि कैकई की बुराई सभी करते है। कैकई श्रीराम के महान कार्य बनने के लिए अपयश-कलंक को स्वीकार कर लेती है। विश्व कल्याण के लिए कैकई ने महान कार्य किया। कैकई के पिता राजा केक थे। जिसकी पुत्री कैकई थी। उस समय भी इस भूतल पर रावण और राक्षसों और दुष्टों का आतंक था। जिसकी समाप्ति के लिए कैकई का जन्म हुआ। रावण ने 32 चौकड़ी तक राज्य किया। रावण, राक्षसों और दुष्टों से आतंक के कारण यह धरती पर पाप बढ़ता जा रहा था। कैकई की बनाई फिल्म में भगवान श्रीराम ने अभिनय कर राक्षसों का संहार किया और रावण के आतंक और घमंड से इस संसार को मुक्ति दिलाई। उन्होंने एक बात कहते हुए कहा कि संभल कर रहना घर में छुपे गद्दारों से कहने का तत्पर यह है कि हमारे देश में इन दिनों ऊपर से नीचे तक द्वार-द्वार में गद्दार विराजमान है। इस देश को कोई आदर्श शक्ति चला रही है। जब इस देश के एक मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से एक प्रांत में हमारे देश का झंडा लहराने के लिए मना कर रहा हो उस देश का भगवान ही मालिक है। इस अवसर पर महाराज ने विश्वामित्र, राजा जनक, सुग्रीव और बालि के बारे में सुन्दर वर्णन किया। कथा के तीसरे दिन छोटे से बालक गोपाल माधव शर्मा ने दशरथ के गुणों का वर्णन कथा के दौरान किया। इस अवसर पर महाराज श्री ने मेरा मन दर्पण कहलाए का गान किया तो श्रद्धालुओं ने आनंद में नृत्य किया।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा
शुक्रवार को डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज ने मोहि कपट छल छिद्र न भावा के बारे में स्पष्ट करते हुए कहा कि रामजी को सरलता एवं निश्छलता का गुण बहुत पसंद है। जो जैस है वह वैसा ही अपने-आपको उनके सामने समर्णण कर दे तो वे उसका सर्वाधिक कल्याण कर देते है और उसे अपना बना लेते है। भक्त हो या पापी, उनके सामने जाते ही सब छल कपट और छिद्र भूल जाता है। उसे अपने असली रूप में आना ही पड़ता है और जहां प्राणी अपना असली रूप उनके सामने लाया, राम जी प्रसन्न होकर उसे अपनी भक्ति दे देते हैं, जन्म-जन्म के बंधन काट देते है। ऐसा क्यों नह हो, वे राम तो अपनी अन्तरात्मा ही है। उनसे कोई दुराव कैसे करेगा। चाहे कोई सबके सामने मुखौटा चढ़ाये रहे, अन्तरात्मा के सामने यह असम्भव है। यदि कोई अन्तरात्मा उसे क्षमा नही करेगा। उसे धिक्कारेगा। प्राणी को अंतरात्मा के सामने असत्य का आवरण उतारना ही पड़ता है और वह अवश्य ही पापी से धर्मात्मा बन जाता है। क्योंकि उनका उद्घोष है कि एक बार भी यदि कोई मैं आपकी शरण हूं, ऐसा कहकर मेरे प्रपन्न हो जाता है तो उसे मैं सम्पूर्ण प्राणियों से अभय कर देता हूं, यह मेरी प्रतिज्ञा है।
भारत में मर्यादा की रक्षा
डॉ.राम कमल दास वेदांती महाराज ने कथा के दौरान कहा कि भारत में मर्यादा की रक्षा करने से ही संस्कृति जिंदा बची हुई है। जहां मर्यादा खत्म हुई, वहां की संस्कृति खतरे में पड़ गई। मर्यादा की रक्षा का संदेश ही भगवान राम ने त्रेता युग में दिया है। इसको बचाने से ही भारतीय संस्कृति को बचाया जा सकता है। राम वनवास प्रसंग के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि पिता की आज्ञा वह भी केवल मौखिक शब्दों में को पूरा करने के लिए भगवान राम ने वनवासी का वेश धरकर वचनों की मर्यादा का पालन किया।
भारत का अध्यात्म कहता है
भारत का अध्यात्म कहता है कि यहां कोई अपना नही है। यहां तक कि यह शीर भी अपना नही है। अपने लिए कोई अपना नही है। यह सच है। मगर यह भी सच है कि सेवा के लिए सभी अपने है। सुख लेने के लिए यह शरीर भी अपना नही है, परन्तु सेवा के लिए पूरा संसार अपना है। सबके लिए सुख चाहने से अपने लिए सुख जल्दी मिलता है। अपने लिए सुख लाभ की चाहत है तो दूसरों का भला करते चलो। कारण कि लाभ शब्द पलट दे तो भला बनता है। उन्होंने मेरा मन दर्पण कहलाए, श्री गुरु चरण सरोज रज आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की। संगीतमय श्रीराम कथा में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने कथा का आनंद लिया।

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