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Wednesday, October 13, 2010

वार्ड आरक्षण प्रक्रिया पर उठे सवाल

 जिला प्रशासन ने  आरक्षण दोबारा कराने के आदेश जारी किए
सीहोर,आरक्षण प्रक्रिया पर आपत्ति उठाएं जाने के बाद जिला कलेक्टर संदीप यादव ने दोबारा वार्ड आरक्षण कराए जाने के आदेश जारी किए हैं। इस बार यह आरक्षण केवल पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए होगा। कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश में उल्लेखित किया गया है कि नगर पालिका के सभी वार्डों के आरक्षण की कार्रवाई संपादित की गई थी। जिस पर प्राप्त आपत्ति तथा शासन हित में पुन: अवलोकन किया जाकर मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 332 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अंर्तगत मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग के अंतर्गत महिला आरक्षण की प्रक्रिया निरस्त की गई है। आदेश में उल्लेखित किया गया है कि पुन: आरक्षण की कार्रवाई 15 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में दोपहर 12 बजे सम्पन्न कराई जाएगी। जिसमें पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग आरक्षण की कार्रवाई की जाएगी। इस तरह नए आदेश जारी होने से एक बार फिर महिलाओं के भाग्य का फैसला होगा। मंगलवार की प्रक्रिया के दौरान जिन वार्डों को पिछड़ा वर्ग महिला और सामान्य महिला वर्ग घोषित किया गया है, उनके वर्ग में परिवर्तन भी हो सकता है। अन्य आरक्षण प्रक्रिया यथावत रखी गई है। बहरहाल, देखना यह है कि मंगलवार को जिन महिला वार्डों का आरक्षण हुआ है, उसका कितना असर शुक्रवार को पड़ता है। किसके हाथ से कमान बदलकर दूसरे के हाथ में जाती है। यह शुक्रवार को दोपहर बाद स्पष्ट हो सकेगा।
आरक्षण की कार्रवाई और आधार पर सवाल

मंगलवार को नगर पालिका सीहोर के चुनाव को लेकर कलेक्टर कार्यालय में आरक्षण की कार्रवाई मौजूद जनप्रतिनिधियों और लोगों के सामने सम्पन्न हुई। इस कार्रवाई में जैसे ही लोगों को यह अवगत कराया गया कि पिछले दो चुनाव में हुए आरक्षण को इस चुनाव में आरक्षण के लिए आधार बनाया गया है। उसमें कथित लापरवाही की शिकायतें अनेक लोगों ने प्रशासन को की। शिकायत के बाद प्रशासन ने सामान्य और पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किए गए वार्डों को पुन: आरक्षण करने का निर्णय लिया है। ज्ञात रहे कि मध्यप्रदेश सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है, उसके बाद पहली बार सीहोर में चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में महिला आरक्षण के मामले में ही आरक्षण की कार्रवाई विवादित हो जाने से चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े होने लगे हैं। आरक्षण को लेकर अब अन्य लोग भी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए तैयारी में जुट गए हैं।

 2001 की जनगणना के आधार पर हुआ आरक्षण

-  सभाकक्ष में आरक्षण प्रक्रिया निर्धारित समय से 40 मिनट देरी से प्रारंभ हुई। आरक्षण का आधार वर्ष 2001 की जनगणना रखा गया।

- वर्ष 2001 में शहर की जनसंख्या 92 हजार 918 दर्ज की गई है। जिसमें से अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 14 हजार 329 है।

- आरक्षण प्रक्रिया के दौरान कलेक्टर संदीप यादव के तीखे तेवर देखने को मिले, उन्होंने कहा कि कोई भी दौड़ने की कोशिश न करे।

- कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आवाजे अधिक आने पर उपस्थित लोगों से अपील की गई कि प्रक्रिया को सम्पन्न होने दें, चर्चाएं सभा कक्ष के बाहर करें।

- जैसे-जैसे वार्ड आरक्षित हो रहे थे, वैसे-वैसे भावी पार्षदों के चेहरों के रंग भी उतारते जा रहे थे। जिनको पसंद के वार्ड मिले वह प्रसन्नचित थे।

- सबसे अधिक प्रसन्नता का इजहार महेन्द्र सिंह अरोरा मिन्दी द्वारा व्यक्त किया गया, वह इस बात से प्रसन्न थे कि इस बार उन्हें मौका मिलेगा।

- कलेक्ट्रेट सभाकक्ष एक लंबे अंतराल के बाद खचाखच भरा हुआ नजर आ रहा था। स्थिति यह थी कि करीब दो दर्जन से भी अधिक लोग खड़े रहे।

- सभाकक्ष में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण की बात कही जा रही थी, लेकिन महिलाओं के नाम पर केवल दो ही नेत्रियां यहां मौजूद थीं।

- आरक्षण प्रक्रिया के दौरान सबसे अधिक सवाल कांग्रेस नेत्री पूर्व पार्षद ममता त्रिपाठी ने किए, हालांकि श्रीमती त्रिपाठी का वार्ड ओबीसी हो गया।

- आरक्षण प्रक्रिया में पसंद का वार्ड मिलते ही नेताओं ने अपने मित्रों और परिवारजनों को मोबाइल पर संदेश देना प्रारंभ कर दिए।

जिन नेताओं द्वारा खुशियां जाहिर की जा रही थी, उनसे कुछ लोगों ने सवाल किया कि क्या पार्टी ने आपको टिकिट दे दिया है।

- प्रक्रिया समाप्त होने के बाद पार्षद रामप्रकाश चौधरी ने कलेक्टर संदीप यादव से आपत्ति व्यक्त की, उन्हें लिखित में शिकायत करने को कहा गया।

- प्रक्रिया समाप्त होने के बाद कलेक्ट्रेट मैदान में करीब आधे घंटे से भी अधिक समय तक सरगर्मी बनी रही, नेता-कार्यकर्ता चर्चारत रहे।

- चर्चा में मुख्य मुद्दा यही था कि कौन किस वार्ड से कैसे चुनाव लड़ेगा और कौन अपनी जगह पर पत्नी को मैदान में उतारेगा।

- चर्चाओं के दौरान यह भी मुद्दा चल रहा था कि कौन पार्षद की किस्मत जोरों पर है, जो पुन: आसानी के साथ मैदान में उतरेगा।

- प्रक्रिया समाप्त होने के बाद शहर में भी लोगों द्वारा कार्यकर्ताओं-नेताओं को चुनाव लड़ने की प्रेरणा दी जा रही थी।

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