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Thursday, March 10, 2011

लोभ ही सब पापों की जड़

मुनि श्री 108 का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया
सीहोर। सांसारिक जीवन में दिनों दिन बढती आपा धापी और हाय तौबा को मानव मन में दिन दूनी रात चौगुनी बढती लोभ वृत्ति का कारण बताया और कहा कि लोभ ही सब पापों की जड़ है। उक्त विचार आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री 108 भूतबलि सागर ने छावनी स्थित महावीर भवन पर बड़ी संख्या में धर्मप्रेमियों को संबोधित करते हुए कहे। इस संबंध में जानकारी देते हुए समाज के पदाधिकारी पवन जैन ने बताया कि नगरागमन पर मुनि श्री का पुष्प वर्षा कर बैंड-बाजे के साथ स्वागत किया गया। मुनि श्री ने जीवन के कषायों काम, क्रोध, माया, मान का समूलोच्छेदन लोभवृत्ति को समाप्त किए बिना न हो पाने का खुलासा करते हुए कहा कि चोरी, हत्या, झूठ सभी आपराधिक वृत्तियां लोभ के वशीभूत है। लोभ ही पाप का बाप है। मुनि श्री ने उत्तम शौच को पवित्रता, शूचिता, निर्मलता और सद्व्यवहार के साथ सफलता के लिए सिद्धान्तों के साथ समझौता न करने का पर्याय बताया और कहा कि जीवन में धर्म ध्यान ही लोभ से बचने का उपाय है। मुनि श्री ने अपने आशीष वचन में समाज से आह्वान किया कि वह किसी पंथ या गुट में न पड़कर भगवान जितेन्द्र के बताए गए अहिंसा धर्म के मूल सिद्धांत पर दृढ़ता से आस्था, संयम, विश्वास और श्रद्धा रखकर जैनत्व का परिचय दे मानव जीवन बहुत अनमोल है। इसकी सार्थकता को समझे। प्रवचन कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जैन समाज के अध्यक्ष ललित जैन, महामंत्री देवचंद जैन, महीपाल जैन, पवन जैन, प्रेमीलाल, गोलू जैन, मुकेश जैन, अरुण जैन, रविन्द्र, संजय महिला मंडल से विमला जैन आदि बड़ी संख्या में महिला शामिल थी।

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