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Monday, October 4, 2010

ऐसे में तो हाथ धुलाई कार्यक्रम पर ही फिर जाएगा पानी...

सीहोर.जिले में एक बार फिर हैंड वाश डे मनाने की जोरदार तैयारियां जिला पंचायत द्वारा कर दी गई हैं, पर जिस प्रकार की परिस्थिति निर्मित हो रही है उससे हाथ धुलाई के इस कार्यक्रम पर एक बार फिर पानी फिरने की नौबत आती दिखाई दे रही है। वर्ष 2008 से प्रदेश भर में 15 अक्टूबर से हैंड वाश डे मनाए जाने की शुरूआत स्कूलों में की गई है। अंर्तराष्ट्रीय हाथ धुलाई दिवस पर प्रदेश की सभी शालाओं में बच्चों को हाथ धोने के तरीकों से अवगत कराया जाता है, सभी स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को ट्रेनिंग दी जाकर उन्हें विद्यार्थियों को प्रेरित करने की सलाह दी जाती है कि वो कम से कम दिन में तीन बार तो हाथ साबुन से अवश्य धोए। भोजन करने के पहले और भोजन के बाद हाथ साबुन से धोने के अलावा शौच करने के बाद भी हाथ साबुन से अनिवार्य रूप से धोने की आदत विकसित करने के लिए इस दिवस का आयोजन स्कूलों में किए जाने की शुरूआत की गई है। वर्ष 2008 में शासन के दिशा निर्देश पर स्कूलो के शिक्षक शिक्षिकाओं को इसके लिए जबलपुर मे ट्रेनिंग भी दिलाई गई थी। तब ऐसा माना जा रहा था कि यह कार्यक्रम साल भर चलेगा और स्कूली बच्चों की आदत विकसित होगी, बार-बार साबुन से हाथ धुलवानें के लिए प्ररेणा देने का मकसद भी यही है कि बच्चें बीमारी से दूर रहे, इसके लिए स्कूलों के पास बजट नहीं रहता है पर इसके बाद भी शाला प्रबंधन द्वारा साबुन और बाल्टी तथा टॉवेल का क्रय किया जाता है। अभिभावकों द्वारा भी इस कार्यक्रम की सराहना की गई थी पर यह आयोजन यहां पर रस्म अदायगी के रूप में ही किया जाता है, साल भर में केवल एक बार ही कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, बाकी दिन न तो जिला पंचायत को और न ही शिक्षा विभाग को और न ही शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा इस तरफ ध्यान दिया जाना उचित समझा जाता है, शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना रहता है कि हम तो यह कार्यक्रम पूरे साल करा ले पर न तो स्कूलों में पानी रहता है और न ही बाल्टी और साबुन एवं बाल्टी,ऐसे में कार्यक्रम होना संभव नहीं रहता है। चूंकि यह दिवस अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर 15 अक्टूबर को ही मनाया जाता है इसलिए दिवस के दिन ही कार्यक्रम आयोजित होना जरूरी है। इसलिए इस साल भी इस कार्यक्रम को आयोजित कराने की तैयारी होना शुरू हो गई है। लेकिन इस साल भी इस पर पानी फिरने की नौबत आ गई है। पन्द्रह अक्टूबर को महाअष्टमी का पर्व है जिसमें अधिकांश स्कूलों में अवकाश रहता है और यदि अवकाश नहीं भी रखा जाता है तो सभी के घरों पर अष्टमी का पूजन के कारण स्कूलों में कोई पहॅुंचता ही नहीं है जिससे इस कार्यक्रम का पूरी नियोजित तरीके से होना संभव नजर नहीं आ रहा है। देखना यह है कि कैसे हाथ धुलते है?
गत साल भी ऐसा
 हाथ धोने के इस कार्यक्रम पर गत वर्ष भी पानी फिर गया था, गत साल 15 अक्टूबर को धनतेरस पर्व होने के कारण अवकाश था,जिससे यह कार्यक्रम नहीं हो पाया था। इस साल भी इसी प्रकार की स्थिति निर्मित होती दिखाई दे रही है। हालांकि गत वर्ष दीपावली के बाद जिला मुख्यालय पर ही चर्च मैदान पर कार्यक्रम का आयोजन कर हैंडवाश डे की औपचारिकता पूरी की गई थी।

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