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Friday, December 31, 2010

मय खाने बनते जा रहे ढाबे

जांच की औपचारिकता पूरी करते है विभाग
सीहोर।  जिला मुख्यालय और राजमार्ग पर बने हुए ढाबे अब मय खाने में परिवर्तित होते जा रहे है। दुर्भाग्य का विषय यह है कि इस ओर न तो आबकारी विभाग ध्यान दे पा रहा है और न ही पुलिस का ध्यान इस ओर जा रहा है। केवल विश्ष अवसरों पर ही इनके द्वारा जांच की औपचारिकताओं को पूर्ण किया जाता है।जिला मुख्यालय के ढाबों और भोपाल—इन्दौर राजमार्ग पर बने ढाबें इन दिनों मय खानों में परिवर्तित हो चुके है। यहां पर ग्राहकों को हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराना आम बातों में शामिल हो चुका है। कहने को तो यहां पर केवल भोजन की सुविधा ही ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाती है पर वास्तविकता यह है कि बीयर से लेकर हर प्रकार देशी और विदेशी शराब आसानी के साथ साधारण से ल्ऋेकर असाधारण ग्राहक को मिल जाती है। जिसके लिए ग्राहकों से अतिरिक्त्सेवा शुल्क वसूला जाता है। यह शुल्क ढाबा संचालकों के यहां काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा वसूल किया जाता है।कई जगहों पर उपलब्ध: कई ढाबा संचालक अपने कर्मचारियों के माध्यम से ग्राहकों को बीयर और शराब की सेवाएं तत्काल नजदीक के शराब विक्रेता के पास से उपलब्ध करा दिया करते है पर कई ढाबा संचालक इस असुविधा से बचने के लिए अपने ढाबों पर ही इसकी व्यवस्था करने लगे है। राजमार्ग के कुछ ढाबा संचालकों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश के यहां पर इस प्रकार की सुविधा चोरी छिपे उपलब्ध हो जाती है। जिनको यह सुविधा नहीं मिल पाती है वो या तो संदिग्ध अधिकारी लगते है या फिर संचालक और कर्मचारी को इस बात पर शक हो जाता है कि विभाग का या पुलिस का कोई अधिकारी या कर्मचारी तो नहीं है। इस स्थिति में केवल उसी को ही यह सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है। कभी—कभी कार्रवाई: आबकारी विभाग और पुलिस विभाग द्वारा इस दिशा में कभी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाते है। औपचारिकता पूर्ण करने के लिए कई बार इस प्रकार के कदम उठा लिए जाते है वो भी किसी विश्ऋेष अवसर पर अन्यथा जो जहां जैसा चल रहा है उसे वैसा ही छोड़ दिया जाता है। दोनों विभाग की कथित लापरवाही के कारण ही ढाबों में मनमानी का राज चल रहा है।

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