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Sunday, December 16, 2012


भारत-पाक युद्ध की रोमांचक यादें हुई ताजा

 ‘विजय दिवस’ पर प्रेरक कार्यक्रम
इतिहास के पन्नों में एक अनूठे युद्ध के रूप में दर्ज 1971 के भारत-पाक युद्ध की रोमांचक यादें आज यहाँ ‘विजय दिवस’ के अवसर पर हुए यादगार कार्यक्रम में ताजा हो गईं। आज के दिन 16 दिसम्बर, 1971 को 14 दिन की भीषण लड़ाई के बाद पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने समर्पण किया था। इस दिन को तभी से विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वित्त मंत्री श्री राघवजी थे और एनसीसी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के डायरेक्टर ब्रिगेडियर बी.एन. सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

कार्यक्रम में ऑडियो-विजुअल माध्यम से भारत-पाक युद्ध के यादगार क्षणों और घटनाओं को सजीव ढंग से दिखाया गया। उस समय फ्लाइट लेफ्टीनेंट आदित्य विक्रम पेठिया की बहादुरी का चर्चा हुआ। श्री पेठिया ने 20 साल की उम्र में जंग में भाग लेते हुए दुश्मन के टैंक ले जाने वाली ट्रेन को कई घंटों तक रोके रखा। बाद में श्री पेठिया पकड़े गये और लम्बे समय तक युद्ध बंदी के रूप में रहे। कर्नल सहगल और मोनिका सहगल ने युद्ध के पहले के हालात, रणनीतियों, युद्ध-प्रक्रिया और पाक सेना के समर्पण पर विस्तार से जानकारी दी। समर्पण के वीडियो दृश्य भी दिखाये गये।

कर्नल विक्रम आर्य ने पश्चिमी क्षेत्र की युद्ध गतिविधियों पर जानकारी देते दी। उन्होंने बताया कि किस तरह सेकेण्ड लेफ्टीनेंट अरुण खेतरपाल किसी तरह दुश्मन के टैंकों का विध्वंस करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। कर्नल भवानी सिंह की बहादुरी को भी याद किया गया। कमाण्डर दुर्गा पाल ने युद्ध में जल-सेना की गतिविधियों की चर्चा की। दुश्मन की खतरनाक पनडुब्बी ‘गाजी’ को किस चतुराई के साथ चकमा देकर नष्ट किया गया और आईएनएस विक्रांत को किस तरह बचाया गया, इसका भी रोचक विवरण दिया गया। भारत की पनडुब्बी आई.एन.एस. ‘खुकरी’ जब दुश्मन के हमले से नष्ट हुई, तब महेन्दर सिंह मुल्ला एकदम शांत भाव से बैठे रहे और पनडुब्बी के साथ डूब गये। इस यादगार प्रेरक घटना का भी विस्तार से जिक्र किया गया। दुश्मन के खेबर और शाहजहाँ जहाजों के विनाश की कहानी भी बताई गई।

युद्ध के बाद भोपाल के 5 वीर को इस युद्ध में वीरता के लिये पुरस्कृत किया गया। इनमें ब्रिगेडियर के.पी. पाण्डे (महावीर चक्र), आदित्य विक्रम पेठिया (वीर-चक्र), जी.के. द्विवेदी (वीर-चक्र), एयर मार्शल व्ही.के. वर्मा (वायु सेना मेडल) और कर्नल सुरेन्द्र कुमार (विशिष्ट सेवा मेडल) शामिल हैं।

इस अवसर पर एन.सी.सी. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के केडेट्स ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इनमें कर्मा नृत्य, देशभक्ति गीत और श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित नृत्य-नाटिका शामिल है।

मुख्य अतिथि के रूप में श्री राघवजी ने कहा कि युद्ध के बारे में अक्सर सुनने में आता है, लेकिन उसकी रणनीति और बारीकियों के बारे में इस कार्यक्रम से जानने को मिला। उन्होंने एन.सी.सी. केडेट्स द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम को भी सराहा।

ब्रिगेडियर बी.एन. सिंह ने कहा कि भारत-पाक युद्ध के समय देश के लोगों ने जिस तरह सेना का मनोबल बढ़ाया, वह बेमिसाल है। फलस्वरूप भारतीय सेना इतनी यादगार विजय प्राप्त कर सकी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के 2 लाख विद्यार्थियों को एन.सी.सी. प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इस अवसर पर मध्यप्रदेश तीर्थ एवं मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री मेघराज जैन, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल डी.सी. गोयल, कर्नल एस.सी. दीक्षित तथा बड़ी संख्या में पूर्व सेना अधिकारी और जवान उपस्थित थे। कर्नल गिरजेश सक्सेना ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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