सीहोर, इस साल की चर्चित फिल्म रावण और राजनीति जिला मुख्यालय पर दशहरे में नजर आएंगी। वार्ड आरक्षण प्रक्रिया प्रारंभ होने के संकेत के साथ ही राजनीतिज्ञ सक्रिय होकर रावण दहन के कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं।
नगर पालिका परिषद के लिए वार्डों का आरक्षण 12 अक्टूबर को कराया जाना सुनिश्चित माना जा रहा है। शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 15 अक्टूबर के पहले यह आरक्षण हो जाना चाहिए।
आरक्षण प्रक्रिया सम्पन्न होने के तुरंत बाद ही असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। आमतौर पर दशहरा पर्व जिला मुख्यालय पर गंज, छावनी, कस्बा और मंडी में मनाया जाकर भव्य आतिशबाजी के बीच रावण के पुतलों का दहन किया जाता है। इस साल आवासीय खेलकूद विद्यालय मैदान पर भी रावण दहन का कार्यक्रम निश्चित किया गया है। जबकि मंडी क्षेत्र के रावण दहन का कार्यक्रम फिलहाल अनिश्चित बना हुआ है। चूंकि आने वाले समय में नगर पालिका के चुनाव हैं। इसी को लेकर रावण से राजनीति का शंखनाद किया जा रहा है। खासतौर से वह लोग रावण दहन कार्यक्रम समितियों से जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं। जिन्होंने निकट भविष्य में होने वाले नगर पालिका चुनाव में पार्षद बनने का सपना संजो रखा है। विभिन्न समितियों के गठन में भाजपा, कांग्रेस और इन से जुड़े युवामोर्चा तथा युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता नजर आ रहे हैं। जो लोग राजनीति में सक्रिय हैं, वह तो हर साल किसी न किसी रूप से इन आयोजनों से जुड़े रहते हैं, लेकिन इस साल कई नए चेहरे जोश खरोश के साथ अपनी राजनीति जमाने के लिए रावण का सहारा लेने की तैयारी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर इस वर्ष रावण दहन कार्यक्रम में नगर पालिका के चुनाव की आहट स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होगी। जिसके लिए यह नए नेता तेजी के साथ सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आरक्षण की प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद रावण से राजनीति शुरू करने वालों की संख्या में और भी इजाफा होगा।
पसंद के वार्ड के लिए शुरू हो गई प्रार्थनाएं
नगर पालिका परिषद के वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया 12 अक्टूबर को होनी है। फिलहाल नए नेताओं का भविष्य और उनकी उम्मीदें इस आरक्षण प्रक्रिया पर टिकी हुई हैं। पूरा खेल भाग्य पर निर्भर हो चुका है। कौन सा वार्ड सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति तथा महिला के लिए आरक्षित होता है। उसके हिसाब से ही यह अपना क्षेत्र चुनकर मैदान में उतरेंगे। इसलिए इन्होंने भगवान के द्वार पर दस्तक देना शुरू कर दी है। अपने-अपने स्तर पर प्रार्थना कर रहे हैं कि उनका वार्ड उनकी श्रेणी शामिल हो जाए। महिला वार्ड घोषित होने में फिर भी इन्हें दिक्कत नहीं हैं, क्योंकि यह या तो अपनी धर्मपत्नी या फिर परिवार के किसी भी महिला सदस्य को मैदान में उतार सकते है.
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