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Saturday, October 2, 2010

प्रतिबंध कानून बोर्ड पर ही सिमट कर रह गया

सीहोर.शासन द्वारा बनाए गए कानून को सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों ने महज बोर्ड पर ही सीमित करके रख दिया है। स्थिति यह है कि यहां पर धूम्रपान वर्जित है के बोर्ड भी अब धूल खाने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि सार्वजनिक स्थानों पर आज धड़ल्ले से धूम्रपान होता दिख रहा है। बोर्ड पर ही सिमट कर रह गया प्रतिबंध राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शासन ने अध्यादेश पारित करते हुए उसे दो अक्टूबर को कानून मे तब्दील किया था। इस कानून के अंतर्गत किसी भी सार्वजनिक स्थल पर तथा शासकीय कार्यालयों में धूम्रपान प्रतिबंधित किया गया था। इस प्रतिबंध का उल्लघंन करने वालों पर दो सौ रुपए का जुर्माना करने का प्रावधान रखा गया था।कुछ वर्ष पूर्व बने इस कानून का ताबड़-तोड़ पालन भी किया गया था। जिसका नतीजा था कि जिले के विभिन्न शासकीय कार्यालयों में इस आशय के सूचना पटल लगा दिए गए थे,जिसमें प्रतिबंध और जुर्माने की राशि का भी उल्लेख किया गया था। इन सूचना पटलों को लगाए जाने के साथ-साथ विभिन्न शासकीय कार्यालयों में जुर्माने भी शुरू कर दिए गए थे, जिसका लोगों द्वारा स्वागत किया गया था, लेकिन जिस प्रकार हर अच्छी योजना फ्लॉप हो जाती है। वैसा ही इस कानून के साथ भी हुआ। आज स्थिति यह है कि जिले में यह कानून केवल बोर्डों पर ही सिमट कर रह गया है और कई कार्यालयों में तो बोर्ड धूल खा रहे हैं। जब इस कानून को लागू किया गया था,तो स्थिति यह बन गई थी। सिगरेट,बीड़ी पीने वाले लोग अधिकारियों-कर्मचारियों को देखकर भागने लगे थे। तहसील कार्यालय और जिला अस्पताल में सौ से भी अधिक लोगों पर जुर्माने की कार्रवाई भी की गई थी, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ यह कार्रवाई भी बंद हो गई। आज सार्वजनिक स्थानों और शासकीय कार्यालयों में धड़ल्ले के साथ बीड़ी सिगरेट का धुआं उड़ रहा है।

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