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Monday, October 11, 2010

शादी के दिन 15

सीहोर, शहनाई के स्वर सत्रह नवम्बर से एक फिर सुनाई देना प्रारंभ हो जाएंगे पर इस बार भी विवाह के शुभ मुर्हत गिनती के ही है जिससे आयोजकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। नवम्बर और दिसम्बर माह में शादियां की तारीख है पर दोनों माह में केवल पन्द्रह दिन ही विवाह होना है। श्राद्ध पक्ष के समाप्त होते ही बाजार में खोई हुई रौनक धीरे-धीरे लौटने लगी है। हालांकि यह रौनक अभी व्यापारियों के मान से नहीं है क्योंकि अभी बाजार में कारोबार ने अपनी गति नहीं पकड़ी है। पर श्राद्ध पक्ष के समाप्त होते ही रूके हुए विभिन्न शुभ कार्यों के लिए लोग सक्रिय होते नजर आने लगे है। श्राद्ध पक्ष के कारण हर प्रकार के शुभ कार्यों को नवरात्र प्रारंभ होने के बाद से श्रीगणेश किए जाने की परम्परा है। श्राद्ध पक्ष के कारण लोगों न तो विवाह आदि की चर्चा कर रहे तो और न ही आने वाली पत्रिकाओं का मिलान कर रहे थे। इसके समाप्त होते ही लोगों द्वारा विवाह की शुभ तारीखों को निकलवाने का कार्य किया जा रहा है। लोगों ने इस कार्य के लिए अपने-अपने पंडितों से संपर्क किया जाने लगा है। पत्रिकाओं के अनुरूप पंडितों द्वारा भी विवाह के लिए तारीखें निकाली जा रही है। कुछ लोग अभी नवरात्र की व्यस्तताओं के चलते दशहरें का इंतजार भी कर रहे है।

ब्रेक लगा हुआ है

फिलहाल विवाह आयोजनों में ब्रेक लगा है। 19 जुलाई को शुभ विवाह का आखिरी मुहुर्त था,उसके बाद से यह सिलसिला रूका हुआ है, इस सिलसिले की शुरूआत अब देव उठनी ग्यारस 17 नवम्बर से होने जा रही है।

ज्यादा दिन नहीं

लोगों द्वारा विवाह आयोजन कराए जाने की तैयारियां की तो जा रही है पर इस साल भी दिनों की कमी लोगों को खलेगी। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि 17 नवम्बर के साथ नवम्बर माह में 18, 22, 23, 28, 30 ही विवाह की दृष्टि से शुभ तारीख है। जबकि दिसम्बर माह में 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8, 9 और 14 तारीख ही शुभ है। इस तरह नवम्बर और दिसम्बर माह में कुल केवल पन्द्रह दिन ही विवाह की तारीख है। जिससे लोगों का इंतजाम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है,सीमित मुहूर्त होने के कारण सभी समानों को एकत्रित करने से लेकर अन्य व्यवस्थाओं का अंजाम देने में भी लोगों को परेशानी का ही सामना करना पड़ता है।

एक माह बाद

नवम्बर और दिसम्बर के पन्द्रह दिनों के धूम धड़ाके के बाद एक बार फिर एक माह के लिए शादियों पर रोक लग जाएगी। जानकारी अनुसार 14 दिसम्बर को आखिरी मुहूर्त होने के बाद 14 जनवरी तक विवाह कार्यक्रम बंद रहेंगे। 14 जनवरी के बाद फिर से शहनाई के स्वर सुनाई देने लगेगे। बहराल 19 जुलाई से विवाह आयोजन बंद होने से उसके कारोबार से जुड़े लोगों को इस सन्नाटे के खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है। व्यापारियों का कहना है भले ही विवाह की शुभ तारीखें कम हो पर विवाह की संख्या तो काफी रहेगी जो जुलाई के बाद से रूके हुए कारोबार में जान फूंकने में सहायक सिद्ध होगी।

करोड़ों के कारोबार की उम्मीदें

नवम्बर को दिसम्बर माह में विवाह के दिन भले ही गिनती के केवल पन्द्रह ही है पर इन पन्द्रह दिनों के मुहूर्त में भी जिले में करोड़ों रूपए का कारोबार होने की संभावना है। विवाह मुहूर्त की तिथियों को देखते हुए व्यापारियों द्वारा भी जोरदार तैयारियां शुरू कर दी गई है। इनकी तैयारियां दशहरें के बाद दीपावली के कारोबार के साथ-साथ शादियों के समान को लेकर भी रहेंगी।

साड़ी का स्टॉक

बाजार में दुकानदारों द्वारा शादियों की तिथियों को देखते हुए साड़ियों का स्टॉक करना भी शुरू कर दिया गया है। श्राद्ध पक्ष में फुर्सत के चलते शहर के बड़े व्यापारी सूरत आदि अन्य शहरों से खरीदी भी कर आए है। दुकानदारों का कहना है कि विवाह की तारीखों को देखकर अभी स्टॉक करने के पीछे की मंशा यह है कि उस समय किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न तो हमें करना पड़ेगा और न ही ग्राहकों को करना पड़ेगा।

बर्तन बाजार

साड़ी विक्रेताओं के साथ-साथ बर्तन विक्रेताओं द्वारा भी विवाह तिथियों को देखते हुए माल का स्टॉक करना शुरू कर दिया गया है। इनके द्वारा धनतेरस के साथ-साथ शादियों को देखते हुए भी स्टॉक किया जा रहा है। दुकानदारों का कहना है कि दशहरे के बाद से कारोबार में लगातार गति बनी रहेगी जो धनतेरस के बाद विवाह के आयोजनों तक चलेगी जिसको देखकर अभी से स्टॉक किया जाना भी नितांत जरूरी हो गया है।बुकिंग प्रारंभ हो गई देव उठनी ग्यारस 17 नवम्बर को है और इस दिन से शहनाई के स्वर सुनाई देना शुरू हो जाएंगे। हालांकि इन स्वरों को सुनने के लिए लोगों को अभी भी एक माह से अधिक का समय लगेगा पर जिन घरों में विवाह की तारीखें फाइनल हो गई है उनके द्वारा इस दिशा में अभी से तैयारियां शुरू की जाकर अपनी चिंताएं कम करने की दिशा में प्रयास किया जाने लगा है। सबसे पहले लोगों को अच्छी धर्मशाला की चिंता है जिसके लिए उनके द्वारा बुकिंग भी करना शुरू कर दी गई, इसके बाद हलवाई की चिंता को दूर करने के लिए हलवाई को एंडवास दिए जाने का कार्य भी श्राद्ध पक्ष समाप्त होने के बाद से किया जाने लगा है। लोगों द्वारा स्थानीय हलवाई के अलावा भोपाल,इंदौर और उज्जैन से भी हलवाई मंगवाए जा रहे है। हलवाई के बाद लोग बैंड और डीजे तथा बिजली डेकोरशन तथा जनरेटर वालों को तारीख लिखवाने की जल्दी की जा रही है ताकि उन्हें ऐनवक्त पर किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े, इसके अलावा फूल माला तथा कार डेकोरेशन, आइसक्रीम और विभिन्न प्रकार के चायनीज आयटम के स्टाल लगाने वालों से संपर्क किया जा रहा है।

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