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Friday, November 26, 2010

सांठ-गांठ उजागर

सीहोर.जिला मुख्यालय पर कलेक्टर द्वारा दो साल पहले जारी किए गए आदेश पर अब अमल हुआ है। आखिर किन कारणों के चलते अमल रुका रहा। उन दो सालों में क्या कुछ नहीं हुआ। इसकी जांच अब अवश्यक नहीं है क्या। शासकीय कार्यालयों में काम की सुस्त गति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलेक्टर का भूमाफियों पर शिकंजा कसने के आदेश दो साल तक फाइलों में उलझा रहकर भूमाफियों को सरंक्षण देता रहा है।  हाल ही में इस आदेश के पालन में भूमाफियों पर शिकंजा कसने के लिए आदेश जारी कर दिया गया, लेकिन इस आदेश ने शासकीय के कार्य की गति का जरूर खुलाशा कर दिया। वहीं इस बात को भी उजागर कर दिया कि इस महत्वपूर्ण आदेश पर दो साल तक क्यों पालन नहीं किया गया। आ िार भूमाफियों को सरंक्षण क्यों दिया गया। यह अनुचरित प्रश्न लोगों की जुबां पर अभी भी प्रश्न बना हुआ है।  पिछले दो-तीन साल से भूमाफियों का शिकंजा तेजी से शहर में पैर पसार गया है। नगरीय क्षेत्र एवं इसके आसपास की कृषि भूमि को बिना डायवर्सन के आवासीय दर्शाकर भूमाफिया कलोनियां काटकर चांदी कर रहे हैं। वहीं कृषि भूमि की रजिस्ट्री कराए जाने से शासन को राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है। भूमाफियों के शहर में बढ़ते शिंकजे को लेकर कलेक्टर ने आदेश क्रमांक 1404/डायवर्सन/08 के जरिए 30 जुलाई 08 को जिले के सभी एसडीएम को  अवैध कालोनी पर प्रभावी नियंत्रण के लिए परिपत्र जारी किया गया था। आदेश में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि मप्र भू राजस्व संहिता की धारा 70 के अंतर्गत जारी अधिसूचना क्रमांक 178-6477 दिनांक 6 जनवरी 1960 के नियम (1) के अनुसार कृषि प्रयोजन के लिए प्रयुक्त भूमि का ऐसा कोई टुकड़ा संरचित नहीं होगा, जिसका क्षेत्रफल 0.05 एकड़ से कम हो। यह आदेश दो साल का एसडीएम कार्यालय में फाइलों में धूल खाता भूमाफियों को सरंक्षण देता रहा। इस दौरान शहर के लगभग चारों तरफ भूमाफियों ने जमकर जमीन का क्रय-विक्रय कर शासन को लाखों रुपए राजस्व की हानि पहुंचाई जाती रही। हालांकि इस आदेश पर हाल ही में एसडीएम सुभाष द्विवेदी ने आदेश/2009/डायवर्सन/2010 के माध्यम से कृषि भूमि को आवासीय दर्शाकर रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश ेमें कलेक्टर के पूर्व आदेश को आधार बताते हुए कृषि भूमि को बिना डायवर्सन के रजिस्ट्री नहीं करने के निर्देश उपपंजीयक को दिए गए हैं। मगर इस आदेश ने कलेक्टर के पूर्व आदेश पर दो साल तक पालन नहीं किए जाने के पोल खोल कर रखी है। आखिर एसडीएम कार्यालय पर दो साल पहले क्यों पालन नहीं किया गया। आखिर भूमाफियों को अभी तक सरंक्षण क्यों दिया जाता रहा।

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