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Sunday, October 17, 2010

चमके किसानों के चेहरे

सीहोर,बिजली और पानी की समस्या से जूझ रहे किसानों के चेहरों पर शनिवार की शाम को उस समय चमक बड़ गई जब मावठा गिरा। हालांकि मावठे का आगाज अच्छा था पर कुछ देर के बादही बारिश बंद हो गई।इस साल बारिश कम गिरने से किसानों के साथ-साथ शहर के हर आम और खास में निराशा का माहौल बना हुआ है। शहर के लोगों को परेशानी इस बात से है कि इस साल की गर्मी में लोगों को पीने के पानी का संकट खड़ा हो जाएगा आलम यह है कि अभी से ही शहर के कई नलकूपों और कुओं ने साथ देना छोड़ दिया है जिससे लोगों के माथों पर चिंता की लकीरे साफ तौर दिखाई देने लगी है। यह संकट और न बढ़ जाए इसकी चिंता हर वर्ग को हो रही है। शहर के लोगों के साथ-साथ किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ग्रामों में भी पानी के साथ बिजली की समस्या बनी है जिससे किसानों को रबी की फसल को लेकर चिंता बन गई है। इस साल बारिश कम होने के बाद भी सोयाबीन की फसल तो अच्छी ही रही पर उस समय भी किसानों के साथ वैज्ञानिकों द्वारा भी कहा जा रहा था कि यह कम बारिश सोयाबीन के लिए तो ठीक है पर रबी की फसल के लिए नुकसान दायक रहेगी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है जिससे किसानों को चिंता स्वाभाविक ही है। पर दशहरा पर्व के एक दिन पहले शाम को गिरे मावठे से किसानों के चेहरे चमक उठे। जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्रों में हुई तेज बारिश से किसानों को राहत मिली। लगभग पन्द्रह से बीस मिनिट तक तेज बारिश से लोग तरबतर हो गए जिस प्रकार से बारिश की गति थी उससे यही लग रहा था कि यह जल्द ही थमने वाली नहीं है पर लोगों का अंदाजा गलत साबित हुआ और बारिश कुछ देर बाद ही बंद हो गई। शनिवार को सीहोर में तो बारिश हुई पर उसका अंदाज ठीक उसी प्रकार से था जिस प्रकार से मानसून में गिर रही थी,तेज बारिश की उम्मीद जगाकर बारिश कम होने की भांति ही आज की स्थिति रही। यहां पर तो बारिश हुई,इसी प्रकार से इछावर में भी बारिश हुई पर बुदनी आदि क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई वहां के किसानों को अभी मावठे का इंतजार बना हुआ है। आज का मावठा हर लिहाज से किसानों के लिए लाभदायक बताया जा रहा है जिन किसानों को चने की बोवनी करना है उनका काम चल सकता है और जिन किसानों को खेत पर पलेवा करना था और रिलाई करनी थी उनको इस बारिश से समय की बचत होगी। इस मावठे से उन लोगों को नुकसान हुआ है जिनका सोयाबीन थे्रशिंग के लिए खलिहान पर ही पड़ा हुआ है पर ऐसे किसानों की संख्या कम ही है।

व्यवस्थाओं में उत्पन्न हुआ खलल

आज गिरे मावठे से उन लोगों के लिए परेशानी उत्पन्न हो गई जिन लोगों द्वारा रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इनके द्वारा आज सुबह से ही व्यवस्थाओं को अंजाम दिया जा रहा था पर शाम को हुई तेज बारिश से जहां रावण गीले हो गए वहीं मैदान भी पानी से तरबतर हो गए,जिसके कारण उन्हें व्यवस्थाओं को बढ़ाना पड़ा। हालांकि रावण निर्माणकर्ताओं द्वारा पूर्व के अनुभव को देखते हुए बारिश से बचाव के लिए प्लास्टिक का प्रयोग किया जाने लगा है जिससे रावण एकदम गीला होने से बच गया। बाहर से आए रेडीमेड रावण को भी पानी से बचाव किया गया। पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश का मौसम बनने के कारण आयोजकों द्वारा पूर्व से ही वैकल्पिक व्यवस्था कर ली गई थी। इसके अलावा दुर्गा उत्सव समितियों को भी मावठे के कारण परेशानी उठाना पड़ी जिन आयोजकों ने सड़क पर हवन वेदी बनाई गई थी उन्हें नए सिरे से व्यवस्था करनी पड़ी। मातारानी की प्रतिमाएं गीली न हो इसके लिए भी उन्हें पंडाल को ढांकने की व्यवस्था करनी पड़ी। उधर बारिश के एकदम बंद हो जाने के कारण उमस का माहौल बन गया जिससे बैचेनी का वातावरण बन गया। बारिश के दौरान बिजली भी नहीं थी जिसके कारण उमस और भी बढ़ गई । बिजली शनिवार की शाम को अपने निर्धारित समय से भी देरी से आई जिससे लोगोें की परेशानी और भी बड़ गई।



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