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Saturday, December 22, 2012


प्रदेश को कुल खाद्यान्न उत्पादन में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये भारत सरकार का कृषि कर्मण अवार्ड घोषित

राष्ट्रपति के हाथों 15 जनवरी को दिल्ली में मिलेगा अवार्ड



कृषि क्षेत्र में लगातार उत्तरोत्तर प्रगति कर रहे मध्यप्रदेश राज्य को भारत सरकार की रिवार्ड स्कीम के अंतर्गत एक और बड़ा राष्ट्रीय सम्मान कृषि कर्मण अवार्ड मिलने जा रहा है। वर्ष 2011-12 में कुल ‘‘खाद्यान्न उत्पादन केटेगरी फर्स्ट’’ के लिए राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा 15 जनवरी, 2013 को नई दिल्ली में विशेष समारोह में यह अवार्ड प्रदेश को दिया जाएगा। उक्त समारोह में प्रदेश से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि विकास और किसान-कल्याण मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रमुख सचिव कृषि एवं संचालक कृषि को आमंत्रित किया गया है।

भारत सरकार कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू किये गये कृषि कर्मण अवार्ड का उद्देश्य खाद्यान्न फसलों में उत्पादन वृद्धि के लिये राज्यों द्वारा किये जा रहे उल्लेखनीय प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। इन पुरस्कारों को दो मुख्य वर्गों में बाँटा गया है- प्रथम वर्ग कुल खाद्यान्न उत्पादन का है, जिसमें 10 मिलियन टन से अधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य- उत्तरप्रदेश, पंजाब, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा बिहार को 2 करोड़ राशि वर्ग के पुरस्कार के लिये प्रतिभागी राज्य माना गया। इस अवार्ड के विजेता राज्य को दो करोड़ राशि की पुरस्कार निधि के साथ ट्राफी तथा प्रमाण-पत्र दिया जाता है। कृषि कर्मण अवार्ड के रूप में वर्ष 2010-11 से विभिन्न श्रेणियों में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप स्क्रीनिंग के आधार पर प्रेजेंटेशन के लिये 30 अक्टूबर, 2012 को नई दिल्ली बुलाया गया था।

मध्यप्रदेश का प्रस्तुतिकरण

मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ. डी.एन. शर्मा, संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा सचिव कृषि एवं सहकारिता विभाग, भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित 5 सदस्यीय समिति के समक्ष अपना प्रस्तुतिकरण दिया गया। इसमें बताया गया कि प्रदेश ने वर्ष 2011-12 के दौरान कुल 216.08 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हासिल किया जो एक अभूतपूर्व कीर्तिमान है। इससे पूर्व वर्ष 2010-11 में खाद्यान्न फसलों का अधिकतम उत्पादन 166.41 लाख मीट्रिक टन ही था। गेहूँ के उत्पादन में भी लम्बे डग भरते हुए वर्ष 2010-11 के अधिकतम 90.46 लाख मीट्रिक टन उत्पादन को लांध कर प्रदेश में 127.53 लाख टन का उत्पादन रिकार्ड किया गया। वहीं गेहूँ की प्रति हेक्टेयर अधिकतम उत्पादकता वर्ष 2010-11 में 2065 किलोग्राम थी, जो वर्ष 2011-12 में 2609 किलोग्राम तक पहुँच चुकी है। वर्ष 2010-11 में धान का उत्पादन 17 लाख 72 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 22 लाख 27 हजार मीट्रिक टन हो गया। इसी प्रकार गेहूँ तथा धान के समर्थन मूल्य पर उपार्जन के क्षेत्र में भी प्रदेश की स्थिति काफी मजबूत है।

किसानों के हित में नीतिगत निर्णय

राज्य शासन के प्रमुख निर्णयों में कृषि केबिनेट का गठन, जिसमें कृषि एवं सहयोगी विभाग शामिल किये गये, कृषकों को सहकारी बैंकों से शून्य ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध करवाना, गेहूँ तथा धान के समर्थन मूल्य पर वर्ष 2011-12 में क्रमशः 100 एवं 50 रुपये प्रति क्विंटल बोनस कृषकों के खाते में जमा करना, अनुसूचित-जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कृषकों को 90 प्रतिशत अनुदान पर संकर मक्का बीज उपलब्ध करवाना, जैविक कृषि नीति का प्रचलन, कृषि यंत्र एवं अन्य योजनाओं की अनुदान राशि सीधे कृषकों के खाते में जमा करना, अग्रिम उर्वरक भण्डारण योजना, जल क्षमता विस्तार के लिये बलराम ताल योजना, कृषि यंत्रों पर 25 प्रतिशत टाप-अप अनुदान तथा स्प्रिंकलर आदि सिंचाई साधनों के लिये राज्य सरकार की ओर से 30 प्रतिशत टाप-अप अनुदान, यंत्रीकरण में वृद्धि के लिये 850 कस्टम हायरिंग केन्द्रों का विकास हैं।

प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने हेतु विशेष पहल

उच्च उत्पादकता वाली किस्मों को बढ़ावा देना एवं आदान पूर्ति की साप्ताहिक समीक्षा करना, 1217 बीज उत्पादक समितियों का गठन कर बीजोत्पादन को बढ़ाना, 83 प्रतिशत बीजों का उपचार कर बोना, गेहूँ तथा धान में बीज प्रतिस्थापन दर में उच्च वृद्धि, माइक्रो न्यूट्रीएन्ट्स विशेषकर जिंक सल्फेट के उपयोग को बढ़ावा देना, आई.पी.एम. एवं आई.एन.एम. तकनीकी को प्रोत्साहित करना, फार्म फील्ड स्कूल के माध्यम से उत्पादन एवं उत्पादकता तकनीकी को प्रदर्शित करना, किसान दीदी-किसान मित्र योजना का प्रभावी क्रियान्वयन, संकर धान का उत्पादन एस.आर.आई. तकनीकी से बढ़ाना, बड़े बाँधों से सिंचाई क्षमता में विस्तार कर 16 लाख 35 हजार हेक्टेयर का विस्तार करना, कृषि साख सीमा में 30.5 प्रतिशत वृद्धि कर वर्ष 2011-12 में 7629.27 करोड़ कृषि ऋण सहकारी बैंकों के माध्यम से वितरण करना, राज्य शासन की विशेष पहल है। इसके सार्थक परिणाम प्रदेश में लगातार कृषि फसलों के उच्च उत्पादन के रूप में सामने आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय ख्यातमान वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित 15 सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड-2012 से 19 सितम्बर, 2012 को राज्य को नवाजा जा चुका है। इसी श्रंखला में प्रदेश को ‘‘अधिकतम कृषि विकास दर वर्ष 2011-12 में प्राप्त करने के लिये राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी’’ द्वारा 15 दिसम्बर, 2012 को अवार्ड प्रदान किया गया।

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