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Tuesday, March 15, 2011

संतों के आशीर्वाद से मिलता है परमात्मा-बाल संत

सीहोर। श्रद्धालुजनों की उत्सुकता, कौतूहल और जिज्ञासा का केन्द्र बना हुआ है, जिसकी वजह है सिंधी धर्म शाला के समीप जारी श्रीराम कथा में विराजमान दस वर्षीय बाल  गोपाल माधव शर्मा महाराज। मध्यप्रदेश के भिंड जिले के अंतर्गत आने वाले भगवंतपुरा नामक स्थान के इस बाल साधु ने आज से दो वर्ष पूर्व मात्र आठ वर्ष की आयु से ही सन्यास ग्रहण कर लिया था। बालक साधु के माता-पिता डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज के अनन्य भक्त थे। उन्हीं की सहमति से आज से दो वर्ष पूर्व इस बाल साधु ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया और अब गोपाल माधव शर्मा महाराज के रूप में अपने जीवन का नवीन अध्याय शुरू किया। इन दिनों विधायक रमेश सक्सेना के द्वारा जारी सिंधी धर्मशाला में आयोजित की जा रही संगीतमय श्रीराम कथा में इस बाल साधु के दर्शन के लिए महिलाओं-पुरुषों सहित सभी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है और बाल साधु एक वयस्क साधु की तरह भक्तों व श्रद्धालुओं को धर्म और गौ माता के बारे में जानकारी दे रहा है। श्रृद्धालुओं का कहना है कि उनके मुख पर साधुता का तेज भी परिलक्षित होता है और बालसुलभ निश्छलता भी। इस संबंध में जानकारी देते हुए श्रीराम कथा के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि दस वर्षीय इस बालक का जन्म अप्रैल 2001 में मध्यप्रदेश के जिला भिन्ड भगवंत पुरा में पंडित बृजेश शर्मा के जहां पर हुआ था। उनके बाबा पंडित विश्वनाथ शर्मा धार्मिक कथाओं और धार्मिक आयोजनों में इस बालक को ले जाते थे। दो वर्ष पूर्व बालक डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज के कारण बालपन छोड़कर अध्यात्म के मार्ग में प्रवेश कर गया। अब उसने सभी दुनिया के रिश्ते त्यागकर गुरू डॉ.रामकमल दास वेदांती महाराज को अपना सबकुछ समर्पित कर उनका शिष्यत्व अपना लिया है।मंगलवार को विधायक रमेश सक्सेना के निवास पर आए बड़ी संख्या में आए भक्तों से कहा कि जबसे भारत के विद्यार्थी गीता, गुरुवाणी, रामायण की महिमा भूल गये, तबसे वे पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के शिकार बन गये। नहीं तो विदेश के विश्वविख्यात विद्वानों को भी चकित कर दे ऐसा हौसला भारत के नन्हें-मुन्हें बच्चों में था।
उन्होंने विद्यार्थियों को अपने संदेश में कहा कि अपने जीवन में हजार-हजार विघ्न आयें, हजार बाधाएँ आ जायें लेकिन एक उत्तम लक्ष्य बनाकर चलते जाओ। देर सवेर तुम्हारे लक्ष्य की सिद्धि होकर ही रहेगी। विघ्न और बाधाएँ तुम्हारी सुषुप्त चेतना को, सुषुप्त शक्तियों को जागृत करने के शुभ अवसर हैं।

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